रीवा में रेलवे ओवरब्रिज बनकर तैयार, आज से जनता को समर्पित
रीवा 29 जून: शहर में वाराणसी- नागपुर हाईवे के बीच 34 करोड़ की लागत से गोड़हर में बनने वाला रेलवे ओवरब्रिज आज से जनता के लिए समर्पित कर दिया जाएगा। चुनाव आचार संहिता के चलते भले ही इसका लोकार्पण नहीं हो पाया परंतु निर्माण कार्य पूरा हो जाने से आमजन को आवागमन में किसी भी तरह की परेशानी ना हो इसके लिए इसे शुरू किया जा रहा है। आज से रेलवे ओवर ब्रिज शुरू हो जाने से लोगों को जाम का सामना नहीं करना पड़ेगा।
लोक निर्माण विभाग के जानकारी अनुसार
शहर के गोड़हर में रेलवे फ्लाईओवर शुरू हो जाने से रीवा के विकास के एक और कड़ी जुड़ गई है। बुधवार की दोपहर बाद रेलवे फ्लाईओवर जनता को समर्पित कर दिया जाएगा लोक निर्माण विभाग ब्रिज द्वारा दी गई जानकारी में बताया गया कि रेलवे फ्लाईओवर का निर्माण पूरा हो जाने के बाद इसे शुरू किया जा रहा है। ताकि शहर में जाम से लोगों को निजात मिल सके खास बात यह है कि इस रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण रीवा से सिंगरौली जाने वाली रेल लाइन के चलते किया गया है। बताते चलें कि राष्ट्रीय राजमार्ग-7 में बनने वाले रेलवे फ्लाईओवर की स्वीकृत रेलवे विभाग के द्वारा दी गई थी। परंतु यातायात का घनत्व अधिक होने से तीसरे लेग के निर्माण की स्वीकृति देनी पड़ी 28 महीने में बनने वाले इस रेलवे ओवरब्रिज में लेट लिपिटी कोरोना संक्रमण काल के चलते हुई है।
तकनीकी की जांच के बाद अनुमति
गोड़हर म बनाए गए तीन लेग के रेलवे फ्लाईओवर की तकनीकी जांच कल लगातार दो दिनों तक की गई है। संविदाकर एवं कार्यपालन यंत्री द्वारा टेस्टिंग कराया जा चुका है। इसके बाद वह पूरी तरह से अब भार सहने के लिए उपयुक्त पाया गया है। ऐसी स्थिति में बुधवार की दोपहर के बाद विजय मिश्रा कंस्ट्रक्शन कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर विजय कुमार मिश्रा के द्वारा उसे जनता को समर्पित किया जाएगा। खास बात यह है कि रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण पूरी गुणवत्ता से किया गया जिसकी लगातार देख रहे पूर्व मंत्री एवं युवा विधायक राजेंद्र शुक्ला के द्वारा की जाती रही है।
तीसरे लेग में फंसा था पेज
NH-7 में बनने वाली रेलवे ओवरब्रिज की स्वीकृति के बाद जब यातायात की स्थिति को देखा गया तो तीसरे लेग के लिए लोक निर्माण विभाग के द्वारा रेल विभाग के प्रस्ताव भेजा गया। हालांकि विभाग के द्वारा लोक निर्माण विभाग के इस प्रस्ताव पर स्वीकृत नहीं दी गई थी, परंतु जैसे इसकी जानकारी तत्कालीन मंत्री एवं विधायक राजेंद्र शुक्ला को हुई,उन्होंने इस पर पहल तेज की और बाद में रेलवे को तीसरा लेग बनाने के लिए स्वीकृत देनी पड़ीं।