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जदयू को जवाब है चिराग का अखबारी इश्तेहार, लोजपा यूथ से साधेगी बूथ

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जदयू को जवाब है चिराग का अखबारी इश्तेहार, लोजपा यूथ से साधेगी बूथ

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Bihar Assembly Election 2020: LJP ने जारी किया विज्ञापन, CM Nitish Kumar पर तंज | वनइंडिया हिंदी

नीतीश बनाम चिराग की लड़ाई अब बद से बदतर हो रही है। जदयू ने जीतन राम मांझी के लिए जो भूमिका तय की थी उसमें वे बिल्कुल फिट बैठ गये हैं। मांझी ने नीतीश के सेनापति के रूप में चिराग पासवान और रामविलास पासवान पर आक्रमण झोंक दिया है। दूसरी तरफ चिराग पासवान ने अखबारी इश्तेहार के जरिये नीतीश के खिलाफ जंग का एलान कर दिया है। 37 साल के चिराग पासवान ने युवा बिहार बनाने और युवा बिहारी के साथ चलने का नारा देकर नीतीश के ओल्ड मॉडल को रिजेक्ट कर दिया है। इस विज्ञापन के माध्यम से चिराग पासवान ने नीतीश की सोशल इंजीनयरिंग पर भी कटाक्ष किया है। इस लड़ाई से बिहार एनडीए की पारी जमने से पहले ही ढहने की स्थिति में है।

अखबारी इश्तेहार से जंग का एलान

अखबारी इश्तेहार से जंग का एलान

जिस तरह से जदयू के नेता, जीतन राम मांझी को चढ़ा-बढ़ा रहे थे और मांझी पासवान परिवार पर निजी हमले कर रहे थे, उस पर तो धमाका होना ही था। चिराग ने पटना के अखबारों में पहले पन्ने पर फुल पेज विज्ञापन दे कर नीतीश के खिलाफ युद्ध का शंखनाद कर दिया । चिराग ने इस विज्ञापन के जरिये अपना चुनावी एजेंडा पेश कर दिया है। लोजपा के युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग ने अपनी यंग इमेज को ही इलेक्शन का यूएसपी बनाया है। उनका नारा है- आओ बनाएं, नया बिहार- युवा बिहार, चलों चलें युवा बिहारी के साथ। चिराग ने युवा बिहार बनाने की बात कर नीतीश की राजनीति के पुराने ढर्रे को खारिज कर दिया है। चिराग ने इस साल फरवरी में बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट के नाम से एक यात्रा निकाली थी। तब उन्होंने कहा था कि नीतीश कुमार ने काम किया है लेकिन अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है। चिराग ने नीतीश के गुड गवर्नेंस पर सवाल उठाया था, बिहार में अगर काम हुआ तो हमारा राज्य विकासित राज्यों की श्रेणी में क्यों नहीं पहुंच पाया ? अब लोजपा ने बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया है। चिराग ने नीतीश कुमार से एक कदम आगे बढ़ कर बिहार को नम्बर एक राज्य बनान का सपना दिखाया है। इस विज्ञापन में चिराग ने नीतीश के जातीय समीकरण पर भी चुटकी ली है। नीतीश अभी तक अतिपिछड़े और अल्पसंख्यक वोट पर ही फोकस करते रहे रहैं। लेकिन चिराग ने कहा है- धर्म न जात-करें सबकी बात। चिराग ने यह संदेश दिया है कि लोजपा को केवल दलित आधार वाली पार्टी न समझा जाए, यही सभी वर्गों की हिमायती है।

अगर नहीं माने तो लोजपा के खिलाफ देंगे कैंडिडेट- मांझी

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जीतन राम मांझी कहने को तो एक स्वतंत्र घटक दल के रूप में एनडीए का साझीदार बने हैं। लेकिन फिलहाल वे नीतीश के बल्लेबाज की तरह बैटिंग कर रहे हैं। उन्होंने कहा है, अगर चिराग पासवान ने नीतीश के खिलाफ बगवात की तो वे बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने धमकी दी है, अगर चिराग सवाल करेंगे तो बिना देर उसका जवाब मिलेगा। मांझी ने रामविलास पासवान पर भी भड़ास निकाली है। उन्होंने आरोप लगाया है कि बड़े-बड़े पद पर रहने के बाद भी रामविलास पासवान ने दलितों के लिए कुछ नहीं किया। मांझी इस तरह बयान दे रहे हैं जैसे कि वे जदयू के नेता हैं। खुद को नीतीश का नजदीकी साबित करने के लिए वे बडी-बड़ी बातें कर रहे हैं। उन्होंने कहा, अगर लोजपा ने जदयू की सभी सीटों पर कैंडिडेट दिये तो वे भी लोजपा की सीटों पर ‘हम' के उम्मीदवार उतारेंगे। अगर चिराग नीतीश कुमार के नुकसान की बात सोच रहे हैं तो वे ये ख्याल वे दिल से निकाल दें। मांझी उम्मीद से ज्यादा ही जदयू के लिए पतवार चला रहे हैं, आखिर क्यों ?

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मांझी के चुनाव लड़ने पर नीतीश क्यों दे रहे जोर ?

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क्या नीतीश प्रेम दिखा कर मांझी अधिक से अधिक सीटें लेना चाहते हैं ? जदयू, मांझी को लोजपा के खिलाफ इस्तेमाल तो कर रहा है लेकिन सीटों को लेकर तस्वीर अभी भी साफ नहीं है। चर्चा है कि मांझी विधानसभा की 12 सीटें और अपने लिए विधान परिषद का टिकट चाहते हैं। लेकिन जदयू इस पर राजी नहीं है। वह मांझी को केवल 10 सीट देना चाहता है। मांझी चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं और अपने लिए विधान परिषद की सीट मांग रहे हैं। दूसरी तरफ नीतीश कुमार मांझी के चुनाव लड़ने पर जोर दे रहे हैं। नीतीश ने मांझी से यहां तक कहा है कि वे उनकी जीत की गारंटी लेते हैं। वे खुद उनके चुनाव क्षेत्र में कैंप कर उनकी जीत सुनिश्तित करेंगे। जब कि मांझी एमएलसी बनने के लिए अड़े हुए हैं। मांझी के लगता है कि अगर इस बार कहीं चुनाव हार गये तो उनका करियर लगभग खत्म हो जाएगा। दलितों का बड़ा नेता बनने का सपना भी टूट जाएगा। कुछ लोगों को यह भी कहना है की जदयू चुनाव के बहाने मांझी को निबटाने के फिराक में है। मांझी कब पलट जाएं, कहना मुश्किल है। दूसरी तरफ मांझी की चिंता है कि अगर कहीं 2014 की तरह इस बार भी हार गये तो क्या होगा ? 2014 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार के भरपूर समर्थन के बाद भी मांझी तीसरे पायदान पर फिसल गये थे। कोई जरूरी नहीं कि नीतीश के समर्थन से वे जीत ही जाएं। इसलिए मांझी ने एमएलसी बनने का सुरक्षित विकल्प चुना है। मांझी की मांग पर अभी नीतीश कुमार ने पत्ते नहीं खोले हैं।

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English summary
Bihar assembly elections 2020: Is LJP Chirag Paswan's advertisement a answer to JDU, Nitish kumar
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