बिहार विधानसभा चुनाव: सलामी जोड़ी की चिंता कर रहे हैं राजनाथ, कप्तानी की योगी आदित्यनाथ
योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के कैप्टन हैं और वे अब बिहार में मौसम का हाल ले रहे हैं ताकि कोरोनाकाल में हो रहे दुनिया के सबसे बड़े चुनाव में उस कैप्टन को बचा जा सकें, जिनके साथ उनकी पार्टी बीजेपी के वाइस कैप्टन का भविष्य भी दांव पर हैं। राजनाथ सिंह ने तो बीजेपी-जेडीयू की जोड़ी को सचिन-सहवाग की जोड़ी तक करार दिया है। मगर, यह जोड़ी सलामी बल्लेबाजों की है। कप्तानी की बात अलग है। वर्तमान चुनाव में कप्तान और कप्तानी दोनों से भारी नाराज़गी दिख रही है। बिहार की जनता कप्तानी में सफलता-असफलता का आकलन करने जा रही है। जाहिर है कि वोटर कप्तान के तौर पर सौरभ गांगुली, महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली जैसी प्रतिभा की तलाश में हैं। योगी आदित्यनाथ भी यही बताते हुए धुआंधार चुनाव प्रचार में जुटे हैं कि वह और उनकी पार्टी ही बिहार को बेहतर कप्तान दे सकती है। इस कोशिश में वे कप्तान बन सकने वाले खिलाड़ियों की कमियां निकाल रहे हैं।
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योगी
आदित्यनाथ
उन
इलाकों
में
चुनाव
प्रचार
कर
रहे
हैं
जहां
नरेंद्र
मोदी
चुनाव
प्रचार
करने
नहीं
जा
रहे
हैं।
क्रिकेट
की
भाषा
में
कहें
तो
कैमूर,
अरवल,
रोहतास
जैसे
उबड़-खाबड़
इलाकों
में
वे
आक्रमण
कर
रहे
हैं।
इसे
नक्सल
हॉट
स्पॉट
भी
कहते
हैं।
ऐसी
जगहों
पर
योगी
की
गेंद
जबरदस्त
स्विंग
हो
सकती
है
और
सीपीआई
माले
समेत
महागठबंधन
के
सहयोगी
दलों
को
छका
सकती
हैं।
वे
आऊट
भी
हो
सकते
हैं।
और,
अगर
नहीं
भी
हुए
तो
कम
से
कम
आऊट
की
जोरदार
अपील
करने
का
मौका
तो
बनेगा
ही।
योगी
आदित्यनाथ
ने
अपनी
पहली
ही
रैली
में
यानी
कि
पहली
ही
गेंद
में
पिच
का
इस्तेमाल
करने
की
अपनी
क्षमता
दिखला
दी
है।
योगी
आदित्यनाथ
ने
कहा
है
कि
आरजेडी
वास्तव
में
सीपीआई
(एमएल)
यानी
माले
के
रूप
में
कोरोना
वायरस
प्लांट
कर
रही
है
जो
टुकड़े-टुकड़े
गैंग
जैसे
विषाणुओं
का
एक्सटेंशन
है।
कोरोना
के
माहौल
में
हवा
का
रुख
देखते
हुए
गेंदबाजी
करना
इसे
ही
कहते
हैं।
योगी
जानते
हैं
एक
तरफ
से
मौसम
और
पिच
का
इस्तेमाल
वे
जारी
रखेंगे
और
दूसरी
तरफ
से
नरेंद्र
मोदी
उम्मीदों
और
सपनों
की
फ्लाइटेड
गेंद
डालेंगे
जिसकी
जद
में
आकर
विरोधी
खिलाड़ी
आउट
हो
जाएं।
बिहार की चुनावी फिजां में योगी की डिमांड है। बीजेपी ही नहीं जेडीयू भी उनकी डिमांड कर रही है। यह योगी के पास गेंद फेंकने की अलग-अलग तरह की कलाओं का कमाल है। पहले से जिन्ना, कश्मीर, 370, सीएए-एनआरसी जैसे कंकड़-पत्थर पिच पर जिस इलाके में मौजूद हैं वहां भी गेंद डालने में और गेंद को स्विंग कराने में योगी को मास्टरी हासिल है। योगी कोई नया प्रयोग करने की सोच ही नहीं रहे हैं। उन्हें तीन-तीन ओवरों की स्पेल डालनी है। हर स्पेल में विरोधी को चौंकाना है। यह काम बखूबी योगी आदित्यनाथ ने करना शुरू कर दिया है। योगी के पास हर ओवर में एक या दो शॉट बॉल भी रहती है और बाउंसर भी। जब वे शॉट बॉल फेंकेंगे तो विरोधी उसे पुल करने को तैयार मिलेंगे। इस शॉट बॉल में वे शरारत करते हैं, विरोधी को चोट पहुंचाने की उनकी नीयत होती है, डराने-धमकाने की कोशिश होती है। विरोधी भी इसे खेल भावना के खिलाफ और आचारसंहिता का उल्लंघन बताते हुए चुनाव आयोग यानी कि अम्पायर के पास जाते हैं। जब तक अम्पायर का फैसला आता है तब तक योगी माहौल को अपने हिसाब से ढाल चुके होते हैं। अगली गेंद सामान्य रहने पर भी विरोधी विकेट दे बैठता है। यह योगी की खासियत रही है।
जब
से
योगी
यूपी
के
सीएम
बने
हैं
उसके
बाद
से
वे
गुजरात,
मध्यप्रदेश,
छत्तीसगढ़,
राजस्थान,
दिल्ली,
महाराष्ट्र,
झारखण्ड
जैसे
राज्यों
में
अपनी
सियासी
कला
का
प्रदर्शन
कर
चुके
हैं।
यही
कारण
है
कि
बिहार
विधानसभा
चुनाव
में
भी
उनकी
मांग
बढ़ी
है।
पीएम
मोदी
से
अधिक
इस्तेमाल
सीएम
योगी
का
किया
जा
रहा
है।
बीजेपी
के
पूर्व
अध्यक्ष
राजनाथ
सिंह
का
इस्तेमाल
तो
बस
गेंदबाजों
का
छोर
बदलने
के
लिए
हो
रहा
है।
यह
बात
अलग
है
कि
वे
अनुभवी
हैं
और
कुछ
नहीं
भी
खेलें
तो
सचिन-सहवाग
जैसी
बातें
तो
कर
ही
लेते
हैं
और
कर
रहे
हैं।
हिन्दुत्व,
राम
मंदिर,
मदरसा,
तीन
तलाक,
ठोंको
नीति,
जीप
पलटाना,
रोमियो
स्क्वॉयड,
लव
जेहाद
पर
जेहाद,
पीएफआई,
फॉरेन
फंडिंग
जैसा
स्विंग
तो
वो
कभी
भी
अपनी
गेंदों
में
डाल
लेते
हैं।
खुद
को
उदाहरण
के
तौर
पर
पेश
करते
हैं।
प्रवासी
मजदूर
भी
योगी
आदित्यनाथ
का
प्रिय
शगल
है।
वे
सड़क
पर
चलते
प्रवासी
मजदूरों
को
बिहार
पहुंचाने
का
दावा
करते
हुए
फुलटॉस
भी
फेंक
सकते
हैं
जिस
पर
नीतीश
कुमार
के
लिए
बॉलिंग
करते
समय
छक्का
उड़
सकता
है,
जबकि
बीजेपी
के
लिए
बॉलिंग
करते
समय
विरोधी
दलों
को
भी
इस
फुलटॉस
पर
कैच
होने
का
डर
सताएगा
और
उन्हें
सम्मान
के
साथ
गेंद
खेलना
पड़ेगा।
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हां, एक बात अवश्य है कि जब योगी को बैटिंग के लिए कहा जाएगा तो वे कैसा प्रदर्शन करेंगे। मतलब ये कि नीतीश सरकार के अच्छे कामकाज का जिक्र करना, उपलब्धियां बताना, कोरोना काल में किया गया काम बताना आदि के बारे में उनके पास अच्छे स्ट्रोक नहीं हैं। लिहाजा एनडीए ने उन पर बल्लेबाजी का दायित्व नहीं रखा है। जब सारे बल्लेबाज आउट होने लग जाएंगे, तब योगी से इस कला में प्रदर्शन की उम्मीद की जाएगी। मगर, जब सारे आउट ही हो जाएंगे तो योगी भी आउट हो जाएंगे। इसमें कौन सी शर्माने जैसी बात होगी। जब दिग्गज नहीं चलेंगे तो ऑल राउंडर से कितनी उम्मीद रखोगे और बल्लेबाजी में योगी खुद को पुछल्ला मानते हैं।