जीतनराम-सीएम नीतीश मुलाकात: NDA में हम पार्टी के साथ सीटों और लोजपा से तालमेल बिठाने की चुनौती
पटना। बिहार की राजनीति में महागठबंधन से अलग होकर जीतनराम मांझी की पार्टी हम के जदयू और एनडीए के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरने के बारे में चर्चाओं का दौर जारी है। मुख्यमंत्री और जदयू मुखिया नीतीश कुमार से जीतनराम मांझी ने एक अणे मार्ग स्थित आवास पर लंबी मुलाकात की जिसमें माना जा रहा है कि इन मुद्दों पर आखिरी दौर की राजनीतिक वार्ता हुई है। मुख्यमंत्री आवास से निकले जीतनराम मांझी से पत्रकारों ने सवाल किया तो वो हाथ जोड़ते हुए बिना कुछ बोले निकल गए। वहीं हम नेता दानिश रिजवान ने पत्रकारों से कहा कि इस बारे में दो-तीन दिनों के अंदर प्रेस कॉ़न्फ्रेंस कर बता दिया जाएगा।
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'जीतनराम
के
दिल
में
बसते
हैं
नीतीश'
दानिश
रिजवान
ने
बताया
कि
हम
किसके
साथ
एलायंस
करेंगे,
क्या
करेंगे,
किसके
साथ
जाएंगे
उसको
लेकर
दो-तीन
दिन
में
प्रेस
कॉन्फ्रेंस
कर
सारी
बातें
बता
देंगे।
जीतनराम
मांझी
और
मुख्यमंत्री
नीतीश
कुमार
की
मुलाकात
पर
कहा
कि
क्षेत्र
की
समस्याओं
से
लेकर
बहुत
सारी
चीजों
को
लेकर
बात
हुई
है।
दानिश
रिजवान
ने
जीतनराम
मांझी
के
नीतीश
प्रेम
की
भी
चर्चा
की।
कहा
कि
मुख्यमंत्री
नीतीश
कुमार
अच्छा
काम
करते
हैं
और
हमारे
नेता
जीतनराम
मांझी
के
दिल
में
नीतीश
कुमार
बसते
हैं,
आज
भी
उनके
कमरे
में
मुख्यमंत्री
की
तस्वीर
दिखाई
देती
है।
एनडीए
के
साथ
जाना
लगभग
तय
जीतनराम
मांझी
और
मुख्यमंत्री
नीतीश
कुमार
के
बीच
हुई
इस
मुलाकात
के
बाद
राजनीतिक
जानकार
कह
रहे
हैं
कि
हम
पार्टी
का
एनडीए
का
हिस्सा
बनना
अब
लगभग
तय
है।
बताया
जा
रहा
है
कि
नीतीश
के
साथ
लंबी
बातचीत
के
बाद
एनडीए
के
साथ
जीतनराम
मांझी
के
आने
पर
सहमति
बन
चुकी
है।
20
अगस्त
को
पार्टी
बैठक
में
जीतनराम
मांझी
ने
महागठबंधन
से
अलग
होने
का
ऐलान
किया
था।
हम
पार्टी
ने
कहा
है
30
अगस्त
तक
वह
बिहार
चुनाव
को
लेकर
अपनी
रणनीति
का
ऐलान
कर
देगी।
सीटों
पर
फंसा
पेंच,
लोजपा
से
छत्तीस
का
आंकड़ा
जीतनराम
मांझी
और
नीतीश
कुमार
के
बीच
हुई
इस
बैठक
के
बारे
में
बताया
जा
रहा
है
कि
सीटों
के
बंटवारे
पर
भी
चर्चा
हुई
है।
नीतीश
कुमार
हम
पार्टी
को
9-12
सीटें
देने
की
बात
कह
रहे
हैं
जबकि
जीतनराम
15
सीटों
की
मांग
कर
रहे
हैं।
वहीं
मुख्यमंत्री
ने
कहा
कि
31
अगस्त
तक
सीटों
के
बंटवारे
पर
बात
हो
जाएगी।
जीतनराम
मांझी
के
एनडीए
के
साथ
आने
पर
लोजपा
के
साथ
कैसे
तालमेल
हो
पाएगा,
यह
बड़ी
चुनौती
है।
जीतनराम
और
चिराग
पासवान
के
बीच
रिश्ते
मधुर
नहीं
हैं।
दलित
वोटों
की
राजनीति
में
दोनों
एक-दूसरे
के
प्रतिद्वंद्वी
हैं।
व्यंग्य: नीतीश के प्रोग्राम में क्या खूब आये मांझी, तुमने मारी इंट्री यार, दिल में बजी घंटी यार...