लॉकडाउन: इलाहाबाद से पैदल लौट रहा था बिहार, रास्ते में मजदूर ने तोड़ा दम
पटना। कोरोना वायरस के मद्देनजर 21 दिनों तक देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद सड़क और रेल यातायात को बंद कर दिया गया था। मकसद था लोगों की आवाजाही को रोकना ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। इसके बावजूद, प्रवासी श्रमिक हजारों की संख्या में पलायन कर गए। इनमें बिहार का रहने वाला एक मजदूर भी शामिल था, जो पैदल अपने घर लौट रहा था, मगर रास्ते में ही उसकी जान चली गई।
जानकारी के मुताबिक, बिहार के वैशाली जिले के भगवानपुर का रहने वाला मजदूर विलास महतो उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में काम करता था। लॉकडाउन के दौरान वह वैशाली में अपने गांव के लिए पैदल निकला था। रास्ते में विलास महतो की मौत हो गई। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। बताया जाता है कि वह अपेंडिक्स के बीमारी से पीड़ित था और बीमारी की हालत में ही इलाहाबाद से किसी तरह निकल गया था।
बीमारी
की
हालत
में
इलाहाबाद
से
निकला
था
लॉकडाउन
की
घोषणा
के
बाद
वह
उसी
हाल
में
वैशाली
के
भगवानपुर
के
लिए
निकल
पड़ा।
कभी
ट्रक
ने
लिफ्ट
तो
कभी
पैदल
ही
चलता
रहा।
डेहरी
के
पास
विलास
महतो
के
पेट
में
अचानक
तेज
दर्द
उठा
और
उसने
रास्ते
में
ही
दम
तोड़
दिया।
उसके
साथ
चल
रहे
रिश्तेदार
के
मुताबिक,
उसे
अपेंडिक्स
की
बीमारी
थी
और
पहले
सी
ही
पेट
केपास
सूजन
थी।
पुलिस
को
खबर
मिली
तो
शव
को
कब्जे
में
लेकर
सासाराम
के
सदर
अस्पताल
में
पोस्टमॉर्टम
के
लिए
भेज
दिया
गया
है।
राज्यों
की
सीमाएं
है
सील
दूसरे
राज्यों
में
काम
करने
वाले
बिहारी
मजदूर
पैदल
ही
अपने
गांव
पहुंच
रहे
हैं।
यह
हाल
तब
है
जब
राज्य
की
सीमाएं
सील
हैं
और
बॉर्डर
पर
ही
सीमा
आपदा
राहत
केंद्र
बनाए
गए
हैं।
यहां
पर
बाहर
से
आने
वालों
के
रहने-खाने
और
मेडिकल
चेकअप
का
इंतजाम
हैं,
इसके
बावजूद
लोग
अपने
घर
पहुंचना
चाहते
हैं।
बाहर
से
आने
वालों
का
14
दिन
तक
क्वारंटीन
में
रहना
जरूरी
है
मगर
इस
तरह
पैदल
आने
वालों
के
लिए
शायद
कोई
व्यवस्था
धरातल
पर
नहीं
है।
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