सेनारी में हुआ था 34 लोगों का नरसंहार, अदालत से 10 को मिली मौत की सजा
1999 में ऊंची जातियों के लोगों पर नक्सलियों ने किया था हमला। सतरह साल बाद इस नरसंहार पर कोर्ट ने दिया फैसला।
सेनारी। बिहार में जहानाबाद के सेनारी नरसंहार कांड की सुनवाई करते हुए जिला अदालत ने 17 साल बाद फैसला सुनाते हुए 10 दोषियों को मौत की सजा सुनाई है।
34 लोगों के इस बहुचर्चित नरसंहार कांड के तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा दी गई है और उन पर एक-एक लाख रुपए जुर्माना लगाया गया है। इस केस में दो दोषी फरार हैं।
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मृतकों के परिवार को पांच लाख का मुआवजा
कोर्ट ने फैसले में इस नरसंहार में मारे गए लोगों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है। कोर्ट के फैसले के मुताबिक, घायलों को एक-एक लाख रुपए मुआवजा दिए जाएंगे।
अदालत के फैसले का इलाके के लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे थे और मंगलवार को कोर्ट परिसर में इसको लेकर काफी हलचल रही।
केस में 23 आरोपी को कोर्ट ने रिहा किया
इस केस के कुल 70 आरोपियों में से 4 की मौत हो चुकी है। कोर्ट पहले ही 20 आरोपियों को बरी कर चुकी थी और मंगलवार के फैसले में 23 अन्य आरोपियों को दोषमुक्त किया गया। एक अन्य दोषी की सजा अदालत 18 नवंबर को तय करेगी।
1999 में हुआ था यह नरसंहार
18 मार्च 1999 को भारी संख्या में आए नक्सलियों ने सेनारी गांव की घेराबंदी की। उसके बाद ऊंची जाति के लोगों को घर से खींचकर बाहर निकाला और ठाकुरबाड़ी मंदिर के पास ले गए।
वहां नक्सलियों ने लोगों का गला रेतकर उनकी लाशों को गड्ढे में फेंक दिया। कुल 34 लोग इस नरसंहार में मारे गए।इस घटना में प्रतिबंधित संगठन एमसीसी का हाथ माना जाता है।
सजा के बाद गांव में पुलिस की सुरक्षा
इस नरसंहार ने इलाके के लोगों को हिला कर रख दिया था और आज भी उस घटना को यादकर लोगों की रूह कांप जाती है।
अदालत के सजा सुनाने के बाद इलाके में पुलिस की सतर्कता बढ़ा दी गई है। सेनारी गांव में पुलिस के जवान तैनात हैं ताकि बदले की कोई कार्रवाई न हो।
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