चारा घोटाले में क्या हुआ 20 सालों के भीतर, लालू को सजा तो जगन्नाथ मिश्रा बरी
1994-95 के बीच पशुओं के चारा और दवाओं के नाम पर हुए अवैध निकासी को चारा घोटाले का नाम दिया गया। इस घोटाले में लालू प्रसाद पर कुल 6 केस चल रहे है।
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पटना। आज सीबीआई की विशेष अदालत में चारा घोटाले में लालू यादव को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई गई। लालू प्रसाद यादव पर 5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। लालू समर्थकों में इस फैसले से काफी मायूसी है। इस मामले में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने फैसला सुनाया। ये मामला देवघर कोषागार से 84.54 लाख रुपए की अवैध निकासी से संबंधित है। इसमे 1994-95 के बीच पशुओं के चारा व दवाओं के नाम पर ये फर्जीवाड़ा किया गया था।
घोटाले में कार्रवाई की कहानी
चारा घोटाले मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 8 मई को स्पीडी ट्रायल शुरू करने और 9 महीने में मामले का निष्पादन करने का आदेश जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश मिलने के बाद सीबीआई की अदालत ने इस मामले में पहले आरोपी लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र सहित अन्य आरोपी को नोटिस भेजते हुए कोर्ट में हाजिर होने का आदेश जारी किया और मामले की सुनवाई में तेजी लाई। हर महीने में 12 से 15 दिन सुनवाई की गई, जिसमें सभी आरोपी निर्धारित तारीख पर कोर्ट में हाजिर हुए। तो इस मामले में लालू प्रसाद यादव के तरफ से बचाव के लिए 15 गवाह पेश किए गए। वहीं पूरे मामले में 34 आरोपियों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल की गई थी, जिसमें कई आरोपियों की ट्रायल के दौरान मृत्यु हो गई तो दो लोग सरकारी गवाह बन गए। वहीं पीके जायसवाल और सुशील झा निर्णय पूर्व दोष स्वीकार करते हुए जेल चले गए। अब आज 20 साल बाद इस मामले में फैसला सुनाया गया।
तेजस्वी के साथ रांची पहुंचे थे लालू
चारा घोटाले में आए फैसले को लेकर लालू प्रसाद यादव अपने पार्टी के नेताओं से बातचीत करने के बाद दोपहर रांची के लिए अपने छोटे बेटे तेजस्वी यादव के साथ रवाना हुए थे। रांची जाने से पहले लालू प्रसाद यादव से मिलने के लिए राजद नेताओं का तांता लगा रहा। जिसमें पूर्व मंत्री जगदानंद सिंह, पार्टी महासचिव शिवानंद तिवारी, भाई वीरेंद्र, ललित कुमार यादव, शक्ति सिंह यादव, एज्या यादव, समीर कुमार महासेठ, अख्तरूल इस्लाम शाहीन और रामानुज प्रसाद सिंह सहित दर्जनों की संख्या में पार्टी के विधायक व पदाधिकारी शामिल थे। वहीं अब फैसला आने के बाद लालू समर्थकों में मायूसी है।
2013 में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी
1994-95 के बीच पशुओं के चारा और दवाओं के नाम पर हुए अवैध निकासी को चारा घोटाले का नाम दिया गया। इस घोटाले में लालू प्रसाद पर कुल 6 केस चल रहे हैं। जिसमें से एकआरसी- 20 चाईबासा ट्रेजरी से 37.5 करोड़ की निकासी मामले में सीबीआई कोर्ट ने तीन अक्तूबर, 2013 को उन्हें पांच साल की सजा सुनाई थी और 25 लाख का जुर्माना लगाया था। उसी साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी। उन्होंने इसके खिलाफ अपील की थी। जिस पर ये फैसला आया है।
कटघरे में थे कौन-कौन?
इस मामले में 6 राजनेता लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र, जगदीश शर्मा, विद्यासागर निषाद, ध्रुव भगत और आरके राणा और 10 अधिकारी फूलचंद सिंह, बेक जूलियस, महेश प्रसाद, एसी चौधरी, कृष्ण कुमार प्रसाद, सुबीर भट्टाचार्य के साथ-साथ 10 ट्रांसपोर्टर त्रिपुरारि मोहन, सुशील सिंह, सुनील सिंह, राजा राम जोशी, सरस्वती चंद्रा, साधना सिंह, गोपीनाथ दास, संजय अग्रवाल, ज्योति झा और सुनील गांधी नामजद थे। वहीं मामले में मोटे तौर पर जगन्नाथ मिश्रा बरी कर दिए गए तो लालू यादव को दोषी साबित किया गया है।
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