मधुबनी की दुलारी देवी को मिथिला पेंटिंग के लिए मिलेगा पद्म श्री अवार्ड, जानें कैसा रहा संघर्षों का जीवन
मधुबनी। बिहार के मधुबनी जिले के रांटी गांव की रहने वाली दुलारी देवी को मिथिला पेंटिंग के लिए पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। इसकी सूचना गृह मंत्रालय के जरिये मिली। बता दें कि दुलारी देवी पढ़ी-लिखी नहीं हैं। बड़ी मुश्किल से अपना हस्ताक्षर और अपने गांव का नाम लिख पाती हैं। लेकिन इनके कला-कौशल की चर्चा कला जगत की कई बड़ी पत्रिकाओं में होती है। पूर्व राष्ट्पति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भी दुलारी देवी की कला के मुरीद थे। 54 वर्षीय दुलारी देवी की संघर्ष गाथा प्रेरणादायक है।
दुलारी देवी मल्लाह जाति के एक अत्यंत गरीब परिवार में जन्मीं और बचपन से ही चुनौतियों का सामना किया। जब वह 12 वर्ष की थीं तब उनकी शादी हो गई थी। सात साल उन्होंने ससुराल में बिताए थे। फिर 6 महीने की बेटी के मौत के बाद मायके लौटीं और यहीं रह गईं। उस वक्त दूसरे के घरों में कामकाज कर अपना जीवन यापन कर रही थीं। इस दौरान गांव के ही मिथिला पेंटिंग की लोकप्रिय कलाकार कर्पूरी देवी के घर उन्हें झाड़ू-पोंछा का काम मिला।
इस दौरान जब कभी उन्हें फुर्सत मिलती तब वो अपने घर के आंगन को माटी से पोतकर, लकड़ी की कूचनी बना कल्पनाओं का आकृति देने लगीं। कर्पूरी देवी का साथ पाकर दुलारी ने मिथिला पेंटिंग के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बना ली। बता दें कि दुलारी देवी अभी तक अलग-अलग विषयों पर 7 हजार मिथिला पेंटिंग बना चुकी हैं। साल 2012-13 में दुलारी देवी को राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
बिहार के लाल कमरुल जमां गणतंत्र दिवस के मौके पर करेंगे ब्रह्मोस मिसाइल की अगुवाई