जगा-बलिया का ऑपरेशन लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में होगा शामिल, 28 घंटे तक चला था ऑपरेशन
भुवनेश्वर। साल 2020के संस्करण के लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में इस बार जगा-बलिया का ऑपरेशन शामिल होगा। यह जानकारी लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड की तरफ से दी गई है। एक-दूसरे से जुड़े हुए सिर को अलग करने के लिए बड़े ऑपरेशन के मुख्य और दिल्ली एम्स के तत्कालीन न्यूरो सर्जरी विभाग मुख्य प्रोफेसर अशोक कुमार महापात्र और अन्यतम मुख्य प्रोफेसर दीपक कुमार गुप्ता को लिम्का बुक ऑफि रिकॉर्ड्स ने इस संदर्भ में एक अभिनंदन पत्र भेजा है।
लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल
शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन में भुवनेश्वर एम्स के पूर्व निदेशक और सोआ के हेल्थ सर्विसेज निदेशक प्रोफेसर अशोक कुमार महापात्र ने इस मामले की जानकारी दी। इस दौरान उन्होंने बताया कि इस तरह के ऑपरेशन को दुनिया में पहली बार किए जाने की बात नहीं कही जा सकती है, क्योंकि इससे पहले भी जुड़े हुए सिर वाले बच्चों के ऑपरेशन हुए हैं, लेकिन जगा-बलिया का मामला कई केस से अलग था।
28 घंटे में हुआ ता ऑपरेशन
इस मामले में स्नायु प्रतिरूपण नई बात थी जो कि धरती पर पहली बार सफलता के साथ किया गया। जो मस्तिष्क को काटकर अलग करते वक्त बलिया के लिए 28 सेंटीमीटर विशिष्ट साफेंस स्नायु की जरूरत थी। दिल्ली एम्स के स्नायु बैंक से लाए गए स्नायु को बलिया के सिर के साथ जोड़ा गया। 28 अगस्त साल 2017 और उसके बाद 25 अक्टूबर को दो चरणों में हुए ऑपरेशन में साफेंस स्नायु प्रतिरूपण एक बड़ी चुनौती थी।
बलिया की स्थिति सामान्य रूप से अस्वभाविक
प्रोफेसर महापात्र के जानकारी के मुताबिक जुड़े हुए सिर को काट कर शिशु को अलग करने की मामले में केवल 20 फीसदी ही सफलता मिलती है। महाप्रभु श्री जगन्नाथ की कृपा से जगा बलिया मामले में एक विरल उपलब्धि मिली है। उन्होंने बताया कि स्थिति सामान्य रूप से अस्वभाविक रह रही है। लेकिन वह भी उपयुक्त नर्सिंग और फिजियोथेरेपी के माध्यम से स्वस्थ होने की उम्मीद है।