बिहार चुनाव: तीसरे चरण में जिन्दा हैं जो मुद्दे, जानिए नेताओं के भाषणों में
बिहार में तीसरे और अंतिम चरण के लिए 74 सीटें दांव पर हैं। ये सीटें नेपाल से सटे उत्तर बिहार और बंगाल से सटे उत्तर-पूर्वी सीमा पर हैं। जेडीयू के लिए इसकी अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सबसे ज्यादा 25 सीटें उसके पास है। नीतीश सरकार के 10 मंत्री भी इसी इलाके से हैं। इस चरण में नीतीश की चुनौती उन सीटों को बचाने की है जहां मुस्लिम आबादी घनी है और महागठबंधन में रहते हुए उन्हें उनका समर्थन मिला था। यह समर्थन बचाने की चुनौती जेडीयू के पास है।
सीएए-एनआरसी है मुद्दा!
तीसरे चरण में जिन 15 जिलों में मतदान होना है उनमें अररिया, मधेपुरा, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, सहरसा, दरभंगा जैसे मुस्लिम बहुल जिले शामिल हैं। नीतीश कुमार के भाषण में इसका असर भी दिख रहा है। 4 नवंबर को नीतीश कुमार ने किशनगंज में बगैर नाम लिए मुसलमानों से मुखातिब होते हुए कहा कि कौन किसको बाहर करेगा साहब? नीतीश क्या कह रहे हैं, यह बताने की जरूरत नहीं। सीएए-एनआरसी के बाद ‘एक-एक को चुन-चुन कर वापस भेजने' वाली बात लोग भूले नहीं हैं। यह घुसपैठियों के संदर्भ में थी लेकिन लोग डरे हए हैं इसका आभास नीतीश कुमार की ओर से भरोसा दिलाए जाने में झलकता है। मतलब साफ है कि मुस्लिम बहुल इलाकों में सीएए-एनआरसी मुद्दा है।
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जेडीयू को सता रहा है चिराग का डर
जेडीयू के लिए बड़ा ख़तरा बन चुके हैं एलजेपी। इसे खुद जेडीयू की चुनाव सभाओं में भाषण और जेडीयू नेताओं के ट्वीट से समझा जा सकता है। उनकी जुबान पर चिराग पासवान चढ़ चुके हैं। जेडीयू के प्रवक्ता अजय आलोक का हमला महागठबंधन से चिराग पासवान की ओर डी फोकस होना इसका सबूत है। वे व्यंग्यात्मक ट्वीट करते हैं कि तेजस्वी की पूंछ पकड़कर चिराग पासवान नरेंद्र मोदी का हनुमान बनने रहे हैं। बदले में चिराग पासवान का जेडीयू नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला जारी है। चिराग कह रहे हैं कि कुर्सी बचाने के लिए बेचैन हैं नीतीश कुमार और इसलिए प्रधानमंत्री के पीछे-पीछे घूम रहे हैं। चिराग की चुटकी जेडीयू नेताओं को चुभ रही है। कम से कम चिराग पासवान जेडीयू का ध्यान भटकाने में तो जरूर कामयाब हैं।
रोजगार बना हुआ है मुद्दा
बीजेपी के नजरिए से देखें तो पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 10 लाख रोजगार के मुद्दे पर लालू प्रसाद से सवाल पूछते हुए यह संकेत दे दिया है कि रोजगार बिहार विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बन चुका है। नड्डा ने लालू प्रसाद से सवाल पूछा है कि उनके जमाने में 25 से 30 लाख लोग बिहार छोड़कर क्यों गये? तीसरे चरण में बीजेपी के 20 विधायक हैं तो आरजेडी के 18. रोजगार पर दोनों पार्टियां लड़-भिड़ रही हैं यह मतदाताओं को अपनी पसंद तय करने में जरूर मदद करेगा। तीसरे चरण के लिए पीएम मोदी ने 4 नवंबर को ट्वीट किया कि लोकल के लिए वोकल होगा बिहार। उन्होंने ‘आत्मनिर्भर बिहार' का सपना भी दिखाया है। उनकी बातें लोगों में आकर्षण पैदा करती रही हैं। मगर, जेडीयू के साथ 15 साल की एंटी इनकंबेंसी के रहते ये बातें कितनी असर करेंगी, यह महत्वपूर्ण बात है।
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किसान और लॉकडाउन भी है मुद्दा
राहुल गांधी का नरेंद्र मोदी पर हमला तीसरे चरण में भी जारी है। किसानों के मुद्दे को वे लगातार उठा रहे हैं। उन्होंने पीएम मोदी से पूछा है कि किसान अपनी फसल बेचने के लिए आजाद तो हैं लेकिन वे क्या हवाई जहाज से फसल बेचने निकलेंगे? क्योंकि, सड़कें तो हैं नहीं। राहुल गांधी लॉकडाउन के बाद प्रवासी मजदूरों की बेहाली का मसला भी उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी गरीबों की मदद के लिए जब सड़क पर थी तब मोदी-नीतीश प्रवासी मजदूरों पर बर्बरता कर रहे थे। तीसरे चरण में 74 सीटों में से कांग्रेस के पास 10 सीटें हैं।
राष्ट्रवाद की पिच पर जारी है बैटिंग
योगी आदित्यनाथ की ओर से राष्ट्रवाद की हवा बनाए रखने की कोशिश जारी है। उन्होंने चौथे चरण में मुंबई अटैक की याद दिलाई है और कहा है कि कांग्रेस डर गयी थी अन्यथा वह भी पुलवामा हमले के बाद वाला साहस दिखा सकती थी और पाकिस्तान में घुसकर हमला कर सकती थी। तीसरे दौर में पप्पू यादव, ओवैसी और उनके सहयोगियों की भी परीक्षा होनी है। इन सबके निशाने पर भी नीतीश कुमार हैं। वहीं शिवसेना जैसी पार्टी भी यह कहकर बीजेपी पर हमला करने का अवसर नहीं छोड़ रही कि वह अपने सहयोगी दलों का इस्तेमाल कर उसके साथ विश्वासघात करने में जुटी है। एक तरह से जेडीयू और बीजेपी के बीच जो अविश्वास की स्थिति बनी है वह भी चुनाव में मुद्दा है।