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बिहार चुनाव: मुंगेर में वोटिंग से पहले दुर्गा प्रतिमा विसर्जन में हिंसा क्यों हुई?

मतदान से एक दिन पहले मुंगेर में दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन के दौरान हिंसा हुई जिसमें एक युवक की मौत हो गई. इस घटना का एक कथित वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें पुलिस मूर्ति को घेरे लोगों पर लाठियाँ बरसा रही है.

By नीरज प्रियदर्शी
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बिहार चुनाव: मुंगेर में वोटिंग से पहले दुर्गा प्रतिमा विसर्जन में हिंसा क्यों हुई?

दुर्गा पूजा के उल्लास में डूबा मुंगेर मतदान की तारीख़ आने से पहले मुरझा जाएगा, इसका अंदाज़ा शायद ही किसी को रहा होगा.

बिहार की राजधानी पटना से लगभग 200 किलोमीटर दूर मुंगेर में बीते सोमवार की रात शहर के दीन दयाल चौक के समीप दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान निहत्थे श्रद्धालुओं पर पुलिस की तरफ़ से कथित तौर पर गोलियां चलाई गईं और उन्हें लाठियों से पीटा गया.

सोशल मीडिया पर कई ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं जिन्हें मुंगेर की घटना से जुड़ा बताया जा रहा है.

इन वीडियो में पुलिसकर्मी हाथों में हथियार लहराते दिखते हैं, फायरिंग की आवाजें सुनाई देती हैं, भगदड़ मचती है, प्रतिमा को पकड़ कर बैठे लोगों पर भी पुलिस लाठियां बरसाती दिखती है.

शहर के लोगों का कहना है कि पुलिस की फायरिंग में एक से अधिक लोगों की जानें गई हैं. लेकिन मुंगेर जिले के कलेक्टर राजेश मीणा ने बीबीसी से केवल एक ही युवक की मौत की पुष्टि की है.

गोलियों से घायल छह अन्य लोग अस्पताल में भर्ती हैं. इनके अलावा भी क़रीब दो दर्जन लोग ज़ख्मी हुए हैं. हालांकि पुलिस और स्थानीय प्रशासन इस बात से इनकार करता है कि उनकी तरफ़ से फ़ायरिंग की गई थी.

डीएम मीणा के मुताबिक़ "प्रतिमा विसर्जन के दौरान असामाजिक तत्वों ने पुलिस पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया. पत्थर फेंकने लगे. पुलिस को आत्मरक्षा में और भीड़ को हटाने के लिए कार्रवाई करनी पड़ी. घटनास्थल से देसी कट्टे और इस्तेमाल हुए खोखे बरामद हुए हैं."

दीन दयाल चौक
neeraj priyadarshy/ BBC
दीन दयाल चौक

क्या हुआ था प्रतिमा विसर्जन की रात?

मुंगेर में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दिन लगने वाला मेला इलाक़े में काफी चर्चित है. इस दौरान केवल शहर ही नहीं बल्कि आसपास के गांव-कस्बों के लोग भारी संख्या में यहां आते हैं.

शहर के दीन दयाल चौक से लेकर आज़ाद चौक के बीच में हिंसा हुई जिस वक़्त शहर भर की प्रतिमाओं को विसर्जित करने के लिए नदी के किनारे ले जाया जा रहा था.

आज़ाद चौक के पास रहने वाले संजय कुमार का दावा है कि वे हिंसा के समय वहीं पर मौजूद थे.

मुंगेर में दुर्गा पूजा
neeraj priyadarshy/ BBC
मुंगेर में दुर्गा पूजा

वे कहते हैं, "सबकुछ सही चल रहा था. विसर्जन के दिन निकलने वाले जुलूस और अन्य आयोजनों पर पहले से प्रतिबंध लगा था. इस बार हमेशा की तरह मेला भी नहीं लगा था. पूरे शहर में पुलिसबलों की तैनाती थी."

संजय बताते हैं, "कई जगहों की प्रतिमाएं पहले से यहां लाई जा चुकी थीं और सबको इंतज़ार था शादीपुर की बड़ी दुर्गा की प्रतिमा का. परंपरा है कि जब तक बड़ी दुर्गा की प्रतिमा नहीं उठती तब तक बाक़ी प्रतिमाएं भी विसर्जित नहीं होतीं. 32 कहार मिलकर बड़ी दुर्गा की प्रतिमा को उठाते हैं."

संजय के मुताबिक़ श्रद्धालुओं का पुलिस के साथ विवाद यहीं शुरू हुआ. वो कहते हैं कि पुलिसवालों का कहना था कि जल्दी प्रतिमा विसर्जित की जाए जबकि श्रद्धालुओं की मांग थी कि परंपरा के साथ विसर्जन किया जाए.

मुंगेर में दुर्गा पूजा
neeraj priyadarshy/ BBC
मुंगेर में दुर्गा पूजा

गोली किसने चलाई और क्यों?

स्थानीय लोगों से बातचीत में पता चला कि विसर्जन के समय को लेकर पुलिस के साथ तनाव नवरात्र के पहले दिन से चल रहा था.

पहला तो कोरोना वायरस के कारण बहुत तरह के प्रतिबंध पहले से लगे हुए थे. दूसरा, पहले चरण में ही मुंगेर में मतदान होने के कारण स्थानीय प्रशासन ने नवमी के दिन यानी 25 अक्तूबर को ही प्रतिमा विसर्जन का आदेश सुना दिया था.

हालांकि, बाद में पूजा समितियों के प्रतिनिधियों ने प्रशासन के साथ बातचीत करके 26 अक्तूबर का समय तय किया.

दीन दयाल चौक के पास रहने वाली एक महिला संगीता देवी कहती हैं, "सब कुछ तो प्रशासन के कहने पर और उन्हीं की देखरेख में हो रहा था. अगर परंपरा के अनुसार ही विसर्जन हो जाता तो उसमें पुलिस का क्या जाता. अगर आप किसी की आराध्य देवी की प्रतिमा को जेसीबी मशीन लगाकर उठवाएंगे, नगर निगम की कचरा ढोने वाली गाड़ियों में ले जाएंगे तो लोग विरोध करेंगे ही."

संगीता ने बताया, "मेरी आंखों के सामने लोगों की पिटाई हुई. जबकि उनका कोई कसूर नहीं था, वे प्रतिमा के पास बैठे हुए थे. कई राउंड फायरिंग की आवाजें आईं तो हम लोग डर गए और हमने अपनी खिड़कियां दरवाज़े बंद कर लिए."

बड़ी दुर्गा पूजा समिति के केशव कुमार कहते हैं, "पुलिस ने गोली क्यों चलाई यह बात आपको पुलिस से ही पूछनी चाहिए. अगर भीड़ को ही तितर-बितर करना था तो आंसू गैस के गोले और पानी की बौछारों का विकल्प था.

"पुलिस उल्टा हमारे ऊपर ही इल्ज़ाम लगा रही कि हमने गोली चलाई. विसर्जन में जबकि पहले से इतने तरह के प्रतिबंध लगे थे, हम गोली बंदूक़ लेकर क्यों जाएंगे. और जो वीडियो फुटेज हमारे पास हैं उनमें साफ़ दिख रहा था कि हथियार पुलिसवाले लहरा रहे थे."

उस दिन की झड़प में केशव का एक हाथ टूट गया है.

केशव कहते हैं, "पुलिस ने ये तो दिखा दिया है कि घटनास्थल से देसी कट्टे और खोखे मिले हैं, लेकिन यह क्यों नहीं बताती कि हमारे लड़के अनुराग के सिर में जो गोली लगी थी वह किसकी गोली थी."

अनुराग के पिता अमरनाथ पोद्दार
neeraj priyadarshy/ BBC
अनुराग के पिता अमरनाथ पोद्दार

पिता जिसने अपना बेटा खोया

पुलिस के साथ हिंसक झड़प में जिस युवक की मौत हुई उसका नाम अनुराग पोद्दार है.

अनुराग 12वीं के छात्र थे और चार बहनों के इकलौते भाई थे. अनुराग के घर पर मातम का माहौल था. अंदर से महिलाओं के रोने और बिलखने की आवाज़ें आ रही थीं.

अनुराग के पिता अमरनाथ पोद्दार से हमारी बात हुई. वे कहते हैं, "अगर चुनाव नहीं होता तो ये घटना नहीं घटती. अगर चुनाव नहीं होता तो मेरे बेटे की जान नहीं जाती. "

उस रात क्या-क्या हुआ था? इस सवाल का जवाब देते हुए उनकी आंखों से आंसू आ जाते हैं.

वे कहते हैं, "गोलियां तड़तड़ाहट के साथ चल रही थीं. कितनी राउंड फायरिंग हुई यह गिनती नहीं थी. जैसे ही बेटे को गोली लगने की ख़बर मिली हम तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गए. हमारे पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो चुकी थी. वो तो भला कहिए कि हमारा घर नज़दीक था, इसलिए हम तुरंत पहुंच गए बॉडी तक. वरना हमें हमारे बेटे की भी बॉडी नहीं मिलती."

अनुराग के पिता के मुताबिक़ अभी ऐसे कई परिवार हैं जिनके यहाँ के बच्चे ग़ायब हैं. वो कहां हैं, किसी को नहीं पता. पुलिस भी नहीं बता रही है.

मुंगेर में दुर्गा पूजा
neeraj priyadarshy/ BBC
मुंगेर में दुर्गा पूजा

चुनाव पर असर

प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुई हिंसा का असर मुंगेर में हुए मतदान में भी दिखा. जिन मोहल्लों में हिंसा हुई वहाँ की सड़कों और मतदान केंद्रों पर सन्नाटा पसरा था.

घटना के विरोध में लोग मतदान का बहिष्कार करने की बात कर रहे थे. कुछ लोग ये भी कह रहे थे कि यह घटना एक राजनीतिक साज़िश के तहत की गई है.

दीन दयाल चौक के पास बृजबिहारी यादव कहते हैं, "मुंगेर शहर में बीजेपी के वोटर्स ज्यादा हैं. इसलिए बीजेपी के लोगों को लगता है कि यह घटना जदयू वालों ने कराई है ताकि इसके विरोध में लोग मतदान न करें और बीजेपी का कैंडिडेट हार जाए. दूसरी तरफ़ जदयू वालों को लगता है कि बीजेपी वालों ने यह करवाया जिससे समाज में यह मैसेज जाए कि नीतीश कुमार अपने अफसरों से इतना ग़लत काम करवा रहे हैं."

डीएम राजेश मीणा
Neeraj priyadarshy/ BBC
डीएम राजेश मीणा

शादीपुर में जहां बड़ी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित होती है, वहां के लोगों में गुस्सा सबसे ज़्यादा है क्योंकि उन्हीं के मोहल्ले के लोग सबसे अधिक घायल हुए हैं. शादीपुर के लोग पूरी तरह मतदान के ख़िलाफ़ बात कर रहे थे.

डीएम राजेश मीणा स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं की ओर से लगाए जा रहे आरोपों पर केवल इतना ही कहते हैं, "हम लोग मतदान संपन्न कराने में लगे हैं. फ़िलहाल इस मामले की जांच की जा रही है, जल्दी ही सच सामने आ जाएगा."

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English summary
Bihar Election: Why did violence happen in Durga idol immersion before voting in Munger?
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