एक बिहारी ने पलट कर रख दिया BCCI का तख्ता
सुप्रीम कोर्ट ने 2 जनवरी को एक आदेश के तहत भाजपा सांसद और बीबीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर को हटाने के लिए कहा। इसके पीछे ये शख्स है।
पटना। सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले से जिस शख्स को सबसे ज्यादा खुशी हुई है वह और कोई नहीं बल्कि एक बिहारी आदित्य वर्मा है। जिन्होने वर्ष 2013 में बीसीसीआई के खिलाफ सबसे पहली पीआईएल डाली थी। आइए अब आपको बिहार के आदित्य वर्मा के बारे में बताते है, जिन्होंने आज से 4 साल पहले बीसीसीआई में स्पॉट फिक्सिंग और करप्शन को लेकर डाली थी पीआईएल। आदित्य वर्मा एक बिजनेसमैन और रणजी ट्रॉफी में बिहार के लिए खेले जाने वाले खिलाड़ी है। वह बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के सेक्रेटरी भी थे। तभी उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट के सामने अपनी पीआईएल में बीसीसीआई के एक पैनल को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की थी। तथा पैनल आईपीएल फिक्सिंग मामले की जांच के लिए बनाया गया था। इसी जगह से शुरू होती है आदित्य वर्मा की कहानी।
जिनका
एक
पीआईएल
बीसीसीआई
में
कई
बदलाव
की
सूत्रधार
बनी
और
बिहार
की
लड़ाई
लड़ते
लड़ते
आदित्य
ने
बीसीसीआई
का
तख्ता
पलट
कर
रख
दिया।
आपको
बताते
चलें
कि
जैसे
ही
सुप्रीम
कोर्ट
ने
बीसीसीआई
के
अध्यक्ष
अनुराग
ठाकुर
और
अजय
शिर्के
को
हटाने
का
फैसला
सुनाया
बिहार
के
क्रिकेट
जगत
में
खुशी
की
लहर
दौड़
गई।
क्योंकि
वर्षो
से
रणजी
खेलने
से
वंचित
सूबे
के
खिलाड़ियों
के
अब
दिन
बहुरने
वाले
हैं।
जानिए
कैसे
शुरू
हुआ
था
लोढ़ा
समिति
और
बीसीसीआई
के
बीच
विवाद।
सबसे
पहले
सुप्रीम
कोर्ट
ने
इसकी
जांच
के
लिए
जस्टिस
मुकुल
मुद्गल
की
अध्यक्षता
में
एक
कमेटी
बना
दी
।उस
कमेटी
ने
साल
2014
में
अपनी
पहली
रिपोर्ट
भेजी
।मुद्गल
कमेटी
की
रिपोर्ट
के
बाद
सुप्रीम
कोर्ट
को
लगा
कि
बीसीसीआई
में
सुधार
की
सख्त
जरुरत
है
।इसके
लिए
जनवरी
2015
में
सुप्रीम
कोर्ट
ने
फॉर्मर
चीफ
जस्टिस
आर
एम
लोढ़ा
की
अगुवाई
में
3
मेंबर
की
टीम
गठित
कर
दी
।
आइए
जानते
हैं
लोढ़ा
कमेटी
और
बीसीसीआई
के
बीच
टकराव
का
सफरनामा
- 4 अप्रैल 2015 लोढा कमेटी ने 82 सवाल लिखकर बीसीसीआई से जवाब मांगा था कि इंडिया में क्रिकेट कैसे चलता है।
- 4 जनवरी 2016 लोढ़ा कमेटी ने बीसीसीआई में सुधार के लिए अपनी सिफारिशे सुप्रीम कोर्ट में पेश की।
- 7 जनवरी 2016 बोर्ड सेक्रेटी अनुराग ठाकुर ने स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन से लोढ़ा कमेटी की रिपोर्ट पर राय मांगी।
- 4 फरवरी 2016 सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई से लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों पर रुख साफ करने को कहा।
- 13 अप्रैल 2016 सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वह कानून बनाकर इंडिया में क्रिकेट चला सकती है।
- 2 मई 2016 सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई और स्टेट एसोसिएशंस को लोढ़ा कमेटी की सिफारिशे मानने का आदेश दिया।
- 18 जुलाई 2016 सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा कमेटी की ज्यादातर सिफारिशे मानी और मंत्रियों ,सरकारी अधिकारियों और 70 साल से ज्यादा के लोगों के पदाधिकारी बीसीसीआई में नहीं रह सकते हैं का आदेश जारी किया।
- 28 सितंबर 2016 लोढ़ा कमेटी ने अनुराग ठाकुर सहित बडे अधिकारी को हटाने की मांग की।
- 3अक्टूबर 2016 बीसीसीआई की हरकतों से नाराज लोढ़ा कमिटी ने बैंकों से बीसीसीआई को फंड जारी करने के लिए मना कर दिया।
- 17 अक्टूबर 2016 अनुराग ठाकुर ने कोर्ट में हलफनामा दिया कि आईसीसी के नियमों के तहद बोर्ड पर सरकार का दबाब नहीं होना चाहिए और और बोर्ड के काम में सरकार का दखल अंदाजी नहीं होनी चाहिए।
- 15 दिसंबर 2016 सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग ठाकुर पर गलत हलफनामा देने का आरोप लगाया । इसके साथ ही कहा कि क्यों न उन पर कारवाई की जाए।
- 2 जनवरी 2016 सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि बीसीसीआई के प्रेसिडेंट अनुराग ठाकुर और सेक्रेटरी अजय शिर्के को बर्खास्त कर दिया जाए। साथ ही जो पदाधिकारी लोढ़ा कमेटी की बात नहीं मानेगा उसे भी बोर्ड से बाहर जाना पड़ेगा। ये भी पढ़ें: बीसीसीआई अध्यक्ष बन सकते हैं पूर्व स्टार क्रिकेटर सौरव गांगुली, रेस में सबसे आगे