तो क्या BJP-JDU के इशारे पर हुई चिराग के खिलाफ बगावत? जानिए पर्दे के पीछे की पूरी कहानी
तो क्या BJP-JDU के इशारे पर हुई चिराग के खिलाफ बगावत? जानिए पर्दे के पीछे की पूरी कहानी
पटना, 15 जून: बिहार की राजनीति में सोमवार को उस वक्त एक बड़ा मोड़ आ गया, जब लोक जनशक्ति पार्टी के 6 सांसदों में से पांच ने पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पांचों सांसद सोमवार को स्पीकर ओम बिड़ला से मिले और रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में पार्टी का नया नेता चुन लिया गया। सूत्रों की मानें तो लोक जनशक्ति पार्टी में हुई इस बगावत और नेतृत्व परिवर्तन के पीछे भाजपा और जेडीयू की बड़ी भूमिका रही। वहीं, बताया जा रहा है कि चिराग पासवान के लिए यह झटका केवल एक शुरुआत है और जल्द ही उन्हें पार्टी में भी हाशिए पर डालने की तैयारी है।
भाजपा-जेडीयू के बड़े नेताओं ने तैयार की स्क्रिप्ट
एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, लोक जनशक्ति पार्टी में सोमवार को जो कुछ हुआ, वो पूरी तरह से एक योजनाबद्ध कदम था और पर्दे के पीछे से इसकी स्क्रिप्ट भाजपा और जेडीयू के बड़े नेताओं ने मिलकर तैयार की थी। दरअसल, पिछले साल हुए बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने खुलकर नीतीश कुमार की खिलाफत की, जिसके नतीजे के तौर पर एनडीए के वोटों का बंटवारा हुआ। इसके बाद से ही भाजपा और जेडीयू के नेता चिराग पासवान को एनडीए की एकता में एक बडी़ रुकावट मान रहे थे। बिहार चुनाव के दौरान जेडीयू को इस बात का भी शक था कि चिराग पासवान ने भाजपा के इशारे पर ही अलग मैदान में उतरने का ऐलान किया है और इसीलिए नीतीश कुमार ने चुनाव के बाद चिराग पासवान के साथ एनडीए में बने रहने से पूरी तरह इंकार कर दिया।
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नीतीश को NDA में किसी कीमत पर मंजूर नहीं चिराग!
नीतीश ने भाजपा नेतृत्व के सामने स्पष्ट कर दिया था कि वो नहीं चाहते कि चिराग पासवान एनडीए की किसी भी बैठक में शामिल हों, या उनका बीजेपी और केंद्र से कोई संबंध रहे। चिराग पासवान के खिलाफ नीतीश कुमार की नाराजगी की एक झलक उस वक्त दिखी, जब जनवरी में बजट सत्र शुरू होने से पहले संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने चिराग को एनडीए की बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। इस बात को लेकर जेडीयू के नेताओं ने भाजपा के समक्ष कड़ी नाराजगी जताई और आखिरकार चिराग पासवान का निमंत्रण रद्द कर दिया। चिराग का निमंत्रण रद्द होने के बाद ही जेडीयू इस बैठक में शामिल हुई।
कुछ इस तरह से थी 'तख्ता-पलट' की पुख्ता तैयारी
चिराग पासवान को दूसरा झटका उस वक्त दिया गया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में विस्तार की चर्चा चली। रामविलास पासवान के निधन के बाद चिराग पासवान को मोदी कैबिनेट में शामिल करना लगभग तय माना जा रहा था। लेकिन, ठीक इसी वक्त जेडीयू की तरफ से केंद्रीय कैबिनेट में एक मंत्री पद की मांग उठी। हालांकि, बाद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ असहमति के चलते नीतीश ने इस मांग को वापस ले लिया। सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार केंद्रीय कैबिनेट में चिराग पासवान के साथ अपनी पार्टी की साझेदारी नहीं चाहते थे। ऐसी स्थिति में जेडीयू के वरिष्ठ नेता लल्लन सिंह और भाजपा के एक राज्यसभा सांसद ने इस मुद्दे को लेकर लोक जनशक्ति पार्टी के सांसदों से संपर्क साधा। इसके बाद लोक जनशक्ति पार्टी के संविधान का अध्ययन किया गया, ताकि फैसले को कानूनी रूप से चुनौती ना दी जा सके।
महेश्वर प्रसाद हजारी ने निभाया सबसे बड़ा रोल
सूत्रों के मुताबिक, बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष और जेडीयू नेता महेश्वर प्रसाद हजारी ने इसमें सबसे अहम भूमिका निभाई। महेश्वर प्रसाद हजारी इससे पहले लोक जनशक्ति पार्टी के विधायक रह चुके हैं और पासवान परिवार से उनके काफी नजदीकी संबंध हैं। शनिवार को बेहद गुप्त तौर पर पटना में एक बैठक रखी गई, जिसमें चिराग पासवान को लोकसभा में नेता पद से हटाने का फैसला हुआ। इससे पहले पशुपति कुमार पारस के पास संदेश भेज दिया गया था कि वो बिहार और केंद्र में एनडीए का हिस्सा तभी बन पाएंगे, जब चिराग पासवान के हाथ में कमान नहीं होगी। लंबी चर्चा के बाद एक समझौता फाइनल हुआ और रविवार रात को शुरू हुई बगावत के बाद एलजेपी सांसदों को स्पीकर से मिलवाने की जिम्मेदारी बिहार के एक भाजपा सांसद को सौंपी गई।
नीतीश को लेकर थे चिराग और पशुपति में मतभेद
सोमवार शाम को, स्पीकर ने लोकसभा में चिराग पासवान के स्थान पर पशुपति कुमार पारस को एलजेपी के नेता के तौर पर स्वीकार कर लिया। अपने भाई रामविलास पासवान के दाहिने हाथ कहे जाने वाले पशुपति कुमार पारस और चिराग के बीच नीतीश कुमार को लेकर मतभेद विधानसभा चुनाव के बाद से ही पैदा हो गए थे। बिहार विधानसभा चुनाव में भी पशुपति कुमार पारस ने नीतीश कुमार के खिलाफ जाने के चिराग के फैसले का विरोध किया था।
अब क्या होगा अगला कदम?
सूत्रों का कहना है कि बहुत जल्द लोक जनशक्ति पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें पशुपति कुमार पारस को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाएगा। फिलहाल यह पद चिराग पासवान के पास है। इसके साथ ही जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट का विस्तार होगा, तो पशुपति कुमार पारस को मंत्री पद दिया जा सकता है। बताया यह भी जा रहा है कि एलजेपी को बिहार सरकार में भी शामिल किया जा सकता है। हालांकि बिहार में एलजेपी का कोई विधायक नहीं है, लेकिन विधान परिषद के जरिए नीतीश सरकार में एलजेपी की एंट्री कराए जाने के कयास हैं।
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