बिहार की नीतीश कुमार सरकार का बड़ा फैसला, न्यायिक सेवा में 50 फीसदी आरक्षण को मंजूरी
इस फैसले के बाद बिहार न्यायिक सेवा और उच्च न्यायिक सेवा में 21 फीसदी आरक्षण अति पिछड़ा को, 12 फीसदी ओबीसी को, 16 फीसदी अनुसूचित जाति को और एक फीसदी अनुसूचित जनजाति को फायदा मिलेगा।
पटना। बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए प्रदेश की न्यायिक सेवा में 50 फीसदी आरक्षण मंजूरी दे दी है। इस फैसले के बाद राज्य की न्यायिक सेवा में पिछड़ा, अति पिछड़ा, अनुसूचित जाति-जनजाति को 50 फीसदी आरक्षण मिलेगा। नीतीश कैबिनेट की मंगलवार को हुई बैठक में बिहार उच्च न्यायिक सेवा (संशोधन) नियमावली, 2016 और बिहार असैनिक सेवा (संशोधन) नियमावली, 2016 को मंजूरी दी गयी।
बिहार कैबिनेट ने न्यायिक सेवा में 50 फीसदी आरक्षण को दी मंजूरी
इस फैसले के बाद बिहार न्यायिक सेवा और उच्च न्यायिक सेवा में 21 फीसदी आरक्षण अति पिछड़ा को, 12 फीसदी ओबीसी को, 16 फीसदी अनुसूचित जाति को और एक फीसदी अनुसूचित जनजाति को फायदा मिलेगा। इनके साथ-साथ सभी श्रेणियों में महिलाओं का 35 फीसदी आरक्षण जारी रहेगा। इससे पहले, वहां अधीनस्थ सेवाओं में 27 फीसदी आरक्षण का प्रावधान था लेकिन उच्च सेवा में कोई आरक्षण का प्रावधान नहीं किया गया था। अधिकारियों के मुताबिक वर्तमान में दोनों श्रेणियों में लगभग 1,100 रिक्तियां हैं।
अधीनस्थ
सेवाओं
के
अंतर्गत
न्यायिक
मजिस्ट्रेट
और
मुंसिफ
मजिस्ट्रेट
के
पद
शामिल
हैं।
साथ
ही
सुपीरियर
सेवाओं
के
लिए
अतिरिक्त
न्यायाधीश
और
जिला
न्यायाधीश
के
पद
शामिल
हैं।
इस
फैसले
को
कैबिनेट
सचिव
ब्रजेश
महरोत्रा
ने
ऐतिहासिक
करार
दिया
है।
उन्होंने
कहा
कि
दयानंद
सिंह
केस
में
सितंबर
2016
में
सुप्रीम
कोर्ट
का
अहम
फैसला
आया,
जिसके
मद्देनजर
बिहार
सरकार
ने
पटना
उच्च
न्यायालय
और
बिहार
लोक
सेवा
आयोग
के
साथ
परामर्श
के
बाद
आरक्षण
के
फैसले
पर
मुहर
लगाई।
इसके
तहत
प्रत्यक्ष
नियुक्ति
के
लिए
अधीनस्थ
और
बेहतर
न्यायिक
सेवाओं
में
50
फीसदी
आरक्षण
देने
का
फैसला
बिहार
कैबिनेट
ने
लिया।
इसे
भी
पढ़ें:-
लालू
ने
पीएम
मोदी
से
कहा
चुन
लीजिए
पसंदीदा
चौराहा,
जहां
जनता
आपको
दे
सके
सजा