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गुप्तेश्वर पांडेय: एक DGP जो पद पर रहते हुए ही 'नेता' बन चुका था

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एक दिन पहले तक बिहार के डीजीपी रहे गुप्तेश्वर पांडेय के चुनाव लड़ने की पुरजोर चर्चा है। क्या वे चुनाव लड़ेंगे ? इस सवाल पर उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि इस मामले में अपने लोगों से बात करने के बाद सोचूंगा। फिलहाल मैं फ्री हो गया हूं। नौकरी से पांच महीने पहले वीआरएस लेने के बाद से ही उनके चुनावी मैदान में उतरने की अटकलें तेज हुई हैं। इस पूरे प्रकरण के घटनाक्रम कुछ उलझे हुए भी लग रहे हैं। गृह विभाग की वेबसाइट पर उनके वीआरएस का नोटिफिकेशन मंगलवार की रात को ही अपलोड किया गया था। बाद में यह नोटिफिकेशन वेबसाइट से हटा दिया गया। ऐसा क्यों किया गया ? य़ह भी एक बड़ा सवाल है। उनके चुनाव लड़ने की संभावना पर दो बाते हो रही हैं। एक चर्चा के मुताबिक वे एनडीए से बक्सर या शाहपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। दूसरी चर्चा के मुताबिक उन्हें वाल्मीकि नगर लोकसभा उपचुनाव में जदयू का उम्मीदवार बनाया जा सकता है। वाल्मीकि नगर लोकसभा सीट जदयू सांसद वैद्यनाथ प्रसाद महतो के निधन के कारण रिक्त है। इस सीट पर विधानसभा चुनाव के साथ उपचुनाव कराये जाने की संभावना है। बहरहाल ये मामला भले अभी साफ न हो लेकिन गुप्तेश्वर पांडेय बिहार के सियासी गलियारे में सुर्खियां बटोर रहे हैं।

गुप्तेश्वर पांडेय की राजनीतिक महात्वाकांक्षा

गुप्तेश्वर पांडेय की राजनीतिक महात्वाकांक्षा

जब गुप्तेश्वर पांडेय आइपीएस अधिकारी थे तभी से उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा प्रबल रही है। वे खुद को लोकप्रिय अधिकारी मानते हैं। उनका कहना है कि वे जनता के अफसर रहे हैं इसलिए उनकी एक अलग छवि है। उनके चुनाव लड़ने की चर्चा से कई स्थापित नेता परेशान हो जाते हैं। कुछ दिनों पहले जब उनसे चुनाव लड़ने की संभावना पर सवाल पूछा गया था तब उन्होंने कहा था, लोगों से मेरा जुड़ाव है। आज भी अगर मैं इस्तीफा देने की बात करूं तो एक दर्जन लोगों (नेताओं) के पसीने आ जाएं। लोगों के पसीने इसलिए छूट जाते हैं कि क्यों वे जानते हैं कि इस अधिकारी का जनता से कितना जुड़ाव है। उनके चुनाव लड़ने की अक्सर चर्चा होती है। कोई कहता है यहां से चुनाव लड़ जाएंगे कोई कहता है वहीं से चुनाव लड़ जाएंगे। गुप्तेश्वर पांडेय यह भी कहते हैं, अच्छा बताइय़े, अगर कोई अधिकारी अपनी सरकारी सेवा के बाद चुनाव लड़ता है तो इसमें गलत क्या है ? क्या उसका चुनाव लड़ना गैरकानूनी है ? मैं जनता का आदमी हूं, जब वह चाहेगी तब मैं राजनीति में आ जाउंगा।

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बयानों से बटोरते रहे हैं सुर्खियां

बयानों से बटोरते रहे हैं सुर्खियां

2009 में भी उन्होंने नौकरी से वीआरएस लेकर चुनाव लड़ने की कोशिश की थी। उस समय चर्चा थी कि वे भाजपा के टिकट पर बक्सर से लोकसभा का चुनवा लड़ सकते हैं। इस चर्चा से बक्सर के तत्कालीन भाजपा सांसद लालमुनि चौबे असहज हो गये थे। बाद में गुप्तेश्वर पांडेय को भाजपा से टिकट नहीं मिला। इस सीट पर लालमुनि चौबे की हार हो गयी और यहां से राजद के जगदानंद सिंह को जीत मिली थी। इसके बाद उन्होंने फिर नौकरी में वापस लौटने के लिए आवेदन दिया। अवेदन मंजूर होने के बाद वे फिर आइपीएस के रूप में काम करने लगे। 1987 बैच के आइपीएस अधिकारी रहे गुप्तेश्वर पांडेय को जनवरी 2019 में बिहार का डीजीपी बनाया गया था। फरवरी 2021 तक उनकी नौकरी थी लेकिन उन्होंने मंगलवार को ही वीआरएस ले लिया। गुप्तेश्वर पांडेय को बड़बोला अधिकारी भी माना जाता रहा है। एक बार वे पुलिसिंग से जुड़े कार्यक्रम में भाग लेने के लिए इंग्लैंड गये हुए थे। इस दौरान उन्होंने एक बयान दिया था कि इंग्लैंड के लोग अनुशासित होते हैं और वे कानून की इज्जत करते हैं लेकिन भारत के लोग न तो कानून की इज्जत करते हैं और न उनके मन में कानून को लेकर कोई खौफ है। एक बार उन्होंने कहा था कि बिहार की जनता जाति और धर्म के आधार अपराधियों का समर्थन करती है। इसी साल फरवरी में उन्होंने कहा था कि शराब का अवैध धंधा पुलिस के संरक्षण में होता है।

नीतीश के करीबी हैं गुप्तेश्वर पांडेय

नीतीश के करीबी हैं गुप्तेश्वर पांडेय

गुप्तेश्वर पांडेय को नीतीश कुमार का करीबी माना जाता है। एक बार डीजीपी के पद पर रहते उन्होंने कहा था कि नीतीश कुमार विकास पुरुष हैं। उनके इस बयान पर नीतीश कुमार ने जवाब दिया था, वे भाषण तो बहुत अच्छा करते हैं लेकिन अगर इतना ही ध्यान शराबबंदी को सख्ती से लागू करने पर लगाते तो अच्छा होता। एक्टर सुशांत सिंह मौत मामले में उन्होंने पुलिस अधिकारी की बजाय नेता की तरह बयान दिये। जब बिहार पुलिस ने सुशांत केस की जांच शुरू की तो उनकी सक्रियता सुर्खियों में रही। उन्होंने अपने बयानों से बिहारी सेंटिमेंट को जगाकर लोगों के दिलों में जगह बनाने की कोशिश की। उनका एक बयान बहुत चर्चा में रहा था जिसमें उन्होंने कहा था, रिया चक्रवर्ती की औकात नहीं कि वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर टिप्पणी करें। बाद में इस बयान के लिए उन्हें माफी भी मांगनी पड़ी। उस समय उनकी अतिसक्रियता देख कर कहा जा रहा था कि गुप्तेश्वर पांडेय कुछ बड़ा करने के लिए ही लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचने की कोशिश कर रहे हैं। सुशांत केस के चलते उन्हें पूरा देश जान गया। चुनाव लड़ने के पहले उन्होंने अच्छी जमीन तैयार की। अगर वे चुनाव में सुशांत कार्ड खेलें तो इसमें कोई हैरानी नहीं होगी।

Gupteshwar Pandey : घर में चोरी हुई तो बने IPS, हत्या के सबूत खोजने के लिए नदी में कूदे बिहार DGPGupteshwar Pandey : घर में चोरी हुई तो बने IPS, हत्या के सबूत खोजने के लिए नदी में कूदे बिहार DGP

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English summary
Gupteshwar Pandey: A DGP who became a 'leader' while in a job
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