बांकीपुर सीट : नितिन नवीन, लव सिन्हा और पुष्पम प्रिया के बीच कैसा है मुकाबला?
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पटना शहर की बांकीपुर विधानसभा सीट भाजपा की सबसे मजबूत सीटों में एक है। भाजपा के मौजूदा विधायक नितिन नवीन अभी तक इस सीट पर एकतरफा लड़ाई में जीतते रहे हैं। लेकिन इस बार लव सिन्हा और पुष्पम प्रिया चौधरी के चुनाव में मैदान में उतर जाने से बांकीपुर की लड़ाई रोमांचक हो गयी है। दो युवा और चर्चित उम्मीदवारों की चुनौती से भाजपा विधायक नितिन नवीन पहली बार कुछ परेशानी महसूस कर रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी लव सिन्हा मशहूर नेता-अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा के पुत्र हैं। लंदन रिटर्न पुष्पम प्रिया बिहार चुनाव के चर्चित चेहरों में एक हैं। उन्होंने नयी राजनीतिक शैली से लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा हैं। बांकीपुर में किस उम्मीदवार की कैसी है स्थिति?
नितिन नवीन की स्थिति
भाजपा के नितिन नवीन बांकीपुर सीट पर तीन बार चुनाव जीत चुके हैं। वे हर बार पहले से अधिक वोटों से जीतते रहे हैं। मतों की संख्या की अगर बात करें तो अभी तक भाजपा के सामने कोई विपक्षी दल टिक नहीं पाया है। 2015 में जब लालू-नीतीश एक साथ थे तब भी नितिन नवीन करीब चालीस हजार वोटों से जीते थे। 2010 में वे करीब साठ हजार वोट से जीते थे। 2010 में तो राजद की तरफ से लालू यादव के निजी सचिव रहे विनोद कुमार श्रीवास्तव ने चुनाव लड़ा था। बांकीपुर में कायस्थ मतदाताओं की निर्णायक संख्या है। इसी सोच के साथ विनोद श्रीवास्तव इस सीट पर चुनाव लड़ने आये थे। उनके साथ लालू यादव का नाम जुड़ा था इसके बाद भी उन्हें केवल 17 हजार 931 वोट ही मिले थे। नितिन नवीन भी कायस्थ हैं। यानी कायस्थ वोटर पूरी तरह से नितिन नवीन के साथ हैं। किसी दूसरी पार्टी का स्वजातीय उम्मीदवार इन्हें लुभा नहीं पाता। कायस्थ वोटर जाति से अधिक भाजपा के प्रति निष्ठावान हैं। नितिन नवीन को जनता का नेता माना जाता है। 2019 में जब पटना में बाढ़ की स्थिति थी तब नितिन नवीन लोगों के बीच सक्रिय रहे। 2020 में कांग्रेस उम्मीदवार लव सिन्हा से पहली बार नितिन नवीन को चुनौती मिल रही है। पिता शत्रुघ्न सिन्हा, मां पूनम सिन्हा और भाई कुश सिन्हा के प्रचार से लव सिन्हा के लिए कुछ माहौल बना है। चुनाव प्रचार के दौरान मिल रहे फीडबैक के आधार पर ये माना जा रहा है कि इस बार बांकीपुर में एकतरफा लड़ाई नहीं होगी। फिलहाल नीतीन नवीन का पलड़ा भारी दिख रहा है लेकिन उन्हें टफ फाइट मिलती दिख रही है।
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लव सिन्हा की चुनौती
शत्रुघ्न सिन्हा जैसी चर्चित हस्ती के पुत्र होने के कारण लव सिन्हा की राजनीतिक पारी को एक मजबूत आधार मिल गया है। शत्रुघ्न सिन्हा पटना साहिब के सांसद रहे हैं और उनके अपने व्यक्तिगत समर्थक भी हैं। अब वे भले भाजपा से कांग्रेस में चले गये हैं लेकिन ये समर्थक अभी भी उनके साथ हैं। लव सिन्हा को राजद और भाकपा माले के कोर वोटरों का समर्थन हासिल है। इसलिए पहली बार कोई विपक्षी उम्मीदवार बांकीपुर सीट पर भाजपा को चुनौती देने की स्थिति में आ पाया है। शत्रुघ्न सिन्हा और उनकी पत्नी पूनम सिन्हा ने लव के प्रचार में दिन रात एक कर दिया है। पूनम सिन्हा ने अपने पति शत्रुघ्न सिन्हा के लिए भी कभी इतना जोरदार प्रचार नहीं किया था। लेकिन इस बार उन्होंने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। लव सिन्हा भाजपा को कितनी मजबूत चुनौती दे पाएंगे ये कायस्थ वोटरों के रुख पर निर्भर करता है। अगर उन्होंने अपने स्वजातीय मतों में सेंध लगा दी तो भाजपा के लिए मुश्किल हो जाएगी।
पुष्पम प्रिया की चुनौती
बिहार की चुनावी राजनीति में धूमकेतु की तरह उभरी पुष्पम प्रिया चौधरी का दावा है कि वे बहुत शोध और खोजबीन के बाद बांकीपुर से चुनावी मैदान में उतरी हैं। अभी तक के चुनाव प्रचार में उनकी बौद्धिक और आधुनिक छवि की चर्चा तो है लेकिन वोटरों पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता नहीं दिख रहा है। पुष्पम पढ़े-लिखे, नौजवान और गरीब तबके से बिहार को बदलने के लिए वोट मांग रही हैं लेकिन विचारधारा और जाति के आधार पर विभाजित लोग उनकी तरफ मुड़ते नहीं दिख रहे हैं। पुष्पम प्रिया को देखने के लिए भीड़ तो जमा हो रही है लेकिन वोट कितने मिलेंगे ये तय नहीं है। पुष्पम हेल्थ रिफॉर्म, एजुकेशन रिफॉर्म और आठ डेवलपमेंट जोन के एजेंडे पर चुनाव लड़ रही हैं। पटना के बुद्धिजवी वर्ग में पुष्पम को लेकर उत्सुकता है। अभी तक के चुनाव प्रचार के मुताबिक पुष्पम किसी बड़े उलटफेर की स्थिति में नहीं हैं।
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