'मैं आज जिंदा नहीं रहता अगर मां ने किडनी ना दी होती, मां ने दिया पुनर्जीवन'
भोपाल। मां तो मां होती है। जब-जब भी अपने बच्चों की जान पर बन आती है, मां उन्हें बचाने के लिए खुद की जान तक दांव पर लगाने में पीछे नहीं हटती। ऐसे अनेक मामले देखने व सुनने को मिलते हैं। ताजा मामला मध्य प्रदेश के भोपाल में मंगलवार को चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर अंगदान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में सामने आया।
यहां पर बेटे ने बताया कि उसकी मेरी मां ने उसे पुनर्जीवन दिया है। बेटी की किडनी खराब थी। डॉक्टरों ने किडनी ट्रांसप्लांट आवश्यकता जताई। कोई मदद को आगे नहीं आ रहा था, मगर जब यह बात मां को पता चली तो वे बिना कुछ सोचे-समझे और देरी किए बगैर बेटे को किडनी देने को तैयार हो गई। अपनी पीड़ा और मां के त्याग की कहानी बयां करते करते बेटे मो. आजम की आंखें भर आई। उसने कहा कि मां सहरबानों ने उसे दूसरा जन्म दिया है। मां नहीं होती तो वह शायद आज जिंदा नहीं रहता।
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बता दें कि कार्यक्रम में 20 ऐसे लोगों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने अंगदान कर दूसरी जिंदगियों को रोशन किया। चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ ने कहा कि अंगदान के लिए सभी को जागरूक होने की जरूरत है। इस मौके पर उन्होंने भी अंगदान करने का संकल्प लिया और फॉर्म भरा। कार्यक्रम के दौरान हमीदिया अस्पताल में प्रदेश के पहले शासकीय किडनी ट्रांसप्लांट सेंटर की घोषणा भी की गई।
ऑर्गन डोनेशन की ऑनलाइन रजिस्ट्री तैयार कर रहे
कार्यक्रम में विभाग के आयुक्त निशात बरवड़े ने बताया कि कैंसर रजिस्ट्री की तर्ज पर ही ऑर्गन डोनेशन की ऑनलाइन रजिस्ट्री तैयार की जा रही है। इसमें डोनर और रिट्रीवल की पूरी जानकारी ऑनलाइन की जाएगी। इसके साथ ही प्रदेश में रिट्रीवल की वरीयता सूची भी होगी। ऐसे में रिट्रीवर को पता रहेगा कि उसका नंबर कब आएगा। बरवड़े ने बताया कि एक महीने में रजिस्ट्री तैयार हो जाएगी।
दूसरों के शरीर में ही सही, बेटा जीवित रहे
कार्यक्रम में इंदौर से जवाहर दोशी भी पहुंचे। दुर्घटना में बेटे को खो चुके जवाहर ने उसके अंगों से दूसरी जिंदगियों को बचाने का फैसला किया। बेटे के ऑर्गन से पांच लोगों को नई जिंदगी मिली। उनका मानना है बेटा किसी ना किसी रूप में जीवित रहे। इसी तरह कार्यक्रम में भोपाल के अजय को भी सम्मानित किया गया। अजय शहर के ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की गई थी।