labour laws : मध्य प्रदेश सरकार ने श्रम कानूनों में किया संशोधन, जानिए बदलाव के मायने
भोपाल। तेजी से फैल रहे कोरोना वायरस के दौर में अर्थव्यस्था को पटरी पर लाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने श्रम कानूनों को लेकर कई अहम फैसले लिए हैं। इससे न केवल मध्य प्रदेश में उद्योग धंधों को बढ़ावा मिलेगा बल्कि कोरोना संकट काल में रोजगार का अनुकूल वातावरण भी तैयार होगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उद्योग धंधों और श्रमिकों से जुड़े कानूनों में किए गए महत्वपूर्ण बदलावों की जानकारी दी।
मालिक बढ़ा सकेंगे श्रमिकों के काम के घंटे
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मध्य प्रदेश सरकार की ओर से किए गए श्रम कानूनों में बदलाव के बाद अब उद्योगों को अपनी सुविधानुसार कर्मचारियों की वर्किंग शिफ्ट में परिवर्तन का अधिकार होगा। कार्य अवधि आठ घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे कर सकेंगे। कारखानों में श्रमिकों के काम के घंटे बढ़ाने की अनुमति दी गई है। सप्ताह में 72 घंटे तक ओवरटाइम किया जा सकेगा। उद्योग, कारोबार, निर्माण एजेंसियों के लाइसेंस और पंजीयन में भी अब सिर्फ एक दिन में होगा। पहले इस प्रक्रिया में तीस दिन लगता था।
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इन कानूनों में हुए संशोधन
- मध्य प्रदेश श्रम कल्याण निधि अधिनियम, 1982
- मध्यप्रदेश दुकान एवं स्थापना अधिनियम ,1958
- संविदा स्वयं विनियमन एवं प्रतिबंध अधिनियम, 1970
- अंतरराज्यीय प्रवासी कर्मकार अधिनियम, 1979
- कारखाना अधिनियम 1958
- औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947
- मध्यप्रदेश औद्योगिक नियोजन अधिनियम 1961
- लोक सेवा प्रदाय गारंटी अधिनियम 2010
- ठेका श्रमिक अधिनियम 1970
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मध्य प्रदेश में श्रम कानूनों के बदलाव के महत्वपूर्ण बिन्दू
1. फैक्ट्री लाइसेंस का रिन्यूअल अब 10 साल में होगा। पहले 1 साल में लाइसेंस रिन्यूअल करवाना होता था
2. कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट में संपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए लाइसेंस मिलेगा। नए कारखानों का पंजीयन या लाइसेंस ऑनलाइन मिलेगा।
3 . स्टार्ट अप उद्योगों के लिए लाइसेंस रिन्यूअल के प्रावधान खत्म किए गए हैं।
4. दुकान स्थापना अधिनियम में बदलाव कर सुबह 6 बजे से रात 12 बजे तक दुकान खोलने की मंजूरी दी गई है।
5. नियोजक थर्ड पार्टी से कारखानों का निरीक्षण करा सकेगा। इसका मतलब ये है कि कारखाने अब इंस्पेक्टर राज से मुक्त होंगे।
6 .थर्ड पार्टी निरीक्षण के लिए रजिस्ट्रेशन अब मुंबई में नहीं होगा। एमपी के लेबर कमिश्नर के पास रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकेगा।
7. कारखानों में 61 रजिस्टर रखने और रिटर्न दाखिल करने का प्रावधान खत्म किया गया है। संशोधन के बाद 1 रजिस्टर और 1 रिटर्न दाखिल करने का प्रावधान लागू होगा।
8 . अब लेबर इंस्पेक्टर छोटी उद्योग इकाइयों में निरीक्षण के लिए नहीं जाएंगे। छोटी उद्योग इकाइयों को निरीक्षण की अनिवार्यता से मुक्त किया गया है।
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ये भी हुए हैं बदलाव
9 . विवादों के निराकरण के लिए लेबर कोर्ट जाने की अनिवार्यता खत्म। अब औद्योगिक विवाद अधिनियम के अंतर्गत दंड की धाराओं में कंपाउंडिंग के प्रावधान की कोशिश होगी।
10. 100 से कम श्रमिक के साथ काम करने वाले उद्योगों को औद्योगिक नियोजन अधिनियम के प्रावधान से मुक्त किया गया है। उद्योगों को अपनी जरूरत के मुताबिक श्रमिक रखने की छूट होगी।
11 . फैक्ट्री एक्ट प्रावधान के अंतर्गत बिजली से चलने वाली इकाइयों को 10 श्रमिक से बढ़ाकर 50 श्रमिक करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है।
12 . कारखाना अधिनियम में बिजली के बगैर चलने वाले उद्योगों को रजिस्ट्रेशन के लिए 20 श्रमिक की सीमा हटाने का प्रस्ताव भी केंद्र सरकार के पास गया है।
13 . ठेका श्रमिकों को 20 श्रमिक पर पंजीयन करने का प्रावधान खत्म, अब सीमा बढ़ाकर 50 श्रमिक कर दी गई है।
14 . कारखाना अधिनियम में सुरक्षा संबंधी प्रावधान यथावत रहेंगे। जो छूटें दी गई हैं वे 3 माह के लिए ही वैध होंगी। 1000 दिन में छूट का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया है।
15. सिंगल विंडो सिस्टम विभिन्न सेवाओं के लिए शुरू की गई है। साथ ही पंजीयन एवं रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी है।
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