बिहार विधानसभा चुनाव होगा लोकतंत्र का डिजिटल अवतार, सोशल मीडिया पर लड़ा जाएगा इलेक्शन !
बिहार विधानसभा का चुनाव लोकतंत्र का डिजिटल अवतार है। बिहार देश में पहला राज्य होगा जिसका चुनाव डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लड़ा जाएगा। कोरोना संकट के बीच होने वाला यह चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक और अभूतपूर्व होगा। बिहार तकनीकी चुनाव प्रबंधन का नया इतिहास लिखने जा रहा है। 7 जून को केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह वर्चुअल रैली (आभासी सभा) के जरिये बिहार चुनाव के लिए शंखनाद करेंगे। 21 साल पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने भारत में पहली बार चुनाव प्रचार के लिए इंटरनेट का प्रयोग किया था। अब बिहार में 'मास इंटरैक्शन’ के लिए सोशल मीडिया का व्यापक इस्तेमाल किया जाने वाला है। अमित शाह की वर्चुअल रैली फेसबुक, ट्वीटर, यूट्यूब और नमो एप पर लाइव उपलब्ध होगी जिससे करीब एक लाख लोग जुड़ेंगे। यानी अब बिहार में भी अमेरिका की तर्ज पर चुनाव होने वाला है।
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सोशल मीडिया पर लड़ा जाएगा बिहार चुनाव !
2008 के अमेरिकी राष्ट्पति चुनाव में ‘न्यू साइंटिफिक इलेक्शन कैंपेन' चर्चा का विषय रहा था। उस समय अमेरिका के हर चार में से तीन इंटरनेट यूजर ने चुनाव पूर्व पॉलिटिकल डिबेट में हिस्सा लिया था। करीब 55 फीसदी अमेरिकी मतदाता इंटरनेट के जरिये इस चुनाव में एक्टिव रहे। इसके बाद से अमेरिका में चुनाव प्रचार के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा। भारत में इसका प्रयोग अभी प्रारंभिक चरण में है। लेकिन कोरोना संकट ने जब विशाल जनसभाओं की सारी संभावनाएं खत्म कर दीं तो इलेक्शन कैंपेन के लिए साइंटिफिक एप्रोच को अपनाना बाध्यकारी हो गया। टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में भाजपा चूंकि अन्य दलों से आगे थी इसलिए उसने ही सबसे पहले इसका इस्तेमाल किया। नरेन्द्र मोदी के दूसरे कार्यकाल का जब 30 मई को एक साल पूरा हुआ तो सरकार की उपलब्धियों को लोगों तक पहुंचाने के लिए वर्चुअल मिटिंग की योजना बनायी गयी। इसके तहत दो हजार वर्चुअल मिटिंग होनी है।
बिहार में पहली वर्चुअल रैली
7 जून को बिहार में होने वाली वर्चुअल रैली वैसे तो मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का एक वर्ष पूरा होने पर आयोजित की जा रही है। लेकिन इसका असल मकसद है बिहार चुनाव के लिए भाजपा के अभियान का श्रीगणेश। रैली की तकनीकी सफलता के लिए भाजपा के बिहार प्रभारी और रणनीतिकार भूपेन्द्र यादव पटना पहुंच चुके हैं। इस रैली के लिए पटना और दिल्ली में दो मंच बनेंगे। दिल्ली के मंच से अमित शाह समेत छह केन्द्रीय मंत्री आभासी सभा को संबोधित करेंगे। पटना के मंच से बिहार के प्रमुख नेता संक्षेप में अपनी बात रखेंगे। यह वर्चुअल रैली 7 जून को शाम चार बजे से साढ़े पांच बजे तक निर्धारित है। इस रैली का फेसबुक, यूट्यूब, ट्वीटर और नमो एप पर प्रसारण होगा। रैली का लिंक अधिक से अधिक लोगों को भेजा जा रहा है। BJP for Bihar Live के जरिये बिहार के 72 हजार मतदान केन्द्रों तक लोगों से संवाद होगा। इस रैली में चूंकि भाजपा के बूथ स्तर के कार्यकर्ता भी जुड़ रहे हैं जो चुनाव के लिहाज से महत्वपूर्ण साबित होगा। भाजपा का दावा है कि करीब एक लाख लोग इससे जुड़ेंगे। 2020 चुनाव के लिए बिहार में यह सबसे बड़े जनसंवाद की पहल है।
सबसे पहले वाजपेयी का हुआ था इंटरनेट से प्रचार
भाजपा शुरू से तकनीक के इस्तेमाल में अन्य दलों से आगे रही है। भारत में इंटरनेट सेवा की शुरुआत 1995 में विदेश संचार निगम लिमिटेड ने की थी। वीएसएनएल ने टेलीफोन लाइन के जरिये भारतीय कम्प्यूटरों को दुनिया के कम्प्यूटरों से जोड़ा था। 1998 में सरकार ने विदेशी कंपनियों को भी इंटरनेट सेवा के लिए मंजूरी दे दी थी। उस समय भारत में गिने चुने लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते थे। इंटरनेट नया-नया था इसके बावजूद पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी को इसके चुनावी इस्तेमाल का ख्याल सूझा। 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में मिलीजुली सरकार बनी थी। जयललिता के समर्थन वापस लेने से वाजपेयी सरकार 1999 में गिर गयी। मध्यावधि चुनाव की घोषणा हुई। 1999 में भी वाजपेयी लखनऊ से चुनाव लड़ रहे थे। वाजपेयी के सुझाव पर उनके प्रचार के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल तय हुआ। VoteForAtal.com के नाम से वेबसाइट बनाया गया। उस समय नरेन्द्र मोदी संगठन मंत्री थे और लखनऊ में मौजूद थे। उन्होंने सुझाव दिया था कि इस वेबसाइट को किसी चर्चित हस्ती से लॉन्च कराया जाय ताकि इसकी अधिक से अधिक चर्चा हो सके। नरेन्द्र मोदी के सुझाव पर भाजपा ने फिल्म स्टार विनोद खन्ना को इसके लिए चुना। विनोद खन्ना VoteForAtal.com को लॉन्च करने लखनऊ आये। लोगों में इसकी खूब चर्चा हुई। अटल बिहार वाजपेयी के लिए इंटरनेट के जरिये चुनाव प्रचार किया गया। इंटरनेट के जरिये वीडियो संदेश भेजे गये। अटल सरकार की उपलब्धियों के क्लिप्स दिखाये गये। वर्चुअल मीटिंग की गयीं। चूंकि वाजपेयी सरकार 13 महीने में गिर गयी थी इसलिए भाजपा ने जनता से स्थायी सरकार बनाने के लिए समर्थन मांगा। पढ़े-लिखे तबके में इसकी अच्छी प्रतिक्रिया हुई। इस चुनाव में अटल बिहारी जीते और पांच साल तक मिलीजुली सरकार चलाने का करिश्मा भी किया।