नीति आयोग ने ओडिशा सरकार की इन दो योजनाओं को सराहा, बताया किसान सशक्तिकरण वाली योजना
भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार की दो प्रमुख कार्यक्रमों की नीति आयोग ने सराहना की है। 'ओडिशा मिल्ट्स मिशन' और 'मो उपकारी बागीचा' नामक इन दोनों योजनाओं को हाल ही में नीति आयोग की रिपोर्ट में सफलता की कहानियों के रूप में चित्रित किया गया है। ये योजनाएं कृषि और किसान सशक्तिकरण और महिला एवं बाल विकास और मिशन शक्ति जैसे विभागों द्वारा लागू की गई थी।

अन्य राज्यों को ओडिशा से सीख
'स्वास्थ्य और पोषण अभ्यास अंतर्दृष्टि' शीर्षक वाली नीति आयोग की रिपोर्ट में इन दोनों योजनाओं की सराहना की गई है। राष्ट्रीय नीति आयोग ने इस संबंध में एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है। इसमें कहा गया है इन दो कार्यक्रमों से महिलाओं और बच्चों के बीच आहार विविधता में सुधार देखने को मिला है। इसके साथ-साथ राज्य में जमीनी स्तर पर उनकी पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने में भी ये दोनों योजनाएं मददगार रहे हैं। यही नहीं, नीति आयोग ने अन्य राज्यों को भी इस तरह के अच्छी योजनाएं लागू करने की सलाह दी है।
बच्चों को नाश्ते में दिए जा रहे बाजरे के लड्डू
आपको बता दें कि राज्य सरकार ने 2017 में राज्य में बाजरा उत्पादन बढ़ाने और पोषण सुनिश्चित करने के लिए ओडिशा बाजरा मिशन की शुरुआत की थी। इसके तहत बाजरा के व्यापक उपयोग के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया गया था। फिलहाल, पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कीनझार और सुंदरगढ़ जिलों की आंगनवाड़ियों में बाजरा के लड्डू प्री-स्कूल के बच्चों को सुबह के नाश्ते के रूप में दिए जा रहे हैं। खासतौर पर इस पहल को नीति आयोग ने काफी सराहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण के खिलाफ हथियार है ये योजना
इसी तरह, महिला और बाल विकास विभाग, ओडिशा आजीविका मिशन और कृषि और किसान विकास विभाग के संयुक्त प्रयासों से 2019 से 'मो उपकारी बागीचा' योजना की शुरुआत की गई। इसका उद्देश्य कुपोषित बच्चों, किशोरियों और गंभीर गर्भवती महिलाओं को पूरक पोषण आहार उपलब्ध कराना है। इसके तहत खासकर, आंगनवाड़ी केंद्रों पर प्री-स्कूल के बच्चों को मौसमी सब्जियां और फल प्रदान करके पोषण सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है। यह कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्र में कुपोषण से निपटने में काफी सफल रहा है।