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शाहीनबाग से चर्चा में आयी फौजिया राना किशनगंज या बिहारशरीफ से लड़ सकती हैं चुनाव !

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फौजिया राना किशनगंज या बिहारशरीफ से लड़ सकती हैं चुनाव!

बिहार चुनाव में शाहीनबाग आंदोलन का राजनीतिक इस्तेमाल शुरू हो गया है। सीसीए के खिलाफ दिल्ली के शाहीनबाग और लखनऊ के घंटाघर आंदोलन से सुर्खियां बटोरी वाली फौजिया राना अब कांग्रेस पार्टी से बिहार में चुनाव लड़ने वाली हैं। फौजिया राना भारत के मशहूर शायर मुनव्वर राना की बेटी हैं। वे पटना से 70 किलोमीटर दूर बाढ़ शहर में अपने बच्चों के साथ रहती हैं। फौजिया राना कल ही कांग्रेस में शामिल हुई हैं। सीसीए और एनआरसी आंदोलन के बहाने फौजिया पिछले आठ-दस महीने से बिहार में अपनी राजनीतिक जमीन तैयार कर रही थीं। माना जा रहा है कि वे किशनगंज, बिहारशरीफ या भागलपुर की सीट से चुनाव लड़ सकती है। चूंकि इस बार कांग्रेस साठ-पैंसठ सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। इसलिए उसने जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश में चर्चित चेहरों पर नजर गड़ा दी है। फौजिया राना इसी तलाश की एक कड़ी हैं।

फौजिया राना एक्टिविस्ट से बनी कांग्रेस की नेता

फौजिया राना एक्टिविस्ट से बनी कांग्रेस की नेता

फौजिया राना बाढ़ (पटना) में रहती हैं जब कि उनके पिता मुनव्वर राना उनकी बड़ी बहन सुमैया के साथ लखनऊ में रहते हैं। फौजिया का बाढ़ से लखनऊ आना जाना लगा रहता है। जब जनवरी में उनके बच्चों के स्कूल में छुट्टी थी तब वे बाढ़ से लखनऊ गयीं थी। लखनऊ पहुंचने के बाद वे घंटाघर पर आयोजित धरना में शामिल हुईं थीं। दिसम्बर 2019 में जब दिल्ली के शाहीनबाग में एनआरसी और सीसीए के खिलाफ धरना शुरू हुआ तो उसकी देखा-देखी देश के अन्य शहरों में महिलाएं आंदोलन करने लगीं। उस समय सुमैया और फौजिया ने दिल्ली के शाहीनबाग जा कर इस आंदोलन का समर्थन किया। दोनों बहनों ने लखनऊ के घंटाघर पर इस आंदोलन का नेतृत्व किया। इसके चलते सुमैया और फौजिया पर मुकदमे भी दर्ज हुए। उस वक्त फौजिया राना ने बिहार के कई शहरों में घूम- घूम कर इस आंदोलन में भागीदारी की थी। मुनव्वर राना भी अपनी बेटियों की इस मुहिम में शामिल रहे। अन्होंने फरवरी 2020 में कहा था, मुझ पर FIR करो क्यों कि मैंने बागी बेटियां पैदा की हैं। मार्च 2020 में फौजिया ने किशनगंज का दौरा किया था। किशनगंज के मजार चौक पर आयोजित एनसीआर-एनपीआर विरोधी धरना में शामिल भी हुईं थीं। इसके पहले उन्होंने बिहारशरीफ और भागलपुर का दौरा किया था। अब माना जा रहा है कि फौजिया फरवरी-मार्च के दौरान राजनीतिक जमीन की तलाश में ही किशनगंज, भागलपुर और बिहारशरीफ गयीं थीं।

क्या कांग्रेसी है मुनव्वर राना परिवार ?

क्या कांग्रेसी है मुनव्वर राना परिवार ?

फौजिया ने इस साल फरवरी में पटना में कहा था, शाहीनबाग एक गैरराजनीति आंदोलन है जो धार्मिक भेदभाव के खिलाफ है। हम आम लोग संविधान को बचाने के लिए ये धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं, इसका किसी राजनीतिक दल से कोई वास्ता नहीं है। लेकिन अब फौजिया राना ने कांग्रेस का दामन थाम कर बता दिया है कि उनके पहले से राजनीतिक सरोकार रहे हैं। फौजिया ने इस बात का भी खुलासा किया है कि उनका परिवार पहले से कांग्रेस समर्थक रहा है। उन्होंने कहा कि जहां इज्जत मिलती है, इंसान वहीं जाता है। कांग्रेस पार्टी ने मुझे इज्जत बख्शी है। पार्टी कहेगी तो मैं चुनाव भी लड़ूंगी। चूंकि मुनव्वर राना की पैदाइश रायबरेली की है इसलिए उनका परिवार नेहरू-गांधी परिवार का समर्थक रहा है। 2016 में जब मुनव्वर राना की मां आयशा खातून की रायबरेली में मौत हो गयी थी तब सोनिया गांधी मातमपुर्सी के लिए उनके घर पर गयीं थीं। मुनव्वर राना अपनी मां से बहुत गहरे जुड़े हुए थे। मां पर लिखी उनकी शायरी साहित्य की अनमोल रचना है।

फौजिया की राजनीति संभावनाएं

फौजिया की राजनीति संभावनाएं

फौजिया बाढ़ में रहती हैं। बाढ़ पटना जिले का एक अनुमंडल शहर है। बाढ़ से बिहारशरीफ नजदीक है। बिहारशरीफ विधानसभा क्षेत्र में अल्पसंख्यक वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यहां से 1985 में कांग्रेस के शकीलउज्जमा विधायक चुने जा चुके हैं। 2000 में यहां राजद के नौशादुनबी जीते थे। फिलहाल यह सीट भाजपा के डॉ. सुनील कुमार के पास है। फौजिया के लिए यह एक मुफीद सीट है। किशनगंज भी फौजिया के लिए अनुकुल सीट हो सकती है। 2015 में इस सीट पर कांग्रेस के डॉ. जावेद जीते ते। 2019 में उनके सांसद बन जाने से जब यह सीट खाली हुई तो उपचुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम के कमरुल होदा ने यहां से जीत हासिल की। ओवैसी ने यह सीट कांग्रेस से छीन ली थी। अब कांग्रेस इस सीट को फिर पाने के लिए फौजिया राना का दांव खेल सकती है। फौजिया सीएए आंदोलन के जरिये एक युवा मुस्लिम चेहरा बन चुकी हैं। ऐसे में उनकी किशनगंज में मौजूदगी कांग्रेस को मजबूत बना सकती है। भागलपुर अल्पसंख्यक बहुत सीट है। इस सीट पर कांग्रेस का ही कब्जा है। वहां से अजीत शर्मा विधायक हैं। उनका टिकट बरकरार रहने की संभावना है क्यों कि कांग्रेस ने सभी सीटिंग विधायकों को फिर मौका देने की बात कही है। इसलिए फौजिया के भागलपुर से लड़ने की कम ही उम्मीद है। फौजिया राना के किशनगंज या बिहारशरीफ से चुनाव लड़ने की संभावना अधिक है।

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English summary
Faujiya Rana,famous with Shaheenbagh, can contest elections from Kishanganj or Bihar Sharif!
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