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बिहार चुनाव में 20 लाख नये वोटर लिखेंगे 15 जिलों में जीत-हार की कहानी

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बिहार चुनाव में 20 लाख नये वोटर लिखेंगे 15 जिलों में जीत-हार की कहानी

बिहार विधानसभा चुनाव समय पर होंगे। अक्टूबर-नम्बर में चुनाव होना है। चुनावी तैयारियों के लिए अभी चार महीने का वक्त है। बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी का कहना है कि इतने समय में तैयारियां पूरी हो जाएंगी। कोरोना संकट के कारण चुनौतियां बढ़ी हैं लेकिन समय रहते संबंधित कार्य को पूरा कर लिया जाएगा। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक अभी तक 25 लाख लोग दूसरे राज्यों से बिहार लौटे हैं। इनके आने का सिलसिला अभी जारी है। 6 जून को भी विभिन्न रेल गाड़ियों से करीब 15 हजार मजदूर दानापुर- पटना पहुंचे। चुनाव आयोग इस बात की समीक्षा कर रहा है कि बिहार लौटने वाले कितने मजदूर वोटर बनने की योग्यता रखते हैं। मुख्यमंत्री विशेष सहायता योजना का लाभ लेने के लिए दूसरे राज्यों में काम करने वाले 29 लाख मजदूरों ने पंजीकरण कराया था। इनमें से करीब 20 लोग ऐसे हैं जो बिहार में नये वोटर बन सकते हैं। चुनाव आयोग इनके नाम वोटर लिस्ट में जोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर रहा है।

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सबसे अधिक उत्तर बिहार में लौटे हैं मजदूर

सबसे अधिक उत्तर बिहार में लौटे हैं मजदूर

बिहार में सबसे अधिक मजदूर पश्चिम चम्पारण जिले में लौटे हैं। सरकारी अंकड़ों के मुताबिक पश्चिम चम्पारण में 94 हजार 876 मजदूर आये हैं। दूसरा स्थान कटिहार जिले का जहां 86 हजार 491 लोग आये हैं। तीसरे नम्बर पर दरभंगा है जहां 77 हजार 244 लोग लौटे हैं। इनके आने का सिलसिला अभी जारी है, इसलिए ये आकंड़ा और बढ़ेगा। वैसे तो बिहार के सभी जिलों में बाहर से लोग आये हैं लेकिन उत्तर बिहार में इनकी तादाद अन्य हिस्सों से अधिक है। गंगा नदी के उत्तर में बसे जिलों को उत्तर बिहार कहा जाता है। इस क्षेत्र में आने वाले जिले हैं - मुजफ्फरपुर, पश्चिम चम्पारण, पूर्वी चम्पारण, शिवहर दरभंगा, मधुबनी, सहरसा ,सुपौल, मधेपुरा, खगड़िया, बेगूसराय, कटिहार, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज आदि। अगर बाहर से लौटने वाले मजदूर वोटर बनते हैं तो करीब 15 जिलों के विधानसभा चुनाव पर इसका असर पड़ेगा।

अतिपिछड़ों और दलितों की संख्या अधिक

अतिपिछड़ों और दलितों की संख्या अधिक

क्वारेंटाइन सेंटर में दर्ज नाम और पते के आधार पर यह स्पष्ट हो रहा है कि दूसरे राज्यों से आने वाले मजदूरों में सर्वाधिक संख्या अतिपिछड़े और दलितों की है। अल्पसंख्यक समुदाय की संख्या भी अच्छी खासी है। अभी तक यही माना जाता है कि अतिपिछड़े और दलित वर्ग पर नीतीश कुमार का सबसे अधिक प्रभाव है। लेकिन दूसरे राज्यों से आने वाले लोग अनगिनत परेशानियों को झेल कर बिहार लौटे हैं। दस-बीस हजार रुपये महीना कमाने वाले मजदूर अब बेकार बैठे हैं। कोरोना के खतरे ने उन्हें एक तरह से अछूत बना दिया था। इनका मन पीड़ा से भरा हुआ है। विकट परिस्थितियों से जूझ रहे ये लोग चार महीना बाद किसी तरह राजनीतिक प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगे, अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। नीतीश कुमार इस विशाल संख्याबल को साधने में जी जान से जुटे हुए हैं। वे फौरी तौर पर इन्हें राहत तो मुहैया करा ही रहे हैं, रोजगार भी देने का भरोसा दिला रहे हैं। इतना ही नीतीश मजदूरों की संवेदनाओं से भी जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में कहा कि, बाहर से आने वाले लोगों के लिए मीडिया में ‘प्रवासी मजदूर' लिखा जा रहा है जो उचित नहीं है। देश के किसी राज्य में कमाने वाले लोग प्रवासी कैसे हो सकते हैं। अगर वे विदेश में जा कर रोजगार करें तो उन्हें प्रवासी कहा जा सकता है। ऐसा कह कर नीतीश ने मेहनतकश लोगों के आत्मसम्मान को संतुष्ट करने की कोशिश की।

मजदूरों को लेकर हवाई जहाज से पटना पहुंचे

मजदूरों को लेकर हवाई जहाज से पटना पहुंचे

दूसरे राज्यों में काम करने वाले बिहारी मजदूरों का हितैषी बनने के लिए राजनीतिक दलों में होड़ लगी हुई है। तेजस्वी यादव ने तो उन्हें बकायदा पार्टी कार्यकर्ता बनाने की कोशिश शुरू कर दी है। हद तो तब हो गयी जब आम आदमी पार्टी के नेता और सांसद संजय सिंह 180 मजदूरों को हवाई जहाज से लेकर पटना पपुंच गये। दिल्ली के मुख्यमंत्री के करीबी संजय सिंह आप के बिहार प्रभारी हैं। बिहार विधानसभा चुनाव पर आप की भी नजर है। सांसद संजय सिंह 180 मजदूरों को एक चार्टेड प्लेन में बैठा कर गुरुवार की शाम पटना एयरपोर्ट पहुंचे। पटना पहुंचने के बाद उन्होंने विस्तार से ये बताया कि केजरीवाल सरकार ने बिहारी मजदूरों के लिए क्या-क्या मदद की। किसी राजनीतिक दल ने पहली बार मजदूरों को हवाई जहाज के जरिये अपने घरों तक पहुंचाया। अरविंद केजरीवाल ऐसा कर के नाराज बिहारियों के मनाने की कोशिश कर रहे हैं। लॉकडाउन लागू होने के बाद दिल्ली में बिहारी मजदूरों के साथ जो धोखा और अन्याय हुआ उससे उनके मन में केजरीवाल को लेकर बेहद गुस्सा है। सभी राजनीतिक दल मजदूरों की विशाल संख्या को लुभाने में जुटे हैं। ये किसी तरफ जाएंगे, अभी कहना मुश्किल है। लेकिन यह तय है कि जिसको भी इनका समर्थन मिलेगा, उसका चुनावी बेड़ा पार हो जाएगा।

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English summary
20 lakh new voters will write the story of victory and defeat in 15 districts in Bihar elections
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