कृषि कानूनों में कहीं नहीं लिखा कि एमएसपी और मंडी सिस्टम बरकरार रहेगा- बीजेडी नेता रणेंद्र प्रताप स्वैन
बीजू जनता दल के नेता और ओडिशा के खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता कल्याण मंत्री रणेंद्र प्रताप स्वैन ने तीनों कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की है।
भुवनेश्वर। बीजू जनता दल के नेता और ओडिशा के खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता कल्याण मंत्री रणेंद्र प्रताप स्वैन ने तीनों कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की है। शनिवार को उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों के मुद्दे पर देशभर के किसानों के बीच अपना भरोसा खो दिया है।
उन्होंने कहा कि भाजपा के नेता संसद में कहते हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बरकरार रहेगा और मंडी सिस्टम भी जारी रहेगा, लेकिन सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है। इससे किसानों के विश्वास में कमी आई है।' उन्होंने राज्य में भाजपा नेताओं की भी आलोचना की, जिन्होंने मंडी कुप्रबंधन को लेकर नवीन पटनायक सरकार पर हमला बोला है।
किसानों
के
प्रति
हमारी
सहानुभूति
इससे
पहले
बीजेडी
ने
संसद
के
दोनों
सदनों
में
कृषि
कानूनों
का
विरोध
किया
था
और
स्वामीनाथन
आयोग
कि
रिपोर्ट
को
पूरी
तरह
लागू
करने
की
मांग
की
थी।
आपको
बता
दें
कि
ओडिशा
सरकार
ने
एमएसपी
पर
स्वामीनाथन
समिति
की
रिपोर्ट
को
लागू
करने
की
मांग
को
दोहराते
हुए
केंद्र
को
स्थानांतरित
करने
के
लिए
पिछले
दो
महीनों
में
दो
प्रस्ताव
पारित
किये
हैं।
राज्य
विधानसभा
ने
2017
में
केंद्र
से
धान
के
एमएसपी
को
2,930
रुपये
प्रति
क्विंटल
तय
करने
का
आग्रह
करने
के
लिए
सर्वसम्मति
से
प्रस्ताव
पारित
किया
था।
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वर्तमान में राज्य में धान का एमएसपी 1,868 रुपये प्रति क्विंटल (सामान्य किस्म) और ग्रेड-ए किस्म के लिए 1,888 रुपये है। राज्य में धान खरीद में अनियमितताओं के आरोपों के बीच, स्वैन ने कहा कि ओडिशा सरकार ने इस साल धान की रिकॉर्ड मात्रा में खरीद की। उन्होंने आश्वासन दिया कि कलेक्टरों द्वारा सत्यापन के बाद वास्तविक किसानों से सभी अतिरिक्त धान की खरीद की जाएगी।
उन्होंने कहा, 'हमने पिछले सीजन में 53.31 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की थी, जबकि इस साल हमने अभी तक 52.63 मीट्रिक टन धान की खरीद कर ली है। खरीद प्रक्रिया 31 मार्च तक जारी रहेगी। हम हर दिन औसतन 54,000 मीट्रिक टन धान खरीद रहे हैं।' राज्य में किसानों द्वारा उठाए गए धान की खरीद में कुप्रबंधन के मुद्दे के चलते आगामी 18 फरवरी से विधानसभा में बजट सत्र में इस मुद्दे के हावी रहने की संभावना है।