बिहार: भीख मांगकर गुजारा करने वाली इन दो महिलाओं ने घर में बनवाया शौचालय, समाज के लिए बनी मिसाल
गोपालगंज। बिहार के गोपालगंज में गुरुवार को दो महिलाओं को जिलाधिकारी ने सम्मानित किया। यह सम्मान उनको यूं ही नहीं मिल गया। गुरुवार को सदर प्रखंड के कोंहवा पंचायत को दो महिलाओं ने खुले में शौच से मुक्त किया है। इन महिलाओं ने गरीबी के बावजूद स्वच्छ भारत अभियान के तहत अपने घरों में शौचालय बनवाया। वजह थी मात्र खुले में शौच ना करना और अपने आस-पास के इलाकों को स्वच्छ और साफ रखना।
साल 2014 में जब केंद्र में मोदी सरकार का आगमन हुआ था उस वक्त नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान का नारा दिया था। अगर आज आपको इसका असर देखना है तो आप गोपालगंज की कोंहवा पचायत में देख सकते हैं। यहां भीख मांगकर गुजारा करने वाली दो महिलाओं ने इस अभियान के तहत अपने घरों में शौचालय बनवा लिया है। 55 वर्षीय मेहरून खातून और 60 वर्षीय जगरानी देवी भीख मांगकर किसी तरह गुजर-बसर करती हैं। लेकिन उनके द्वारा किया गया यह काम बेहद सराहनीय है।
केंद्र सरकार की स्वच्छ भारत मिशन और बिहार सरकार की लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान जिसमें खुले में शौच से मुक्ति का अभियान हर गांव में चलाया जा रहा है। इन दोनों महिलाओं को जब इस अभियान के बारे में पता चला तो ये इससे बहुत प्रभावित हुईं। इसका असर ये हुआ की भीख मांगकर किए गए बचत के पैसों से इन्होंने अपने घरों में टॉयलेट निर्माण करवा दिया।
समाज के लिए मिसाल बनने वाली इन दो महिलाओं को डीएम अनिमेष कुमार पराशर ने इनके द्वारा किए गए सराहनीय काम के लिए मौके पर न सिर्फ सम्मानित किया, बल्कि आम लोगों से भी इसपर अमल करने की अपील की।
जिलाधिकारी जब महिलाओं को सम्मानित कर रहे थे तब मेहरून खातून ने बताया कि भीख मांगने की वजह से उन्हें या उनके परिवार को समाज में कभी सम्मान नहीं मिला। समाज के सभी लोग उन्हें नीची निगाह से देखा करते थे लेकिन स्वच्छ भारत अभियान के लिए इस पहल ने उनका दर्जा बढ़ा दिया है। लोग अब इन दोनों महिलाओं को सम्मान की नजरों से देखते हैं।
दूसरी महिला जगरानी देवी ने भी अपनी आर्थिक हालत के बावजूद घर में शौचालय बनवाकर लोगों के लिए एक मिसाल कायम कर दिया है। इनका ये सराहनीय काम किसी भाषा का मोहताज नहीं है। क्योंकि इस बार इनके काम ने इनके संदेश को लोगों तक पहुंचा दिया है। दोनों ही महिलाओं ने अपनी कार्यशैली से लोगों को एक सबक दिया है कि स्वच्छता के लिए बस जज्बे की जरुरत है, न कि सिर्फ पैसों की।
ये भी पढ़ें- यूपी: हजरतगंज चौराहे के बाद अब इस विश्वविद्यालय का बदला जाएगा नाम, सरकार ने किया ऐलान