बिहार: खदेड़े जा चुके हैं वोट मांगने पहुंचे कई माननीय, जनता ने कैसे किया एक-एक का बुरा हाल
ये पब्लिक है बाबू। सब जानती है। सब पहचानती है। ये चाहे तो सिर पे बिठा ले, चाहे फेंक दे नीचे। नेता जी वोट लेकर जीत गये। फिर इनको गांव की कच्ची सड़क क्यों याद आने लगी। पब्लिक पांच साल तक नेता जी के पीछे दौड़ती रही। न सड़क बनी न बिजली मिली। अब चुनाव आया तो नेता जी गांव की याद आयी। दांत निपोरते हुए, हाथ जोड़ते हुए नेता जी पहुंच गये वोट मांगने। अब नेता जी पब्लिक के पीछे भाग रहे हैं। लेकिन नेता जी के धोखे से पब्लिक नाराज है। बेहद गुस्सा है। नेता जी की बोलती बंद है। अब तक तो कई मंत्री और विधायक गांव से खदेड़े जा चुके हैं। 2020 के चुनाव में पब्लिक का मिजाज कुछ अलग रंग में है। क्या जदयू , क्या भाजपा और क्या राजद, सब पार्टी के नेताओं का एक ही हाल है। सवाल पे सवाल और बवाल पे बवाल। चुनाव के पहले कई गांवों में यही नजारा है। पब्लिक नेता जी लोगों को हड़का रही है। वीडियो बना रही है। ये वीडियो सोशल मीडिया में सुर्खियां बटोर रहे हैं। अफसोस ये कि नेता जी लोग गांव में हुए अपने 'स्वागत-सत्कार’ से इंकार भी नहीं कर सकते।
मंत्री जी बाइक पर पहुंचे वोट मांगने
नीतीश सरकार के मंत्री महेश्वर हजारी समस्तीपुर जिले के कल्याणपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इस क्षेत्र के पूसा गांव में सड़क की हालत जर्जर थी। मंत्री महोदय बाइक पर पीछे बैठ कर गांव में वोट मांगने पहुंचे। न बाइक चला व्यक्ति ने हेलमेट पहनी थी और न मंत्री ने। लोगों ने मंत्री से पूछा, गांव में सड़क नहीं है तो आप बाइक से यहां पहुंच गये ? आपको बाइक पर बैठने की नौबत क्यों आ गयी ? आप 10 साल से विधायक हैं लेकिन सड़क बनाने की फुर्सत नहीं मिली। इसके बाद मंत्री और गांव के लोगों में जम कर तू-तू, मैं-मैं हुई। मंत्री महोदय ने फजीहत देख कर वहां से निकलने में ही भलाई समझी।
मंत्री के खिलाफ नारेबाजी
नीतीश सरकार में भाजपा कोटे के मंत्री विजय कुमार सिन्हा लखीसराय से चुनाव लड़ रहे हैं। वे सोमवार को हलसी प्रखंड के तरहारी गांव में जनसम्पर्क के लिए गये थे। वे जैसे ही लोगों के बीच पहुंचे उनका विरोध शुरू हो गया। गांव के लोग मंत्री के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। इनमें अधिकतर युवा थे। मंत्री जी ने हाथ में माइक लेकर लोगों से बात करनी चाही लेकिन उनके खिलाफ नारेबाजी होती रही। लोगों का विरोध देख कर मंत्री को उल्टे पांव लौटना पड़ा। जिले के अफसरों के ये बात तब मालूम हुई जब उनके मोबाइल पर इस घटना के वीडियो शेयर किये जाने लगे।
राजद विधायक से पूछा, सड़क क्यों नहीं बनी?
राजद के विधायक सुदय यादव (कुमार कृष्ण मोहन) फिर जहानाबाद सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। वे लोगों से मिलने के लिए मुसहरा गांव गये थे। हाथ जोड़ कर जब वे गांव में घूमने लगे तो लोगों ने उनका विरोध शुरू कर दिया। उनके खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगने लगे। रतनी प्रखंड के गोपालपुर-मुसहरा सड़क की हालत कई साल से खराब है। लोगों ने विधायक जी से ये सड़क बनाने की मांग की थी। सड़क नहीं बनी। अब जब वे वोट मांगने आये तो लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। मुर्दाबाद के नारे सुन कर विधायक के साथ चल रहे कुछ लोगों ने ग्रामीणों के साथ धक्कामुक्की कर दी। फिर तो विरोध और तेज हो गया। विधायक जी को गांव से लौटना पड़ा।
बिजली के पोल क्यों नहीं गड़े ?
राजद की विधायक अनीता देवी राहतास के नोखा से चुनाव लड़ रही हैं। वे चुनाव प्रचार के दौरान एक गांव से गुजर रहीं थीं तो स्थानीय लोगों ने उन्हें रोक लिया। वे कई साल से गांव में बिजली के पोल गाड़ने की मांग कर थे। आसपास के गांव में बिजली थी लेकिन उनके गांव में पोल नहीं रहने से बिजली नहीं आ पायी थी। विधायक जी उनकी मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया। चुनाव के समय वे दिखायी पड़ी तो लोग उनसे सवाल पूछने लगे। उनके पति आनंद मोहन सिंह और ससुर जंगी चौधरी राजद की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। लोगों ने पूछा कि आपके परिवार के लोग वोट लेकर इतने साल से मंत्री विधायक रहे, आप अभी विधायक हैं और पहले पर्यटन मंत्री भी थीं, फिर जनता की मांग क्यों नहीं पूरा करतीं? विधायक जी की बोलती बंद हो गयी।
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पांच साल कहां थे विधायक जी ?
सीवान के महाराजगंज सीट से जदयू के विधायक हेमनारायण साह फिर मैदान में हैं। वे भगवानपुर प्रखंड के माघर गांव में वोट मांगने पहुंचे थे। जब हाथ जोड़े नेता जी को लोगों ने हंसते हुए देखा तो वे भड़क गये। उन्होंने पूछा, पांच कहां थे विधायक जी ? पिछली बार वोट लिये, जीते भी। लेकिन फिर पलट कर कभी आये नहीं। आज कैसे इस गांव का रास्ता भूल गये ? जब आपको हमसे मतलब नहीं है तो हमको भी आपसे मतलब नहीं है, जाइए यहां से। इस सीट पर तीन बार से जदयू के विधायक जीत रहे हैं। आखिराकर लोगों ने विजेता दल को जमीनी हकीकत से वाकिफ करा दिया।
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एकलौते पद्मश्री उम्मीदवार का भी विरोध
इसी तरह भाजपा की उम्मीदवार भागीरथी देवी बगहा के नौदांवा में लोगों से मिलने पहुंची थीं। लेकिन उनको भी जनाक्रोश का सामना करना पड़ा। भागीरथी देवी पश्चिम चम्पारण के रामगर सीट से चुनाव लड़ रही हैं। वे बिहार के 243 विधायकों में अकेली पद्मश्री विजेता शख्सियत हैं। वे तीसरी जीत के लिए रामनगर से मैदान में हैं। इतनी प्रतिष्ठित नेता होने के बाद भी उन्हें लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ी। पिछले चुनाव में जीतने के बाद वे एक बार गांव में आयी थीं। इसके बाद साढ़े चार साल तक उन्होंने इधर पलट कर भी नहीं देखा। भागीरथी देवी पहले नरकटियागंज प्रखंड कार्यालय में 800 रुपये महीना पर नौकरी करती थीं। गरीब परिवार से आने वाली भागीरथी देवी को भाजपा ने एक बड़े मुकाम पर पहुंचाया। गरीबों की आवाज मानी जाने वाली भागीरथी देवी को भी जनता के सवाल से जूझना पड़ा। यानी 2020 के चुनाव में जनता अपने जनप्रतिनिधियों से जवाब भी मांग रही है।