चिराग की भावनाओं को सहलाकर नीतीश खेमे में मायूसी फैला गए मोदी
बिहार में चर्चा है कि नरेंद्र मोदी ने चिराग पासवान के खिलाफ एक शब्द भी क्यों नहीं कहा? चिराग पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी एनडीए का हिस्सा होकर भी बिहार में एनडीए से अलग चुनाव लड़ रही है। खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने रामविलास पासवान को श्रद्धांजलि देते हुए माना है कि वे अंतिम सांस तक उनके साथ रहे। चिराग पासवान भी लगातार खुद को नरेंद्र मोदी का हनुमान बताते हुए चुनाव मैदान में हैं। यहां तक कि अपने पिता को श्रद्धांजलि दिए जाने के बाद भावुक होकर उन्होंने कहा है कि वे जीवन भर नरेंद्र मोदी का साथ नहीं छोड़ सकते। जो लोग यह अपेक्षा कर रहे थे कि नरेंद्र मोदी आएंगे और चिराग पासवान को अप्रिय लगने वाले शब्द कहेंगे, वो वास्तव में गलत अपेक्षा कर रहे थे। जब चिराग पासवान लगातार नरेंद्र मोदी से अपना लगाव दिखा रहे हैं तो उनके लिए अप्रिय कहने से खुद नरेंद्र मोदी का कद घटता है। दूसरी बात यह है कि अगर नरेंद्र मोदी चिराग पासवान के लिए कुछ कहते हैं तो इसका मतलब यह है कि चिराग पासवान उनके विपरीतखेमे में हैं।
क्या ऐसा है?
यह ठीक है कि चिराग पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी एनडीए के पाले में नहीं है,लेकिन वह बीजेपी से अलग कहां है? केंद्र सरकार में अंतिम सांस तक रामविलास पासवान मंत्री रहे और इसके लिए आभार जताकर पीएम मोदी उन्हें याद कर रहे हैं। इससे पता चलता है कि एलजेपी भले ही अपने दम पर चुनाव लड़ रही हो लेकिन वास्तव में चिराग पासवान को बीजेपी अपना विरोधी नहीं मानती। अधिक दिन नहीं हुए झारखण्ड विधानसभा चुनाव के, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास जमशेदपुर की सीट पर वे खड़े थे। यहां बीजेपी की हमेशा से एकतरफा जीत होती रही है। मगर, बीते चुनाव में उन्हें चुनौती देने आ पहुंचे आरएसएस के कद्दावर नेता व बीजेपी विधायक व मंत्री रहे सरयू राय। सरयू राय भी यही कहते थे कि उनका बीजेपी से कोई विरोध नहीं है। उनका विरोध रघुवर दास से है। बीजेपी और आरएसएस के लोग सरयू राय को समर्थन कर रहे थे। उम्मीद की जा रही थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी रैली में साफ करेंगे कि कोई भ्रम नहीं है और एक-एक कार्यकर्ता बीजेपी के साथ हैं। प्रधानमंत्री ने बोला। मगर जो बोला उस पर जरा गौर कीजिए- "जो भाजपा के साथ है उसके साथ मोदी है।" इससे वोटरों में भ्रम बढ़ा या कम हुआ इस बात से समझा जा सकता है कि रघुवर दास चुनाव हार गये और सरयू राय की जीत हुई।
एलजेपी नेता चिराग पासवान के लिए भी कुछ भी नहीं बोले पीएम
बिहार में नरेंद्र मोदी ने एलजेपी नेता चिराग पासवान के लिए भी बगैर कुछ बोले और उनके पिता को मरते दम तक अपना साथी बताते हुए श्रद्धांजलि देकर उन्होंने भ्रम पैदा किया है या भ्रम को कम किया है इसे बीजेपी के लोग बेहतर तरीके से समझ रहे होंगे। नरेंद्र मोदी चाहते तो कुछ हल्के तरीके से श्रद्धांजलि देकर निकल जाते। मगर, उन्होंने ऐसा नहीं किया। वास्तव में जो किया वह सही किया। उन्होंने अपने निकटतम सहयोगी को पहचाना और सबके सामने पहचाना। बीजेपी जानती है कि नीतीश कुमार मतलब सध जाने के बाद न एनडीए के होते हैं ना महागठबंधन के। एनडीए में होना ही बीजेपी के विश्वासपात्र होने का पैमाना नहीं है। एलजेपी को बहुत अच्छे तरीके से जानती है बीजेपी। चिराग पासवान के साथ बीजेपी की ट्यूनिंग बहुत बढ़िया रही है। फिर भी एलजेपी को अगर एनडीए में साथ नहीं रखा जा सका तो इसकी वजह बीजेपी नहीं, नीतीश कुमार हैं। यह बीजेपी की राजनीतिक विवशता है। ऐसी विवशता तात्कालिक होती है। चुनाव खत्म विवशता भी खत्म।
फिर क्या होगा?
फिर क्या होगा- का उत्तर हैं चिराग पासवान। चिराग के साथ अकारण बीजेपी के लोग जुड़े हुए नहीं हैं। सब जानते हैं कि चिराग पासवान और उनकी पार्टी एलजेपी वास्तव में बीजेपी की सहयोगी दल है और सिर्फ नीतीश कुमार के कारण ही चिराग कोअकेले चुनाव लड़ना पड़ रहा है। चिराग ने बिहार की सियासत में एक लकीर खींची है। उन्होंने नीतीश के खिलाफ चुनाव लड़ने को किसी मजबूरी से नहीं जोड़ा है। इसे बिहार के लिए जरूरी बताया है। वो साफ-साफ कहते हैं कि नीतीश को वोट देने का मतलब बिहार की बर्बादी के लिए वोट है। लेकिन, चिराग ने कभी बीजेपी के खिलाफ एक शब्द नहीं कहा। नीतीश का बीजेपी के एकतरफा प्रेम की जीत है कि नरेंद्र मोदी बिहार आते हैं और चिराग पासवान के लिए बुरा-भला बोलने के बजाए उनसे अपनी नजदीकी का इजहार करते हैं।
नरेंद्र मोदी का भाषण एलजेपी के लिए उत्साह
नरेंद्र मोदी का भाषण एलजेपी के लिए उत्साह बढ़ाने वाला है जबकि नीतीश कुमार और जेडीयू के उत्साह पर पानी फेरने वाला। चिराग पासवान वो मोहरा हैं जो एनडीए में बीजेपी का कद जेडीयू का कद घटाकर बड़ा कर दे सकते हैं। नीतीश को हर सीट पर चुनौती देने वाले चिराग अगर जेडीयू को 10 सीटों का भी नुकसान कर देते हैं तो बड़ा भाई छोटा हो जाएगा और छोटा भाई तो बड़ा हो ही रहा है। चिराग पासवान की राजनीतिक चतुराई को भी मानना पड़ेगा। इधर नरेंद्र मोदी ने उनके पिता राम विलास पासवान को याद किया, उधर चिराग ने ट्वीट कर आभार जताया। न सिर्फ आभार जताया बल्कि अंतिम दम तक यानी पिता की ही तरह नरेंद्र मोदी का साथ देने का वादा तक कर डाला। यह भावनात्मक लगाव का चरम है। इस चरम के रहते क्या नरेंद्र मोदी के स्तर का नेता चिराग के लिए बुरा बोलने की सोच भी सामने ला सकते हैं! कतई नहीं। नरेंद्र मोदी ने वही किया जो उनकी पार्टी के लिए ठीक है। यह वक्त बताएगा कि बीजेपी ने जेडीयू को अपना समझकर चुनाव लड़ा ही नहीं। गठबंधन में रहकर भी नीतीश की जेडीयू बीजेपी से दूर होती चली गयी और गठबंधन से बाहर रहकर भी एलजेपी बीजेपी के करीब आती चली गयी। यही सच है। पीएम मोदी के बयान का सच। चिराग को बुरा-भला नहीं करने का सच।
पीएम मोदी के 'हनुमान' चिराग पासवान 'माता सीता' के लिए करना चाहते हैं ये काम