एक फोन कॉल लालू यादव पर पड़ गया भारी, अब चुकाना होगा किराया भी
फोन ने फजीहत कर दी। लालू यादव को फिर रिम्स के पेईंग वार्ड में जाना पड़ा। किरकिरी के बाद हेमंत सरकार को आखिरकार यह फैसला लेना पड़ा। निदेशक के आलीशान बंगले से लालू यादव रुखसत हुए। भाजपा विधायक ललन पासवान से लालू यादव की फोन पर कथित बातचीत के बाद बिहार और झारखंड में घटनाक्रम तेजी से बदला है। सुशील मोदी के खुलासे के बाद ये सवाल पूछा जा था है कि सजायाफ्ता लालू यादव को तीन एकड़ के आलीशन बंगले में क्यों रखा गया है ? सजा काट रहे एक कैदी के पास मोबाइल कहां से आ गया ?
कोर्ट में पहुंचा मामला
लालू यादव के जेल में फोन इस्तेमाल करने के खिलाफ भाजपा ने झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दाखिल की है। याचिका में लालू यादव को मिल रही सुविधाओं और सेवादार दिये जाने पर सवाल उठाया गया है। आरोप है लालू यादव ने अपने सेवादार इरफान के फोन से ही भाजपा विधायक ललन पासवान से बात की थी। झारखंड हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में कारा महानिरीक्षक और बिरसा मुंडा जेल अधीक्षक को काराण बताओ नोटिस जारी कर पूछा था कि निर्देश के बावजूद लालू यादव के मिलने वाले लोगों को सूची क्यों नहीं पेश की गयी ? कोर्ट ने कारा प्रशासन से यह भी पूछा था कि क्या लालू से मिलने वाले लोगों ने इसके लिए विधिवत मंजूरी ली थी ?
जेल से अस्पताल आये
चारा घोटला मामले में सजायाफ्ता लालू यादव को बिरसा मुंडा जेल से इलाज के लिए अस्पताल (रिम्स) में भर्ती कराया गया था। उन्हें 2018 में यहां लाया गया था। पहले उन्हें इलाज के लिए कार्डियोलॉजी विभाग में रखा गया। तब लालू यादव ने अस्पताल प्रबंधन से कहा कि यहां आसपास रातभर कुत्ते भूंकते हैं इसलिए नींद नहीं आती। सितम्बर 2018 में उनकी सेहत और सुरक्षा को देखते हुए रिम्स के पेईंग वार्ड में शिफ्ट किया गया। पेईंग वार्ड के जिस कमरे में लालू यादव को रखा गया था उसके एक दिन का किराया 1000 रुपये था। वे करीब दो साल तक इस कमरे में रहे। उन्हें किराया के रूप में 7 लाख रुपये भुगतान करने पड़े। अगस्त 2020 में लालू यादव को कोरोना संक्रमण से सुरक्षा के लिए रिम्स निदेशक के बंगले में शिफ्ट कर दिया गया। इसके लिए रिम्स के अधीक्षक ने खुद जेल प्रशासन को पत्र लिखा था।
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ये जो बंगला है
राजेन्द्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज (रिम्स) का सर्वोच्च पदाधिकारी निदेशक होता है। इसलिए उसका बंगला भी आलीशन है। यह बंगला करीब तीन एकड़ा में फैला है। इसमें चार बड़े कमरे, एक विशाल डायनिंग हॉल, तीन बाथरूम हैं। बड़ा सा लॉन है। सुंदर फुलवारी है। सर्वेंट क्वार्टर अलग बने हुए हैं। चारा घोटला के चार मामलों में सजा पा चुके लालू यादव यहीं रहते थे। उनके लिए तैनात तीन सेवादार भी यहीं रहते थे। पहले प्रभारी निदेशक अपने निजी घर में रहती थीं इसलिए यह बंगला खाली था। लेकिन अब डॉ. कामेश्वर सिंह के रूप में स्थायी निदेशक की नियुक्ति हो गयी है। उन्हें फिलहाल गेस्ट हाउस में रहना पड़ रहा है। यह हैरानी की बात है कि अस्पताल के सबसे बड़े अधिकारी गेस्ट हाउस में रहें और एक सजायाफ्ता बंदी उनके निर्धारित मंगले में रहे। पेईंग वार्ड में तो लालू यादव को किराया भी देना पड़ता था लेकिन इस आलिशान घर में रहने के लिए उन्हें कोई पैसा नहीं देना पड़ता था। लेकिन हेमंत सरकार की फजीहत के बाद उन्हें फिर पेईंग वार्ड में शिफ्ट किया गया।
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एक्शन के लिए मजबूर हुई सरकार
इसके पहले भी लालू यादव की मोबाइल से बात करते हुए तस्वीरें सार्वजनिक हुईं थीं। लेकिन हेमंत सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। जेल मैन्युअल के उल्लंघन आरोप लगता रहा और झारखंड सरकार खामोश रही। लेकिन इस बार बात हद से ज्यादा बढ़ गयी थी। लालू यादव के फोन वाले ऑडियो के सार्वजनिक होने और मामला कोर्ट में जाने से हेमंत सरकार गहरे दवाब में आ गयी। सरकार ने अफसरों की जांच के नतीजों का इंतजार भी नहीं किया और उसने गुरुवार को आनन-फानन में लालू यादव को निदेशक के बंगले से पेईंग वार्ड में शिफ्ट करा दिया। शुक्रवार को हाईकोर्ट में लालू यादव की जमानत पर सुनवाई होनी है। कानून के जानकारों का कहना है कि अगर लालू यादव को जमानत नहीं मिलती है तो उन्हें वैसे भी बंगला छोड़ना पड़ सकता था। यह मामला पहले से कोर्ट के विचाराधीन है। लालू यादव की वजह से रिम्स के निदेशक पिछले 12 दिनों से गेस्ट हाउस में ठहरे हैं। उन्हें एक दिन के लिए चार सौ रुपये का किराया भी देना पड़ रहा है। यह बात भी सरकार के खिलाफ जा रही थी। आखिरकार झारखंड सरकार को सख्त फैसला लेना पड़ा।