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Sumer Singh Solanki : कभी चराते थे बकरियां, अब ज्योतिरादित्य-दिग्विजय के साथ पहुंचे राज्यसभा

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भोपाल। ये हैं सुमेर सिंह सोलंकी। मध्य प्रदेश में 19 जून को हुए राज्यसभा चुनाव जीता है। सोलंकी के साथ ही राज्यसभा पहुंचने वाले भाजपा नेता ज्योतिरादि​त्य सिंधिया व कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं, मगर सोलंकी के बारे में लोग कम ही जानते हैं। इनका जीवन संघर्षभरा रहा है। इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि कभी बकरियां चराने और मोटर वाइंडिंग का काम करने वाले सोलंकी आदिवासी समाज से ताल्लुक रखते हैं।

मोटर वाइंडिंग का भी काम किया

मोटर वाइंडिंग का भी काम किया

न्यूज़ 18 से बातचीत में सुमेर सिंह सोलंकी ने अपने परिवार की गरीबी, संघर्ष और राजनीति में आने तक का सफर बयां किया है। सोलंकी बताते हैं कि उनका जन्म किसान पिता के घर में हुआ। परिवार की आर्थिक स्थिति ​ठीक नहीं होने के कारण सोलंकी को किशारे अवस्था में बकरियां तक चरानी पड़ी थी। दिहाड़ी मजदूरी के साथ-साथ मोटर वाइंडिंग का काम भी किया।

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अपने ब्लॉक में इकलौते पीएचडी होल्डर

अपने ब्लॉक में इकलौते पीएचडी होल्डर

गरीबी के बावजूद सोलंकी के परिवार ने उन्हें पढ़ने-लिखने का भरपूर अवसर दिया। यही वजह थी कि सोलंकी ने संघर्षों के बीच अपनी पढ़ाई पूरी की और प्रोफेसर की नौकरी हासिल की। सुमेर सिंह सोलंकी अपने ब्लॉक में आजादी के बाद से लेकर अब तक इकलौते पीएचडी होल्डर हैं।

 जब सीएम चौहान का आया फोन

जब सीएम चौहान का आया फोन

मध्य प्रदेश भाजपा जब राज्यसभा चुनाव 2020 के लिए प्रत्याशियों के नाम तय कर रही थी तब एक प्रत्याशी के रूप में ज्योतिरादि​त्य सिंधिया के नाम पर मुहर लगी। दूसरे प्रत्याशी के लिए सुमेर सिंह के पास खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का फोन आया। उस वक्त सुमेर सिंह सोलंकी कॉलेज में बच्चों को पढ़ा रहे थे। फोन पर उधर से आवाज आई कि सुमेर जी पार्टी आपके लिए कुछ बेहतर सोच रही है। लेकिन शर्त है कि हो सकता है कि जो जिम्मेदारी पार्टी की ओर से दी जाए। उसके लिए आपको अपनी नौकरी से इस्तीफा देना पड़ेगा।

 नौकरी से इस्तीफा देकर लड़ा राज्यसभा चुनाव

नौकरी से इस्तीफा देकर लड़ा राज्यसभा चुनाव

नौकरी से इस्तीफा देने की बात सुमेर सिंह सोलंकी को अजीब तो लगी, मगर इन्होंने राजनीति के जरिए अपने क्षेत्र के विकास की सोचकर सहमति जता दी। थोड़ी देर बाद सुमेर सिंह सोलंकी ने टीवी पर राज्यसभा के लिए बतौर बीजेपी प्रत्याशी अपना नाम देखा। सुमेर सिंह सोलंकी आदिवासी इलाके में वैसे तो बतौर शिक्षक काम कर रहे थे लेकिन आरएसएस के साथ जुड़कर उन्होंने सामाजिक स्तर पर भी कई काम किए हैं।

 पार्टी के लिए नौकरी दांव पर लगाई

पार्टी के लिए नौकरी दांव पर लगाई

संघ के बैकग्राउंड की वजह से उनका नाम राज्यसभा के लिए तय किया गया। हालांकि सुमेर सिंह सोलंकी के लिए राज्यसभा का ऑफर स्वीकार करना किसी चुनौती से कम नहीं था क्योंकि इसके लिए उन्हें अपनी नौकरी से इस्तीफा देना था और जिस वक्त उनका नाम तय किया जा रहा था उस वक्त सियासी गणित के लिहाज से मध्य प्रदेश में सिर्फ एक सीट ही बीजेपी को मिलना तय थी। लेकिन उन्होंने पार्टी के लिए अपनी नौकरी दांव पर लगाई। बाद में बदले राजनीतिक घटनाक्रम के बाद प्रदेश में एक बार फिर बीजेपी की सरकार आई और उसके दोनों उम्मीदवारों के राज्यसभा जाने का रास्ता साफ हो गया।

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English summary
Sumer Singh Solanki biography in Hindi, He won Madhya Pradesh Rajya Sabha elections 2020
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