सुशील मोदी क्या केन्द्र में वित्त मंत्री बनाये जा सकते हैं?
सुशील कुमार मोदी ने राज्यसभा उपचुनाव के लिए नॉमिनेशन कर दिया है। एनडीए के संख्याबल के हिसाब से उनका चुना जाना तय है। भाजपा ने उन्हें केन्द्र में अहम जिम्मेदारी देने का संकेत दिया है। सुशील कुमार मोदी करीब 14 साल तक बिहार के वित्त मंत्री रहे हैं। जीएसटी कानून का ड्राफ्ट बनाने में उनकी अहम भूमिका रही है। इनको वित्तीय मामलों की गहरी समझ है। योग्यता भी निर्विवाद है। क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उन्हें वित्त या वाणिज्य विभाग से जुड़े मंत्रालय की जिम्मेदारी दे सकते हैं ? सुशील मोदी को जब बिहार में डिप्टी सीएम नहीं बनाया गया था उसी समय से नरेन्द्र मोदी कैबिनेट के विस्तार की चर्चा चल रही है।
जीएसटी के जानकार
सुशील कुमार मोदी जीएसटी नेटवर्क के लिए बनी मंत्रियों के समूह के अध्यक्ष रहे हैं। 2019 में जब 67 लाख नये करदाताओं ने जीएसटी के लिए रजिस्ट्रेशन कराया तो जीओएम का अध्यक्ष होने के नाते उन्होंने इसका सुक्ष्म विश्लेषण किया। मोदी ने कहा था कि 67 लाख नये करदाताओं का कुल जीएसटी में केवल 15 फीसदी ही योगदान है। इसलिए इस बात की जांच करायी जाएगी कि कहीं फर्जी कंपनियों ने तो रजिस्ट्रेशन नहीं करा लिया है। उनकी पहल पर बिहार में जीएसटी निबंधन का फर्जीवाडा करने वाले 20 व्यापारियों के ठिकानों पर छापेमारी भी हुई थी। सुशील मोदी की सक्रियता से बिहार 2019-20 में जीएसटी संग्रह करने वाला देश का नम्बर एक राज्य बना था। तब बिहार ने वस्तु एवं सेवा कर के संग्रह में 18 फीसदी की बढोतरी हासिल की थी।
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जीएसटी पर बने जीओएम के अध्यक्ष रहे
2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सुशील कुमार मोदी को जीएसटी मसौदा कमेटी का अध्यक्ष बनाया था। जीएसटी का मसौदा बनाने के लिए राज्य के वित्त मंत्रियों की एक उच्चाधिकार कमेटी बनायी गयी थी जिसके अध्यक्ष पश्चिम बंगाल के असीम दासगुप्ता थे। 2011 में वाम मोर्चा पश्चिम बंगाल की सत्ता से बेदखल हो गया तो असीम दासगुप्ता को यह पद छोड़ना पड़ा। इसके बाद सुशील मोदी को यह पद मिला। लेकिन 2013 में जब नीतीश कुमार ने भाजपा को सरकार से अलग कर दिया तो फिर सुशील मोदी को भी जीएसटी पर बनी मंत्री समूह के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा। 2017 में मोदी की इस पद फिर तब वापसी हुई जब नीतीश कुमार ने दोबारा भाजपा के साथ सरकार बनायी। सुशील मोदी बिहार के वित्त मंत्री की हैसियत से इस पद पर थे। चूंकि अब ये पद उनके पास नहीं है इसलिए वे एक बार फिर इस जिम्मेदारी से मुक्त हो गये हैं। अब ये माना जा रहा है कि केन्द्र सरकार जीएसटी पर उनके व्य़ापक अनुभव का लाभ उठाने के लिए कोई बड़ी जिम्मेदारी देने वाली है। भाजपा यह स्थापित करना चाहेगी कि सुशील मोदी का बिहार से दिल्ली आना, डिमोशन नहीं बल्कि प्रोमोशन है।
क्या वित्त मंत्रालय में बदलाव होगा?
वित्त मंत्रालय की जिम्मेवारी अभी निर्मला सीतारमण के पास है। वाणिज्य मंत्रालय पीयूष गोयल के पास है। ऐसे में सुशील मोदी को कैसे एडजस्ट किया जाएगा ? कोरोना संकट के कारण देश की अर्थ व्यवस्था बिल्कुल डंवाडोल है। न्यूज एजेंसी रायटर के एक सर्वे के मुताबिक भारत में अब तक की यह सबसे बड़ी मंदी है जो लगभग पूरे साल बरकरार रहने वाली है। अगस्त 2020 के दौरान जीडीपी में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गयी थी। वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही के दौरान जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी थी जो 40 साल में सबसे से बड़ी थी। तब सोशल मीडिया पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की इस्तीफे की जोरदार मांग उठी थी। नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल की विस्तार की चर्चा चल रही है। हो सकता है कि नरेन्द्र मोदी आर्थिक क्षेत्र में बेहतर नतीजे हासिल करने के लिए वित्त विभाग में बदलाव करें।
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बिहार के एक नेता प्रतिपक्ष बन चुके हैं वित्त मंत्री
आइएएस अफसर रहे यशवंत सिन्हा जब राजनीति में आये थे तो उनकी शुरुआत जनता दल से हुई। 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने उन्हें वित्त मंत्री बनाया था। फिर वे भाजपा में आ गये। 1995 के बिहार विधानसभा चुनाव में यशवंत सिन्हा ने भाजपा के टिकट पर रांची से चुनाव लड़ कर जीत हासिल की थी। 1995 में वे भाजपा विधायक दल के नेता चुने गये जिससे उनको नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी मिली थी। उसके बाद यशवंत सिन्हा ने 1998 का लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते भी। जब केन्द्र में अटलबिहारी वाजपेयी की सरकार बनी तो यशवंत सिन्हा को वित्त मंत्री बनाया गया था। सुशील मोदी भी लगातार आठ साल बिहार में नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। इनकी भी शैक्षिक पृष्ठभूमि बहुत मजबूत है। क्या उन्हें वित्त मंत्रालय की जिम्मेवारी मिल सकती है ?