MP : बिजली कंपनी में मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड कराने से होंगे फायदे, मीटर रीडिंग में होने जा रहा है बड़ा बदलाव !
मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड कराने से उपभोक्ता को कई सुविधाएं मिलना शुरू हो जाएंगी। इसका असर मीटर रीडिंग पर भी देखने को मिलेगा। इसके अलावा कंपनी के कार्यक्षेत्र के उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं
भोपाल, 14 जुलाई। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने कंपनी कार्यक्षेत्र के बिजली उपभोक्ताओं से अपील की है वे अपने मोबाइल नंबर को कंपनी की बिलिंग प्रणाली में पंजीकृत कराएँ और अनेक सुविधाओं का लाभ उठाएं। कंपनी द्वारा उपभोक्ताओं, जिनके मोबाइल नंबर कंपनी की बिलिंग प्रणाली में दर्ज है, को बिजली बिल एवं रीडिंग की जानकारी के साथ ही विद्युत संबंधी अन्य जरूरी सूचनाएँ एवं जानकारी एसएमएस से प्रेषित की जा रही हैं।
कंपनी ने उपभोक्ताओं से आग्रह किया है कि वे कंपनी की वेबसाइट ortal.mpcz.in अथवा घर के नजदीक बिजली कार्यालय में जाकर अपना मोबाइल नंबर बिलिंग प्रणाली में दर्ज कराएँ और सुविधाओं का लाभ लें। मीटर रीडर के द्वारा भी रीडिंग दर्ज करने के दौरान मोबाइल नंबर दर्ज किए जा रहे हैं।
मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड कराने के फायदे
- बिजली बिल एवं रीडिंग की जानकारी मिलेगी।
- बिल जमा करने का एसएमएस आयेगा।
- बिजली योजनाओं की जानकारी मिलेगी।
- बिल की जानकारी मोबाइल पर एसएमएस से मिलेगी।
- रख-रखाव के लिए बिजली बंद होने की सूचना मिलेगी।
- उपभोक्ता हित की अन्य जरूरी सूचनाएँ मिलेंगी।
- अंतिम देय तिथि की जानकारी मिलने से बिजली बिलों का समय पर भुगतान सुनिश्चित होगा।
पंजीकृत मोबाइल से विद्युत समस्या की शिकायत दर्ज करने पर मात्र आधा मिनिट में ही शिकायत दर्ज हो जाएगी।
मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने प्रदेश में पहली बार अपने ट्रांसमिशन नेटवर्क के विस्तार में पाइल फाउंडेशन पर अति उच्च दाब टावरों का निर्माण किया है। लगभग 31 करोड़ की लागत से कंपनी ने 132 केवी बुधनी मोहासा (बावई) डीसीडीएस (डबल सर्किट डबल स्ट्रिंगिंग) लाइन के 2.5 किलोमीटर लंबाई के बीच में चार टावरों के निर्माण में तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग किया है।
यह टावर मोहासा ग्राम के पास से गुजरने वाली तवा नदी में निर्मित किए गए हैं। कुल 32.9 किलोमीटर की ये लाइन गत दिवस ऊर्जीकृत की गई।
अति उच्च दाब लाइनों को नदी क्रास कराना होती है बड़ी चुनौती
कंपनी के सामने पूर्व में भी नदी, तालाब, नाले आदि क्रास करवा कर अति उच्च दाब लाइनों का निर्माण हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है। प्रायः नदी के दोनों छोर पर लंबे स्पान के साथ इनका निर्माण किया जाता था। इससे निर्माण के साथ रख-रखाव में भी दिक्कत आती थी। इस नई तकनीक को अपनाने से अब नदी के अंदर ही पाइल फाउंडेशन बनाकर इन टावर्स का निर्माण किया गया है
जलमग्न क्षेत्रों की कठिन भौगोलिक परिस्थिति में है काफी सहायक
कंपनी के योजना एवं रूपांकन संकाय के मुख्य अभियंता इंजीनियर संजय कुलश्रेष्ठ ने बताया कि कंपनी द्वारा पहली बार उपयोग लाई जा रही यह तकनीक ट्रांसमिशन लाइन निर्माण के लिए मील का पत्थर साबित होगी। इसके लिए कंपनी ने विशेष डिजाइन के फाउंडेशन तैयार करवाये हैं। यह तकनीक जलमग्न और असमान भौगोलिक परिस्थिति वाले क्षेत्र में निर्माण कार्य को काफी लचीलापन प्रदान करते हैं, जिससे लाइनों के निर्माण में आवश्यकतानुसार परिवर्तन और बाद में रख-रखाव में आसानी रहती है।