कोरोना मरीज ठीक होने के मामले में बिहार का देश में दूसरा स्थान
पटना। कोरोना मरीजों के ठीक होने के मामले में बिहार का देश में दूसरा स्थान है। कुल 32 मरीजों में 9 ठीक हो कर घर जा चुके हैं। यानी बिहार में 28 फीसदी कोरोना मरीज इलाज के बाद ठीक हुए। इस मामले में पहला स्थान छत्तीसगढ़ का है। छत्तीसगढ़ में 10 कोरोना मरीजों में से 8 ठीक हुए हैं। बिहार में राहत की बात ये है कि रविवार और सोमवार को कोरोना का कोई मरीज नहीं मिला। इन दो दिनों में जांच के सभी नमूने निगेटिव पाये गये। जो मरीज ठीक हो कर घर गये हैं उन्हें अभी 14 दिनों के होम क्वारेंटाइन में रहने की सलाह दी गयी है। बिहार में अभी 22 कोरोना मरीजों का अस्पतालों में इलाज चल रहा है।
बिहार के 10 जिलों में ही कोरोना का प्रभाव
बिहार के 38 में से 28 जिले कोरोना संक्रमण से मुक्त हैं। केवल 10 जिलों में कोरोना की बीमारी है। सबसे प्रभावित जिला मुंगेर है। यहां कोरोना पोजिटिव की संख्या 7 है। कोरोना से पहली मौत मुंगेर में ही हुई थी। उसकी वजह से ही मुंगेर छह अन्य लोग संक्रिमत हुए हैं। कोरोना मरीजों की दूसरी सबसे अधिक संख्या सीवान में रही। इस जिले के छह लोग इस बीमारी की चपेट में आये। सीवान के चार लोगों के अब ठीक होने की खबर है। पटना और गया में पांच पांच कोरोना मरीज पाये गये। पटना के भी चार लोग ठीक हो कर घर जा चुके हैं। गोपालगंज में तीन और नालंदा में दो मरीज हैं। बेगूसराय, सारण, लखीसराय और भागलपुर में एक एक मरीज हैं। बिहार में सोमवार तक कोरोना के 3689 सैंपल की ही जांच हुई थी जिसमें 32 पोजिटिव पाये गये। करीब 12 करोड़ की आबादी वाले राज्य में जांच का ये आंकड़ा बहुत कम है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि बिहार में कोरोना की जांच इतनी कम हुई है कि वास्तविक स्थिति का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। बिहार में जांच की प्रक्रिया बहुत धीमी है जब कि इससे छोटे राज्यों में दोगुने लोगों का चेकअप किया गया है।
विदेश से आये सभी लोगों की होगी दोबारा जांच
बिहार में अधिकतर कोरोना मरीज विदेश से आये लोग हैं। शुरू में विदेश से आये लोगों की जांच के नाम पर केवल थर्मल स्क्रीनिंग हुई थी। कई मामलों में कोरोना के लक्षण बाद में प्रगट हुए थे। इस लिए बिहार सरकार ने फैसला किया है कि 15 मार्च के बाद जो लोग विदेश से आये हैं उन सभी की दोबारा जांच होगी। 15 मार्च से 23 मार्च के बीच करीब साढ़े तीन हजार लोग विदेश से बिहार आये हैं। अगर पहले की जांच में इन लोगों की रिपोर्ट निगेटिव भी आयी होगी तब भी इनकी दोबारा स्क्रीनिंग होगी। सरकार कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती। दूसरी चुनौती तबलीगी जमात के वैसे लोग हैं जो राज्य में पहचान छिपा कर रह रहे हैं।
कम नहीं हुई हैं चुनौतियां
दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में शामिल होने वाले लोगों की संख्या भी ठीक ठीक नहीं मालूम है। पहले 86 जमातियों के बिहार आने की बाद कही गयी थी। फिर 165 लोगों के शामिल होने की सूचना आयी। मोबाइल लोकेशन के आधार पर यह संख्या और अधिक बतायी जा रही है। मोबाइल टावर के आधार पर 6000 नम्बरों का लोकेशन निजामुद्दीन मरकज के आसपास पाया गया था। केन्द्र सरकार ने ये छह हजार मोबाइल नम्बर बिहार भेजे थे। इनमें केवल 4597 नम्बर ही बिहार में रजिस्टर थे। अब बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति ने इन 4597 मोबाइल नम्बरों को सर्विलांस के लिए जिलों में भेज दिया है। लेकिन इनमें अधिकतर नम्बर बंद हैं। कई लोग बिहार ही नहीं पहुंचे हैं। इनमें जिन लोगों की ही पहचान हुई है उन्हें तो क्वारेंटाइन में रखा गया है लेकिन कई लोग अभी भी ट्रेसलेस हैं। इनकी मुकम्मल जांच के बाद ही जिलों की तस्वीर स्पष्ट होगी कि किसमें कितने कोरोना मरीज हैं।
11 हजार से अधिक लोग निगरानी में
बिहार में कोरोना के संक्रमण पर काबू पाने के लिए 11 हजार 161 लोगों को आइसोलेशन में रखा गया है। इनमें कुछ लोग होम क्वारेंटाइन में हैं तो कई लोग अस्पतालों के आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है। एक हजार से अधिक लोगों को क्वारेंटाइन की अवधि पूरा होने के बाद अस्पतालों से छुट्टी दे दी गयी है। राजधानी पटना में कोरोना की जमीनी हकीकत जांचने के लिए जिला प्रशासन ने एक-एक घर के सर्वे का फरमान जारी किया है। फुलवारी शरीफ और पटना सिटी इलाके में कोरोना के मरीज मिल चुके हैं। इसलिए पहले इन्हीं दो इलाकों का सर्वे होगा। इसके लिए संबंधित सरकारी कर्मचारियों को निर्देश जारी कर दिये गये हैं।
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