एक्शन में बिहार सरकार : ‘दिल्ली एक्सप्रेस’ पर ब्रेक, अब बोर्डर पर बने कैंप में ही कटेंगे 14 दिन
पटना। बिहार अभी कोरोना टू स्टेज में है। पिछले 24 घंटे में कोरोना संदिग्धों की संख्या तेजी से बढ़ी है। संक्रमितों की संख्या भी अब बढ़ कर 11 हो गयी है। इस बीच दूसरे राज्यों से बिहार आने वालों का तांता लगा हुआ है। भीड़ की शक्ल में आ रहे लोग बिना किसी एहतियात का पालन किये घर जाने को बेताब हैं। इससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया। विशेषज्ञों ने बिहार सरकार को सलाह दी है कि अगर अभी सख्ती नहीं की गयी तो हालात बिगड़ सकते हैं। इसलिए सरकार ने उत्तर प्रदेश, नेपाल, पश्चिम बंगाल की सीमा को सील कर दिया है। दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों के लिए अब सीमावर्ती क्षेत्र में क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया है। सीमा पर ही रोक कर उन्हें इन केंद्रों में 14 दिनों तक रखा जाएगा। उनकी स्क्रीनिंग होगी। जब पूरी तरह स्वस्थ पाएंगे तभी उन्हें घर जाने की इजाजत मिलेगी।
बिहार अभी कोरोना स्टेज टू में
कोरना स्टेज टू का मतलब है कि यह बीमारी अभी केवल वैसे व्यक्ति में है जो किसी प्रभावित देश से घूम कर आया है। इस संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने से ही किसी के पोजिटिव होने का खतरा है। अगर उससे दूर रहेंगे तो सुरक्षित रहेंगे। अभी कोरोना सामुदायिक विस्तार यानी कम्यूनिटी ट्रांसमिशन की स्थिति में नहीं है। कम्यूनिटी ट्रांसमिशन की स्थिति तब होती है जब कोई छूत का रोग स्थानीय स्तर पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैले। ईश्वर करे कि भारत को यह दिन देखना नहीं पड़े क्यों इसका मतलब महामारी है। लेकिन कोरोना को स्टेज टू तक रोके रखने के लिए कठोर अनुशासन की जरूरत है। संक्रमण तभी रुक सकता है जब व्यक्ति का व्यक्ति से सम्पर्क नहीं हो। लेकिन दूसरे राज्यों में कमाने गये लोग जिस लापरवाही से बिहार लौटने की कोशिश कर रहे हैं उससे वे अपने, अपने परिवार और राज्य का जीवन संकट में डाल रहे हैं।
अब हो रही सख्ती
शनिवार देर रात और रविवार को उत्तर प्रदेश की कई बसें बिहारी कामगारों को लेकर बिहार की सीमा पर पहुंची थीं। सरकार ने कठोरता से अपने आदेश को लागू किया। सभी लोगों को सीमा पर ही रोक दिया गया। इनको सुरक्षित रखने के लिए सीमावर्ती इलाके में ही क्वारेंटाइन कैंप बनाया गया है। बाहर से आये लोगों को इन कैंपों में रखा गया है। कैंप में इनके खाने-पीने और स्वास्थ्य जांच की सुविधा है। 14 दिनों तक उन्हें कैंप में ही रहना है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अरविंद केजरीवाल और योगी आदित्यनाथ के उस फैसले पर एतराज जताया था जिसमें बिहारी मजदूरों को बस में भर कर घर भेजने की बात कही गयी थी। नीतीश कुमार ने रहा था इससे लॉकडाउन बेमतलब हो जाएगा। अगर बीमारी फैलती है तो उससे निबटना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए एहतियात के तौर पर लोगों को सीमा पर ही रोक दिया गया है।
क्वारेंटाइन कैंप में रुकने को तैयार नहीं
वैसे सरकार ने दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों को सीमा पर ही रोकने की योजना बनायी है लेकिन इसे लागू करना आसान नहीं है। रविवार को सीवान जिले के ऐसे ही एक कैंप में लोगों ने घर जाने के लिए हंगामा कर दिया। उनका कहना था कि उत्तर प्रदेश सरकार ने जगह-जगह उनकी जांच की थी। इस जांत में कोई संक्रमित नहीं मिला। इसके बाद भी उन्हें जबरन कैंप में रोक कर रखा गया है। 14 दिन तक पड़े पड़े वैसे भी बीमार हो जाएंगे। ऊपर से इस कैंप में बिजली, पानी और दवाई की भी कोई सुविधा नहीं है। हंगामे की खबर पर एसपी और प्रशासनिक अधिकारी वहां पहुंचे। अधिकारियों ने उन्हें समझाया और लॉकडाउन में सहयोग करने की अपील की। ऐसे लोगों को शायद मालूम नहीं कि कई बार कोरोना के लक्ष्ण कुछ दिनों के बाद प्रगट होते हैं। इसलिए उनका अलग-थलग रहना निहायत जरूरी है।
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घऱ जाना आसान नहीं
शनिवार की देर रात सीवान जिले की उत्तर प्रदेश सीमा के पास मेहरौना बोर्डर पर 83 मजदूरों का जत्था पहुंच था। प्रशासन के लोग मुस्तैद थे। इन सभी लोगों को वहीं रोक दिया गया। एक निजी स्कूल भवन को कैंप बनाया गया था। सभी को इस कैंप में रखा गया। उनकी जांच की गयी। इनमें 59 मजदूरों को अइसोलेट कर दिया गया। सभी लोगों की हेल्थ रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इस कैंप में रहने वाले लोग सीतामढ़ी, दरभंगा, मधुबनी, वैशाली और छपरा के रहने वाले हैं। वे नोएडा गाजियाबाद, लखनऊ, देवरिया होते हुए यहां पहुंचे हैं। अब बाहर से आने वाले लोगों को सीधे घर जाने की इजाजत नहीं है। जब तक उनके कोरोना मुक्त होने की पुष्टि नहीं हो जाती उन्हें सीमावर्ती कैंपों में ही रहना होगा।