'देश में गधों की गिनती हो सकती है तो जातियों की क्यों नहीं', बिहार के पूर्व CM जीतन मांझी का सवाल
पटना। बिहार में जातीय जनगणना कराने से जुड़े विवाद में पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी भी कूद पड़े। उन्होंने कहा कि, जाति आधारित मुल्क में गधों की गिनती हो सकती है तो क्या जातियों की गिनती नहीं हो सकती? मांझी ने यह बात ट्विटर के जरिए कही। ट्वीट में उन्होंने गधों की गणना से जुड़ी तस्वीर भी पोस्ट की। जिसमें दिखाया गया था कि गधे कहां ज्यादा हैं।
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जीतनराम मांझी ने ट्वीट कर कहा कि, "कुछ" लोगों को डर है कि अगर जातियों की गिनती हो गई तो दुनियां को पता लग जाएगा कि हमारे यहां किन लोगों ने किनकी हक़मारी कर देश का विकास रोक रखा है। मांझी ने एक खबर का हवाला देते हुए सवाल उठाया कि इस जाति आधारित मुल्क में जब गधों की गिनती हो सकती है तो क्या जातियों की गिनती नहीं हो सकती? मांझी ने कहा, "सब बढेगें तो देश बढेगा।"
उधर, बिहार में लंबे समय से जातीय जन-गणना कराने के मुद्दे पर विवाद चल रहा है। केंद्र सरकार की ओर से प्रस्ताव नामंजूर होने पर बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में अपने खर्च से जातीय आधारित जनगणना (कास्ट बेस्ड सेंसस) कराने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि, इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें जनगणना को लेकर रणनीति तय की जाएगी। अब नीतीश के करीबी रहे जीतन मांझी ने भी कुछ ऐसी बात कह दी है, जो केंद्र सरकार के रूख से अलग है।
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मांझी का ट्वीट है- "कुछलोगों को डर है कि अगर जातियों की गिनती हो गई तो दुनिया को पता लग जाएगा कि हमारे यहां किन लोगों ने किनकी हकमारी कर देश का विकास रोक रखा है।"