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ओडिशा में मुख्यमंत्री की नीतियों का असर, मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं माओवादी

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भुवनेश्वर। ओडिशा में माओवादियों की गतिविधियों में गिरावट देखने को मिल रही है। राज्य सरकार ने इसका श्रेय आकर्षक आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति को दिया है। सरकार के मुताबिक, इन नीतियों के कारण ही ओडिशा में वामपंथी उग्रवाद (LWE) में महत्वपूर्ण गिरावट आई है। ओडिशा सरकार ने गृह मंत्रालय के ताजा दिशानिर्देशों के बाद हाल ही में वामपंथी उग्रवादियों के लिए नई आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति को अधिसूचित किया था।

Maoist

कोरापुट और मलकानगिरी जिलों में सबसे अधिक आत्मसमर्पण

पुलिस से मिले आंकड़ों के अनुसार, 2016, 2017, 2018, 2019 और 2020 में 31, 26, 27, 13 और 21 क्रमशः माओवादियों ने राज्य में आत्मसमर्पण किया था। अधिकांश आत्मसमर्पण माओवादियों से सबसे ज्यादा प्रभावित कोरापुट और मलकानगिरी जिलों में देखने को मिली है।

मुख्यधारा में शामिल हो रहे माओवादी

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, 'हमारे पास माओवादियों के लिए एक मजबूत और उदार आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति है। इस कारण उग्रवादी हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं।' पुलिस अधिकारी ने बताया कि संशोधित नीति पहले की तुलना में अधिक वित्तीय लाभ प्रदान करती है।

क्या है संशोधित नीति

केंद्र के संशोधित सुरक्षा संबंधी व्यय (SRE) अनुदान के तहत, आत्मसमर्पित उच्च संवर्ग माओवादी (श्रेणी 1) के लिए वित्तीय लाभ पहले के 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिए गए हैं। वहीं, कम कैडर माओवादी (श्रेणी 2-बी) के लिए मौद्रिक लाभ 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये कर दिया गया है। हालांकि, एक मध्यम कैडर माओवादी (श्रेणी 2-ए) के लिए अब भी 2.5 लाख रुपये का वित्तीय लाभ बरकार रखा गया है।

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English summary
The impact of Chief Minister's policies in Odisha, Maoists are joining the mainstream
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