गोपाल जी : 19 साल का वो वैज्ञानिक जिसने देश के लिए 3 बार ठुकराया नासा का ऑफर
भागलपुर।
बिहार
के
भागलपुर
जिले
के
ध्रुबगंज
गांव
में
19
साल
पहले
किसान
प्रेमरंजन
कुंवर
के
घर
पैदा
हुए
बेटे
गोपाल
जी
के
बारे
में
किसी
ने
सोचा
भी
नहीं
था
कि
वो
एक
दिन
दुनियाभर
की
सुर्खियों
में
रहेगा।
वजह
यह
है
कि
छोटी
सी
उम्र
में
गोपाल
ने
अपनी
प्रतिभा
के
बूते
अमेरिका
तक
में
अपनी
छाप
छोड़ी
है।
देहरादून लैब में शोध कर रहे हैं गोपाल
अमेरिका की स्पेश एजेंसी नासा में काम करने का हर कोई ख्वाब देखता है, मगर बिहार के इस युवा वैज्ञानिक गोपाल जी ने नासा का ऑफर तीन बार सिर्फ इसलिए ठुकरा दिया कि भारत में ही रहकर देश के लिए कुछ करना है। फिलहाल गोपाल देहरादून में बनी लैब में शोध और अनुसंधान कर रहे हैं।
जब बाढ़ ने मचाई तबाही
बिहार की राजधानी पटना से 223 किलोमीटर दूर स्थित गांव ध्रुबगंज के गोपाल की कामयाबी का सफर बेहद मुश्किल भरा रहा है, मगर विपरित हालात में भी गोपाल ने हार नहीं मानी। वर्ष 2008 में गोपाल का गांव भीषण बाढ़ की चपेट में आ गया था। सब कुछ बर्बाद हो चुका था, लेकिन गोपाल ने पढ़ाई जारी रखी। वर्ष 2014 में दसवीं उत्तीर्ण की। उस दौरान बायो सेल की खोज करके गोपाल ने सबको चौंका दिया था। उस खोज के लिए गोपाल को इंस्पायर्ड अवार्ड भी मिला था।
सबसे बड़े साइंस फेयर से बुलावा
30 जनवरी से 8 फरवरी 2020 तक आबूधाबी में विश्व का सबसे बड़ा साइंस फेयर हो रहा है। इसमें गोपाल को बतौर मुख्य वक्ता आमंत्रित किया गया है। आबूधाबी साइंस फेयर 2020 में दुनिया से करीब छह हजार से ज्यादा वैज्ञानिक शामिल हो रहे हैं। छोटे से गांव के गोपाल की प्रतिभा के दम पर उसे आबूधाबी साइंस फेयर 2020 में बुलाया जाना हर किसी के लिए गौरवशाली है।
पीएम मोदी ने भेजा एनआईएफ अहमदाबाद
बचपन से मेधावी रहे गोपाल को अपने आविष्कारों के चलते वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने का मौका मिला। पीएम मोदी ने उसे अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए राष्ट्रीय नवप्रर्वतन प्रतिष्ठान अहमदाबाद (एनआईएफ) भेज दिया। वहां पर गोपाल ने छह आविष्कार किए।
झारखंड में विकसित करना चाहते हैं लैब
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक गोपाल की गिनती दुनिया के 30 स्टार्टअप साइंटिस्ट में भी होती है। गोपाल विदेश जाकर नासा या कोई अन्य संस्था ज्वाइन करने की बजाय हिन्दुस्तान में ही रहकर शोध करना चाहते हैं। गोपाल का सपना झारखंड में लैब विकसित करके शोध करने का है। ये हर साल सौ बच्चों की मदद करना चाहते हैं। अब तक 8 बच्चों के आविष्कारों का पेटेंट भी करा चुके हैं।
बिहार के गोपाल के आविष्कार
1. हाइड्रो इलेक्ट्रिक बायो सेल- इस डिवाइस से 50 हजार वोल्ट बिजली स्टोर की जा सकती है।
2.
पेपर
बायो
सेल-
वेस्टेज
पेपर
से
बिजली।
3.
जी
स्टार
पाउडर-
इसे
लगाकर
5
हजार
डिग्री
सेल्सियस
का
हीट
गेन
किया
जा
सकता
है।
4.
बायोडिग्रेडेबल
प्लास्टिक-
केले
के
थंब
से
बायोडिग्रेडेबल
प्लास्टिक
बनाया
गया
है।
इसका
इस्तेमाल
करने
के
बाद
यह
खुद-ब-खुद
खाद
बन
जाएगा।
खेतों
में
इसका
इस्तेमाल
हो
सकेगा।
5.
सोलर
माइल-
सोलर
एनर्जी
और
विंड
एनर्जी
को
मिलाकर
इसे
बनाया
गया
है।
2
किमी
की
रफ्तार
से
हवा
चलने
पर
भी
बिजली
स्टोर
की
जा
सकेगी।
6.
बनाना
नैनो
फाइबर
एंड
क्रिस्टल-
केले
के
थंब
से
नैनो
फाइबर
बनाया।
उससे
जैल
बना।
इससे
डाइपरी
प्रोडक्ट
बनेंगे।
फाइबर
से
बुलेट
प्रूफ
जैकेट
बनाया
जा
सकेगा।
केले
के
पत्ते
से
टिशू
पेपर,
फाइल
कवर
और
कार्टन
बनाया
जा
सकेगा।
लिक्विड
से
हेयर
डाई
बनाया
जा
सकेगा।
इसे
एक
बार
लगाने
से
हमेशा
के
लिए
बाल
काले
हो
जाएंगे।
केले
के
थंब
से
ईंटें
बनाई
जाएंगी।
इससे
बने
मकान
पानी
पर
तैरेंगे।
गर्मी
में
एसी
की
जरूरत
नहीं
पड़ेगी।
लिक्विड
से
इलेक्ट्रिक
बैटरी
बनाई
है
जो
दस
गुना
ज्यादा
पावरफुल
है।
7.
गोपोनियम
एलोय-
किसी
भी
हीट
पर
इसका
रूप
नहीं
बदलता।
इसमें
कई
एलिमेंट
का
प्रयोग
किया।
इसे
इस्तेमाल
कर
सूर्य
पर
भी
जाया
जा
सकता
है।
8
गोपालासका-
न्यूक्लियर
अटैक
से
पैदा
रेडिएशन
को
कम
करेगा।
अब
5
सालों
में
ही
इसका
असर
खत्म
किया
जा
सकेगा।
जबकि
अभी
न्यूक्लियर
अटैक
का
रेडिएशन
सौ
सालों
तक
रहता
है।
IPS SangaRam Jangir : कभी चराते थे बकरियां, 7 km दूर से लाते थे पानी, अब इन पर बनी फिल्म 'सूर्यवंशी'