बैंक ने पुराने नोट के बदले दी 10 रुपये के सिक्कों की थैलियां, रकम निकली कम
बैंक ने साढे चार हजार रुपये बदलने के लिए बना रखी थीं 2000 रुपये की 10 के सिक्कों की थैलियां।
उत्तर प्रदेश। 8 नवंबर को नोट बैन के बाद एक तरफ जनता को अपने पुराने नोट बदलवाने के लिए लंबी लाइनों में घंटो इंतजार करना पड़ रहा है, तो वहां बैंककर्मियों से भी गलतियां हो जा रही हैं।
लोगों को बैंक से साढे चार हजार रुपये बदलने गए कुछ लोगों को बैंक से कम पैसे मिलने का मामला सामने आया है। ये मामला उत्तर प्रदेश के जिला मेरठ की सिवाल खास नगर पंचायत का है।
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सिवाल खास में सिंडिकेंट बैंक की शाखा है। पूरे देश की तरह इस शाखा पर भी नोट बदलवाने के लिए लंबी लाइन है। सिवाल के लोग बैंक से साढ़े चार हजार रुपये बदलकर लाए तो उनमें बहुत से लोगों को 2000 रुपये 10 के सिक्कों के रूप में दिए गए।
बैंक ने 2000 रुपयों की 10 के सिक्कों की थैलियां बनाकर रखी हुई थी। ऐसे में साढ़े चार हजार बदलने वाले व्यक्ति को 2500 रुपये के नए नोट और 2000 रुपये की 10 के सिक्कों की थैली दी गई।
खास बात ये रही कि लाइन में लगे एक ही मुहल्ले को लोगों को ये थैलियां मिल गईं। बैंक में भीड़ के कारण ये लोग बिना गिना ही पैसा लेकर घर आ गए। घर आकर इन्हें गिना तो बहुत सी थैलियों में रुपये कम निकले।
लोगों ने कहा, बैंककर्मी से भी गलती हो सकती है
लोगों का कहना है कि बहुत सी थैलियों में 10 से लेकर 50 रुपये तक निकले। हालांकि लोगों ने इसको लेकर बैंक में कोई शिकायत नहीं की। लोगों ने कहा कि बेंको में इतनी भीड़ है कि शिकायत लेकर जाना किसी चुनौती से कम नहीं है।
रकम कम निकलने पर कुछ लोग नाराज दिखे तो कुछ लोगों ने कहा कि ये हमारा कस्बे का बैंक है और हमें बैंककर्मियों की इमानदारी पर कोई शक नहीं है। ये महज एक इंसानी गलती है।
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लोगों का कहना है कि बैंक में बैठा व्यक्ति भी कोई मशीन नहीं है। जिस तरह से बैंककर्मियों पर काम का दबाव है उसमें गलती हो सकती है। आखिर उन्होंने भी रातभर जागकर दो-दो हजार के सिक्कों की थैलियां बनाई हैं।
भले ही बहुत सी थैलियों में कम पैसा निकलने के बावजूद लोग बैंककर्मियों से कोई शिकायत ना कर रहे हों लेकिन एक दूसरी शिकायत उन्हें जरूर है।
10 के सिक्के चलाने में होती है मुश्किल
लोगों का कहना है कि पिछले काफी समय से 10 के सिक्कों के नकली होने को लेकर बाजार में एक अफवाह लगातार रही है। ऐसे में बहुत से दुकानदार इन्हें लेने में आनाकानी करते हैं।
स्थानीय निवासी और किराना की दुकान करने वाले तैयब अली का कहना है कि जैसे ही बैंक ने 10 के सिक्के बड़ी मात्रा में लोगों को पुराने नोट के बदले दिए है, कस्बे के बाजार में सिक्के अचानक से ज्यादा दिखने लगे हैं।
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तैयब कहते हैं कि आप पूछेंगे तो कोई भी आपको 10 के सिक्के लेने को मना नहीं करेगा लेकिन ये सच है कि दुकानदार 10 के सिक्के लेने में आनाकानी करते हैं।
उनका कहना है कि एक या दो सिक्का लेने से तो कोई मना नहीं करता है लेकिन कोई इकट्ठा 400 या 500 के सिक्के लेकर सामान खरीदने आता है, तो दुकानदार उससे कन्नी काटने की कोशिश करता है।
तैयब कहते है कि बहुत ज्यादा ना सही लेकिन एक उलझन सिक्कों को लेकर लोगों के मन में जरूर है। उन्होंने कहा कि नोटबैन के बाद उनकी दुकानदारी आधी से भी कम रह गई है, लोग सिर्फ जरूरी चीजें ही खरीद रहे हैं।
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पीएम मोदी के नोटबैन को लेकर यहां के लोगों का कहना है कि बईमानों ने तो बड़ी-बड़ी रकम ठिकाने लगा दी है, लाइन में तो गरीब आदमी खड़ा है।
लोगों का कहना है कि गलत तरीके से कमाई करने वालों पर शिकंजा जरूर कसा जाए चाहिए लेकिन लगता है कि यहां उल्टा हो रहा है क्योंकि लाइन में मजदूर और किसान खड़े हैं।
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आपको बता दें कि 8 नवंबर को पीएम मोदी ने पूरे देश में 1000 और 500 के नोट पर बैन की घोषणा की थी। इसके बाद से देशभर में कैश की भारी किल्लत है और नोट बदलवाने के लिए बैंकों के सामने लंबी लाइनें हैं।
सरकार के नोटबंदी का विपक्ष भारी विरोध कर रहा है। संसद से लेकर सड़क तक विपक्षी पार्टियां सरकार को इस फैसले की आलोचना कर रही हैं। नोटबंदी के बाद पिछले दस दिन में 40 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं, जिनकी वजह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर नोटबंदी है।
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