मध्य प्रदेश उपचुनाव 2020 के रुझान देख कमलनाथ ने स्वीकार की हार, जानिए क्या बात कही?
भोपाल। मध्य प्रदेश उपचुनाव 2020 में अभी मतगणना चल रही है। 28 सीटों में से एक सीट का परिणाम घोषित कर दिया गया है। यह सीट BJP ने जीती है। मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने एमपी उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी की हार को स्वीकार करते हुए कहा है कि वह जनता के फैसले को स्वीकार करते हैं।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश की 28 में से 6 सीटों पर ही कांग्रेस बढ़त बनाए हुए है जबकि भाजपा ने एक सीट जीत ली और 20 सीटों पर भाजपा प्रत्याशी आगे चल रहे हैं। अगर मतगणना के यही रुझान नतीजों में बदलते हैं तो मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार बनी रहेगी।
MP By Election Result 2020 : मध्य प्रदेश की 28 में से 19 सीटों पर BJP आगे
मुरैना की सीट पर बसपा प्रत्याशी आगे है। मध्य प्रदेश उपचुनाव 2020 में बसपा के खाते में सिर्फ यही एक सीट जाती दिख रही है। बात अगर शिवराज सिंह चौहान सरकार के मंत्रियों की करें तो उपचुनाव में 12 मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। एदल सिंह कंसाना (सुमोली), गिर्राज दंडोतिया (दमानी) और ओपीएस भदौरिया (मेहगांव) कांग्रेस प्रत्याशियों से पीछे हैं। भदौरिया के मतों का अंतर सिर्फ 175 है।
MP By Election Result 2020 : रिजल्ट से पहले ही सांवेर में BJP के तुलसीराम सिलावट की जीत के पोस्टर
इनके अलावा आगर से भाजपा प्रत्याशी 181 वोट, सांची से 22 हजार 456 वोट आगे चल रहे हैं। कांग्रेस के उम्मीदवार सुमौली, दिमनी, अंबाह, मेहगांव, गोहद, करैरा और बिओरा निर्वाचन क्षेत्रों में आगे हैं। भाजपा के तुलसीराम सिलावत अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के खिलाफ सेवर से 9,554 मतों के अंतर से आगे हैं।
ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व, डबरा, भांडेर, पोहरी, बामोरी, अशोक नगर, मुगौली, सुरखी, बड़ा मल्हेरा, अनूपपुर, सांची, आगर, हाटपीपलिया, मांधाता, नेपानगर, बदनवर, सेवर, सुवासरा और जौरा सीटों पर भाजपा उम्मीदवार आगे हैं। 19 जिलों की 28 सीटों पर 12 मंत्रियों सहित कुल 355 उम्मीदवारों ने उपचुनाव चुनाव लड़ा था। 3 नवंबर को 70.27 प्रतिशत वोटिंग हुई।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में विधानसभा में 230 हैं। बहुमत का आंकड़ा 115 पर है। फिलहाल यहां किसी अकेले दल के पास पूर्ण बहुमत नहीं है। भाजपा के पास 107 और कांग्रेस के पास 87 विधायक हैं। सभी 28 सीटें अगर कांग्रेस जीत पाती है तो शिवराज सिंह चौहान सरकार के लिए सत्ता में बने रहना चुनौतीपूर्ण रहेगा। अन्यथा मध्य प्रदेश में 'शिव' का 'राज' रहेगा।