चिराग के फोन का जवाब नहीं देते नीतीश! मेल-मिलाप के लिए एक्टिव हुई भाजपा
पटना। रिश्तों में दरार का असर है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब अपनी सहयोगी लोजपा को तवज्जो नहीं दे रहे। लोजपा प्रमुख चिराग पासवान फोन को इंटरटेन नहीं करते। चिराग फोन भी करते हैं तो नीतीश जवाब नहीं देते। रामविलास पासवान जब लोजपा के अध्यक्ष थे तब नीतीश का उनसे बराबरी का रिश्ता था। लेकिन अब जब लोजपा की कमान चिराग के हाथ में है, नीतीश उनको भाव नहीं देते। लोजपा एनडीए का हिस्सा है और दो विधायक हैं, लेकिन नीतीश ने उन्हें मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं किया है। बिहार विधान परिषद की मनोनयन वाली 12 सीटों में से लोजपा 2 की मांग कर रही है। लेकिन नीतीश ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है। ऐन चुनाव से पहले नीतीश और चिराग की बढ़ती दूरी से क्या एनडीए बिखर जाएगा ? हालात को देख कर भाजपा दोनों नेताओं के बीच सुलह के लिए सक्रिय हो गयी है।
नीतीश क्यों नाराज हैं चिराग से
जब से चिराग लोजपा के अध्यक्ष बने हैं वे खुद को लाइमलाइट में रखना चाहते हैं। वह लोजपा और खुद की हैसियत बढ़ाने के लिए एक्शन मोड में हैं। कोरोना से निबटने के तरीके को लेकर चिराग नीतीश सरकार की खुलेआम आलोचना कर चुके हैं। उन्होंने मई में कहा था कि बिहार सरकार की लापरवाही से राज्य के 14.5 लोगों को तत्काल राशन नहीं मिल पाया। लॉकडाउन में बिहार के गरीब परेशान हैं और उनको राज्य सरकार की गलती की वजह से मुफ्त अनाज नहीं पा रहा है। अफसरों की उदासीनता के कारण नये लोगों के नाम राशन कार्ड में नहीं जोड़े गये। चूंकि बिहार ने 14.5 लोगों का राशन कार्ड केन्द्र को नहीं भेजा इसलिए उन्हें अनाज नही मिल पाया। उन्होंने नीतीश सरकार पर ये राशन कार्ड भेजने के लिए दबाव बनाया। चूंकि खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के मंत्री उनके पिता रामविलास पासवान हैं, इसलिए चिराग के बयान को विरोधी दलों ने सच माना। इससे नीतीश को परेशानी हुई। लॉकडाउन के समय दूसरे राज्यों में फंसे बिहारी मजदूरों को वापस लाने के मुद्दे पर भी चिराग ने नीतीश पर हमला किया था। उन्होंने कहा था कि बाहर फंसे मजदूरों में बहुत गुस्सा है। राज्य सरकार उन्हें लाने में टालमटोल कर रही है। ऐसा न हो कि सरकार उनका भरोसा ही खो दे। उन्होंने क्वारेंटाइन सेंटरों में बहदाली का भी मुद्दा उठाया था। चिराग के हमलों से नीतीश सरकार की बहुत किरकिरी हुई। तब से नीतीश, चिराग से दूरी बनाने लगे।
तेरी मेरी यारी
2019 के लोकसभा चुनाव के समय जदयू और भाजपा के बीच सीट बंटवारे को लेकर ऐसी तनतनी हुई थी कि एनडीए टूटने के कगार पर पहुंच गया था। तब रामविलास पासवान ने आगे बढ़ कर भाजपा और नीतीश को वार्ता की मेज तक पहुंचाया था। बिहार की राजनीति में रामविलास पासवान लालू और नीतीश दोनों से सीनियर हैं। रामविलास 1969 में ही विधायक बन गये थे जब कि लालू 1977 में सांसद तो नीतीश 1985 में एमएलए बने थे। इस लिहाज से दोनों ही उनकी इज्जत करते हैं। रामविलास नीतीश को कन्विंस करने की क्षमता रखते हैं। उनकी मध्यस्थता की वजह से उस समय नीतीश और भाजपा की गलतफहमियां दूर हुईं थीं। अब जब 2020 में लोजपा और नीतीश में टकराव हुआ है तो डैमेज कंट्रोल की जवाबदेही भाजपा ने उठायी है। भाजपा के बिहार प्रभारी भूपेन्द्र यादव की नीतीश से बहुत जमती है। बिहार के डिप्टी सीएम और भाजपा नेता सुशील मोदी भी नीतीश के अत्यंत निकट हैं। इन्होंने नीतीश कुमार से मुलाकात की। इस मुलाकात में विधान परिषद चुनाव और विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा हुई। खबरों के मुताबिक इस मुलाकात में भाजपा नेताओं ने लोजपा को लेकर रिश्तों पर जमी बर्फ को पिघलाने की पहल की। विधान परिषद की मनोनयन वाली 12 सीटों का बंटवारा 5-5-2 के अनुपात में करने का सुझाव दिया। यानी जदयू और भाजपा को पांच-पांच और दो सीट लोजपा को दिया जाने का प्रस्ताव है। भाजपा ने नीतीश के संदेश दिया है कि ऐन चुनाव से पहले लोजपा को नाखुश करना ठीक नहीं। इसलिए उसको भी उचित हिस्सेदारी देकर बिगड़ी बात बनायी जाए।
क्या मंशा है चिराग की ?
रामविलास पासवान दलित राजनीति के एक प्रमुख स्तंभ हैं। चिराग उनकी विरासत संभाल रहे हैं। बिहार एनडीए में अपनी उपेक्षा से चिराग आक्रामक हो गये हैं। उन्होंने मुंगेर जिला लोजपा के अध्यक्ष को बर्खास्त कर नीतीश-भाजपा को ये संदेश दिया है कि एनडीए का भविष्य कुछ भी हो सकता है। लोजपा एनडीए से बाहर भी निकल सकती है। चिराग पासवान पिछले कुछ दिनों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये कार्यकर्ताओं से वर्चुअल मीटिंग कर रहे हैं। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को कहा है कि वे विधानसभा चुनाव में हर परिस्थिति के लिए तैयार रहें। तैयारी सभी सीटों की होनी चाहिए। चिराग के इस तेवर को देख कर ही तेजस्वी ने उन्हें अपने पाले में आने का ऑफर दिया है। रामविलास पासवान ने उम्र का हवाला देकर भले चुनाव नहीं लड़ा लेकिन आज भी उनकी राजनीतिक सूझबूझ काबिलेतारीफ है। रामविलास की इसी सूझबूझ को लालू यादव मौसम वैज्ञानिक की उपमा देते रहे हैं। हालात पर उनकी नजर है। माना जा रहा है कि चिराग विधानसभा चुनाव में अधिक सीटें लेने के लिए अभी से मौहाल बना रहे हैं। भाजपा की राय है कि यह विवाद चाय के प्याले में उठे तूफान की तरह है जो जल्द ही शांत हो जाएगा।
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