बिहार विधानसभा चुनाव 2020 : ऐश्वर्या की खामोश क्रांति से राजद में बेचैनी!

तेजप्रताप की पत्नी और लालू यादव की बहू ऐश्वर्या खामोश हैं। कई बार खामोशी आवाज से अधिक असर पैदा करती है। चुनाव प्रचार में ऐश्वर्या की मौजूदगी ने सियासी तापमान को बढ़ा दिया। वे केवल परसा तक सीमित हैं लेकिन असर पूरे बिहार में है। ऐश्वर्या के बिना कुछ कहे सारी कहानी बयां हो जा रही है। उन्होंने सितम्बर 2019 में जब आंसुओं से तरबतर हो कर राबड़ी देवी का घर छोड़ा था तब उन्होंने लालू परिवार पर कई संगीन आरोप लगाये थे। लेकिन चुनाव के दौरान ऐश्वर्या ने लालू परिवार के खिलाफ एक लफ्ज नहीं कहा है। वे सिर्फ अपने पिता के लिए वोट मांग रही हैं। जब वे सिर पर पल्लू लिये, हाथ जोड़े और खामोशी अख्तियार किये परसा में रोड शो के लिए निकलीं तो लोगों की सहानुभूति भरी निगाहें उन्हें एकटक देखे जा रहीं थीं। उन्होंने करीब पांच किलोमीटर लंबा रोड शो किया जिसकी खूब चर्चा हो रही है। आम लोग ऐश्वर्या की समझदारी की तारीफ कर रहे हैं। वे कड़वाहट को पी कर सकारात्मक रवैये से पिता के लिए वोट मांग रही हैं। शब्दविहीन ऐश्वर्या एक खामोश क्रांति का प्रतीक बनती जा रही हैं जिसके संभावित असर से राजद में बेचैनी छा गयी है।

एक खामोश क्रांति
ऐश्वर्या राय ने अब सक्रिय राजनीति में कदम बढ़ा दिया है। वे चुनाव तो नहीं लड़ रहीं लेकिन चुनाव में डिसाइडिंग फैक्टर बनती जा रही हैं। जब वे अपने पिता के चुनाव प्रचार में निकलती हैं तो उनकी मौजूदगी भर से राजद को हराने का संदेश प्रतिध्वनित होने लगता है। उनकी आंखे, उनकी भावभंगिमा बिना कुछ कहे बता देती हैं कि उन पर क्या-क्या गुजरी है। बहुत पूछने पर भी वे अपने पति तेजप्रताप यादव या उनके परिवार पर कुछ नहीं कहतीं। वे अफसोस के साथ सिर्फ इतना ही कहती हैं कि ससुराल में जो उनके साथ हुआ वो जगजाहिर है। ऐश्वर्या राजद को हराने और नीतीश कुमार को जिताने के इरादे से चुनाव प्रचार में उतरी हैं। पिछले एक हफ्ते में ऐश्वर्या ने अपनी सीमित राजनीति सक्रियता के बावजूद एक अंडर करंट पैदा किया है। इससे राजद में बेचैनी बढ़ गयी है। ऐश्वर्या परसा में हैं लेकिन उनकी चर्चा पूरे बिहार में हो रही है। ऐसे में राजद दूसरे और तीसरे फेज के चुनाव को लेकर फिक्रमंद हो गया है।

ऐश्वर्या का डोर टू डोर कैंपेन
रोड शो के अलावा ऐश्वर्या परसा में डोर टू डोर कैंपेन में सक्रिय हैं। वे बिना किसी शोर शराबे के घर-घर जा कर लोगों से मुलाकात कर रही हैं। न कोई वादा न कोई सपना। सीधे-सीधे अपने पिता के लिए वोट मांग रही हैं। ऐश्वर्या का यह ईमानदार रवैया लोगों को भा रहा है। लोग कह रहे हैं कि यह पढ़ी- लिखी लड़की बेधड़क बात कहती है। आज के नेताओं की तरह कम से कम झूठे सपने तो नहीं दिखा रही। वह घरेलू हिंसा और बेटियों पर अन्याय को मुद्दा बना कर वोट मांग रही है। वह लालू परिवार के लिए कोई अशोभनीय बात नहीं कहतीं। वह अपने और अपने पिता के सम्मान को वापस पाने के लिए जनता जनार्दन से सिर्फ आशीर्वाद मांगती है। मीडियाकर्मियों के बहुत पूछने पर भी उन्होंने तेजस्वी या तेजप्रताप का नाम नहीं लिया। सिर्फ इतना कहा, जो परिवार घर में महिला की इज्जत नहीं करता वो बिहार की महिलाओं की इज्जत क्या करेगा, बिहार का विकास क्या करेगा ?
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दूसरे और तीसरे चरण के चुनाव में क्या होगा ?
राजद दूसरे चरण में 56 और तीसरे चरण में 46 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है। दूसरे चरण में 56 में से 31 उसकी विनिंग सीट है। इनही दो चरणों के प्रदर्शन पर राजद का चुनावी भविष्य टिका हुआ है। अगर ऐश्वर्या राय राजद की हार का प्रतीक बन गयीं तो उसके सपनो का महल भरभरा कर गिर जाएगा। जिस तरह से नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार जंगलराज के खौफनाक मंजर को याद दिला कर वोटरों को गोलबंद कर रहे हैं उससे कई समीकरण बदलने लगे हैं। इस प्रचार से वैसे लोग दोबारा सोचने लगे हैं जो मौजूदा सरकार से किसी न किसी बात को लेकर नाराज हैं। इनमें प्रवासी मजदूरों की संख्या सबसे अधिक है। अतिपिछड़े समुदाय से ताल्लुक रखने वाले लोग यही चाहते हैं कि अगर उन्हें कमाने के लिए बाहर जाना पड़े तो कम से कम उनके गांव में शांति रहे। वे जातीय तनाव के दौर से फिर नहीं गुजरना चाहते। नीतीश कुमार के शासन पर सौ सवाल हो सकते हैं लेकिन इतना तो है कि नरसंहारों का दौर थम गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पहले चरण के चुनाव के बाद उत्साहित राजद को अचानक नयी चिंता ने घेर लिया है। ऐश्वर्या फैक्टर जो अभी तक साइलेंट था, एकाएक असरदार दिखने लगा है।