बिहार के मुजफ्फरपुर में लीची खाने से हुई सैकड़ों बच्चों की मौत पर वैज्ञानिकों ने किया खुलासा
वैज्ञानिकों ने 300 से ज्यादा बच्चों पर टेस्ट किए और पाया कि उनमें लो-ब्लड शुगर की समस्या पाई गई। मुजफ्फरपुर स्थित मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती कराए गए 350 में से 122 बच्चों की मौत इसी वजह से हुई।
पटना। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में लीची खाने से हो रही बच्चों की मौतों को लेकर अब खुलासा हुआ है। कई सालों तक बच्चों की मौतों के पीछे कारण का पता नहीं चल सका था और लगातार बच्चों की मौत हो रही थी। देश में लीची का सबसे ज्यादा उत्पादन बिहार में होता है। लीची खाने से कुपोषित बच्चों की मौत के कई मामले सामने आने के बाद इसकी जांच शुरू की गई थी। 1995 में पहली बार सामने आए मामलों के बाद साल 2014 तक हर साल लीची खाने की वजह से 100 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई।
खाली
पेट
लीची
खाने
से
होती
है
ये
समस्या
मामले
की
जांच
कर
रहे
राष्ट्रीय
रोग
नियंत्रण
केंद्र
और
अमेरिकी
रोग
नियंत्रण
और
निषेध
सेंटर
की
संयुक्त
जांच
में
पता
चला
है
कि
लीची
में
मौजूद
केमिकल
की
वजह
से
बच्चों
की
मौत
हो
रही
थी।
जांच
में
पता
चला
कि
खाली
पेट
लीची
खाने
से
केमिकल
की
वजह
से
हाइपोग्लाइसेमिया
या
लो-ब्लड
शुगर
की
समस्या
हो
जाती
है।
लीची
में
प्राकृतिक
रूप
से
पाए
जाने
वाले
केमिकल
methylenecyclopropylglycine
(MPCG)
की
वजह
से
यह
समस्या
ज्यादा
होती
है।
इससे
बच्चों
को
दिमागी
बुखार
और
दौरे
पड़ने
लगते
हैं।
दो
दशकों
तक
मुजफ्फरपुर
के
बच्चों
को
मौत
के
मुंह
में
धकेलने
वाली
इस
समस्या
की
तरह
पश्चिम
बंगाल
के
मालदा
में
भी
ऐसे
ही
मामले
सामने
आए
थे।
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केले
के
छिलके
हटाने
पर
निकले
नोटों
के
बंडल,
दंग
रह
गए
लोग
300
से
ज्यादा
बच्चों
पर
किया
गया
टेस्ट
'द
लैनसेट'
में
छपी
रिपोर्ट
में
बताया
गया
कि
रात
में
बिना
खाना
खाए
सोने
से
शरीर
में
हाइपोग्लाइसीमिया
या
लो-ब्लड
शुगर
की
समस्या
बढ़ती
है।
वैज्ञानिकों
ने
300
से
ज्यादा
बच्चों
पर
टेस्ट
किए
और
पाया
कि
उनमें
लो-ब्लड
शुगर
की
समस्या
पाई
गई।
मुजफ्फरपुर
स्थित
मेडिकल
कॉलेज
और
अस्पताल
में
भर्ती
कराए
गए
350
में
से
122
बच्चों
की
मौत
इसी
के
चलते
हुई
थी।