एमपी में शराब पर सियासत : क्या वाकई में मध्य प्रदेश की बहू-बेटियां ठेकों पर बैठकर बेच रही हैं शराब?
भोपाल। मध्य प्रदेश में शराब पर सियासत हो रही है। शराब के ठेकों को लेकर कई दिन से राजनीति जोरों पर है। शराब ठेकेदारों और मध्य प्रदेश सरकार के बीच ड्यूटी चार्ज के नाम पर शुरू हुए विवाद के बाद जहां 70 फीसदी ठेकेदारों ने शराब की दुकानें सरेंडर कर दी। वहीं, मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने शराब की दुकानों की कमान आबकारी विभाग के हाथों में सौंप रखी है।
आबकारी विभाग ने संभाला मोर्चा
मध्य प्रदश में आबकारी विभाग ने खुद अपने स्तर पर शराब की दुकानें खोलीं हैं और अपने विभाग के कर्मचारी-अधिकारियों की दुकानों पर ड्यूटी लगाई। रीवा समेत कई जगहों की शराब की दुकानों पर तो आबकारी विभाग की महिला पुलिसकर्मी पर ड्यूटी करती नजर आईं। शराब की दुकानों पर महिलाओं की ड्यूटी लगाने पर कांग्रेस ने जहां भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। वहीं, भाजपा सरकार की ओर से भी अपने बचाव में पक्ष रखा जा रहा है। पूरे मामले पर जमकर राजनीति हो रही है।
पूर्व सीएम कमलनाथ ने बताया इसे शर्मनाक
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट करके लिखा कि 'शिवराज जी आप जब विपक्ष में थे तो प्रदेश में शराब को लेकर खूब विरोध करते थे। खूब भाषण देते थे। शराब को बहन-बेटियों के लिए ख़तरा बताते हुए उनको साथ लेकर धरने पर बैठते थे। अब तो आपने बहन-बेटियों को ही शराब की दुकानो पर बैठा दिया। इससे शर्मनाक व दोहरा चरित्र कुछ नहीं हो सकता है।
विधायक आरिफ मसूद भी उतरे विरोध में
पूर्व सीएम कमलनाथ के अलावा भोपाल के मध्य क्षेत्र से विधायक आरिफ मसूद भी इस मुद्दे पर सड़क पर उतर आए। उन्होंने शुक्रवार दोपहर ढाई बजे लालघाटी स्थित शराब की दुकान में आने वाले लोगों को दूध के पैकेट बांटने और सरकार के निर्णय के खिलाफ पोस्टर और बैनर के साथ नारेबाजी करने की बात कहीं।
भाजपा नेता बाजपेयी ने यूं किया बचाव
इधर,
मध्य
प्रदेश
भाजपा
नेता
डॉ.
हितेश
बाजपेयी
ने
इस
मामले
में
पार्टी
का
बचाव
किया
है।
डॉ.
बाजपेयी
ने
कहा
कि
कांग्रेस
के
नेताओं
को
यह
समझना
चाहिए
कि
शराब
की
दुकानों
पर
महिला
कर्मचारी
द्वारा
शराब
बेचने
और
अपनी
ड्यूटी
निभाने
के
चलते
निगरानी
रखना
दोनों
में
काफी
अंतर
है।
क्या
कांग्रेस
के
नेताओं
ने
यह
बात
जानने
की
कोशिश
की
कि
शराब
की
दुकानों
महिलाएं
शराब
बेच
रही
हैं
या
अपनी
ड्यूटी
निभा
रही
हैं।
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मध्य प्रदेश आबकारी आयुक्त का तर्क
मध्य प्रदेश आबकारी आयुक्त राजीव चंद्र दुबे कहते हैं कि बड़े पैमाने पर विभाग की महिला कर्मचारियों को शराब की बिक्री से दूर रखा गया है। वे सिर्फ शराब दुकानों पर बतौर पर्यवेक्षण ड्यूटी कर रही है। स्टाफ की कमी के चलते कहीं कोई अपवाद हो सकता है।
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