बिहार में कोरोना वारियर्स पर हमला और भागमभाग से खतरा बढ़ा
पटना। बिहार के गांव- गांव में सोशल डिस्टेंडिंग को लागू करना एक बड़ी समस्या बन गयी है। कोरोना का खतरा लगातार बढ़ रहा है लेकिन लोगों की लापरवाही कम नहीं हो रही है। सरकार ने पंचायत के मुखिया को जागरुकता बढ़ाने की जिम्मेदारी दी थी लेकिन लोग अब मारपीट पर उतारू हो गये हैं। पूर्वी चम्पारण के तुरकौलिया में जब मुखिया लोगों को सोशल डिस्टेंडिंग का पालन कराने गये तो उन पर हमला कर दिया गया। इसी तरह बेगूसराय जिले के नावकोठी में लोग बीडीओ के साथ मारपीट पर उतारू हो गये। गांव-गांव में खुले क्वारेंटाइन सेंटरों का हाल भी बुरा है। उनमें कई बदइंताजमी का शिकार हैं। कई लोग यहां से भाग गये हैं। कुछ लोग क्वारेंटाइन सेंटरों में रहने के बावजूद घूमने के लिए घर चले जाते हैं। दूसरे राज्यों से आने वाले कुछ लोग बिना जांच कराये ही गांव पहुच गये हैं। ऐसे लोग अपनी पहचान छिपा कर बहुत बड़े खतरे को न्योता दे रहे हैं।
मुखिया और बीडीओ पर हमला
पूर्वी चम्पराण के तुरकौलिया में लोगों ने मुखिया पर हमला कर उनका सिर फोड़ दिया। गुरुवार को तुरकौलिया मध्य के मुखिया सुनील टाइगर गांव में घूम कर लोगों से भीड़ न लगाने की अपील कर रहे थे। वे कोरोना से बचाव के लिए लोगों को एक दूसरे से दूर रहने और लॉकडाउन की अहमियत समझा रहे थे। इस दौरान एक युवक उनसे बहस करने लगा। उसने तैश में आ कर मुखिया पर डंडे से हमला कर दिया जिससे उनका सिर फूट गया। मुखिया को इलाज के लिए अस्पताल ले जाना पड़ा। गांवों में लोग अभी भी मंडली बना कर गपशप करने से बाज नहीं आ रहे। इसी तरह बेगूसराय जिले के नावकोठी के बीडीओ लॉकडाउन का जायजा लेने के लिए दौरे पर निकले थे। जब वे पहसारा गांव के पास पहुंचे तो देखा कि तीन युवक एक ऑटो में सवार हो कर उनकी गाड़ी को ओवर टेक करने की कोशिश कर रहे थे। जब युवकों को लॉकडाउन पालन करने का निर्देश दिया तो वे बीडीओ से उलझ गये। उनकी गाड़ी को नुकसान पहुंचाया और गाली गलौज की। बीडीओ को चोट भी लगी।
क्वारेंटाइन सेंटर का बुरा हाल
गांव में स्कूलों या पंचायत भवन को क्वारेंटाइन सेंटर में तब्दील तो कर दिया है लेकिन उनमें बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। यहां रहने वाले लोग खाने, सोने, रौशनी और शौचालय की सुविधा को लेकर शिकायत कर रहे हैं। इस बदइंतजामी के कारण वे यहां रहना नहीं चाहते। गया जिले के नौडीहा क्वारेंटाइन सेंटर से दस लोग फरार हो गये। भाग कर वे अपने गांव चले गये। बाद में पुलिस उन्हें पकड़ कर फिर सेंटर ले आयी। सोशल डिस्टेंडिंग के निर्देश को तोड़ने के आरोप में इनके खिलाफ एफआइआर दर्ज किया गया है। अब यहां प्रशासन ने पहरा लगा दिया है। सुपौल जिले में भी चार दिन पहले 41 मजदूर अलग-अलग क्वारेंटाइन सेंटरों से भाग गये थे। उनका आरोप था कि सेंटर में जमीन पर ही सोना पड़ता था। मजदूरों के आरोप के मुताबिक क्वारेंटाइन सेंटर में न तो भोजन की व्यवस्था थी और न सोने के लिए बिस्तर था। जिनके पास गमछा था वे गमछा बिछा कर सो गये और जिनके पास कुछ नहीं था वे जमीन पर ही सोने के लिए मजबूर हुए। ये सभी लोग दिल्ली से बिहार लौटे थे। पटना जिले के पालीगंज इलाके के एक क्वारेंटाइन सेंटर का हाल तो और भी खतरनाक है। तोरणी गांव के प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक यहां के सेंटर में रहने वाले लोग इधर- उधर घूमते हैं। एक दो तो अपने घर आ कर छोटा-मोटा काम भी कर जाते हैं। फिर रात को सेंटर में सो जाते हैं। यहां रहने वाले लोग खुद खाना बना कर खाते हैं।
बिहार में बढ़ा कोरोना का खतरा, संदिग्धों के गायब होने से चिंता बढ़ी
जांच करने गयी टीम पर हमला
मुंगेर के मृत युवक की वजह से ही बिहार में 11 लोग कोरोना संक्रमित हुए हैं। इसलिए इस शहर पर प्रशासन की खास नजर है। बुधवार को मुंगेर के कासिम बाजार इलाके में सोमवार को एक बच्ची की मौत हुई थी। एहतियात के लिए इस बच्ची के परिजनों की जांच जरूरी थी ताकि जरूरत पड़ने पर लोगों को क्वारेंटाइन किया जा सके। बुधवार को जब मेडिकल टीम कोरोना संदिग्धों की जांच के लिए पहुंची तो असामाजिक तत्वों ने उन पर हमला कर दिया। पुलिस की गाड़ी के शीशे तोड़ दिये गये। जब पुलिस ने सख्ती दिखायी तो मामला शांत हुआ। इस मामले में एफआइआर दर्ज कर लिया गया है। इस तरह देखा जा रहा है कि जागरुकता की कमी के कारण कोरोना से निबटने में परेशानी हो रही है।