BJP-JDU में घमासान के बीच महागठबंधन में नीतीश की एंट्री पर जीतनराम मांझी का बड़ा बयान
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने महागठबंधन में सीएम नीतीश कुमार की एंट्री को लेकर बड़ा बयान दिया है।
नई दिल्ली। बिहार में भाजपा और जेडीयू के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर पेंच फंसता ही जा रहा है। 'बड़े भाई' की भूमिका के तहत 2019 के लोकसभा चुनाव में ज्यादा सीटों की मांग कर रही जेडीयू, भाजपा के लिए लगातार मुश्किल पैदा करने वाले बयान दे रही है तो वहीं, बीजेपी किसी तरह एनडीए कुनबे को संभालने में लगी हुई है। इस बीच बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने महागठबंधन में सीएम नीतीश कुमार की एंट्री को लेकर बड़ा बयान दिया है।
नीतीश के सामने मांझी ने रखी शर्त
सोमवार को जीतनराम मांझी ने महागठबंधन में नीतीश कुमार के शामिल होने को लेकर एक शर्त रखते हुए कहा, 'अगर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ते हैं और महागठबंधन में शामिल होते हैं तो मुझे लगता है कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव हमारी ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे।' जीतनराम मांझी हाल ही में एनडीए छोड़कर महागठबंधन में शामिल हुए हैं। इससे पहले मांझी ने जेडीयू से नाता तोड़कर अपनी अलग पार्टी बनाई थी।
2014 और 2019 में बहुत अंतर है: जेडीयू
आपको बता दें कि बिहार में 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा और जेडीयू के बीच इन दिनों घमासान मचा हुआ है। सोमवार को ही जेडीयू के नेता संजय सिंह ने कहा कि बिहार भाजपा के नेताओं को हद में रहना चाहिए। 2014 और 2019 में बहुत अंतर है। उन्होंने कहा कि भाजपा को मालूम है कि नीतीश कुमार के बिना वो जीत नहीं पाएगी। अगर भाजपा को गठबंधन की जरूरत नहीं तो वह बिहार की सभी 40 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए आजाद है।
नीतीश की सरकार गिरा सकती है भाजपा: कांग्रेस
इससे पहले रविवार को कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने दावा किया कि बीजेपी बिहार में कश्मीर की राह चलकर नीतीश कुमार से समर्थन वापस लेकर उनकी सरकार गिरा सकती है। गोहिल ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अभी जो हुआ, उसे देखते हुए इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि बीजेपी बिहार में भी जेडीयू से समर्थन वापस ले सकती है। गोहिल ने कहा कि हाल ही हुई नीति आयोग की बैठक में जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग का मुद्दा उठाया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे स्वीकार करने से इंकार कर दिया था।
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