बरेली की रहने वाली दिव्यांग छात्रा ने पहली बार में पास की NEET की परीक्षा, जन्म से है ये बीमारी
बरेली। अगर हौसला बुलंद हो तो कामयाबी कदम चूमती है फिर चाहें वो नीट की परीक्षा ही क्यों न हो। बरेली की रहने वाली दिव्यांग छात्रा ने इस उदाहरण को सच कर दिखाया है। छात्रा ने वो कर दिखाया जो अच्छे-अच्छे नहीं कर सकते। छात्रा पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर है। वह अपने पैरों पर चल फिर भी नहीं सकती, जिसके न हाथ काम करते है उसने पहली ही बार नीट की परीक्षा पास कर ली है। अब वो वेटनरी डॉक्टर बन जानवरों की सेवा करना चाहती है।
सेरिवल पैलसी बीमारी से ग्रसित है छात्रा
दरसअल, बरेली की आईवीआरआई में जॉब करने वाले शैलेन्द्र शाह की 18 साल की दिव्यांग बेटी महिमा सेरिवल पैलसी बीमारी से ग्रसित है। बीमारी के कारण उसके हाथ और पैर काम नहीं करते, इसलिए उसका सारा काम उसके मां और पिता करते हैं। महिमा को सेरिवल पैलसी नाम की बीमारी जन्म से है। यहां तक कि वो अपना कॉपी का पन्ना तक नहीं पलट पाती है। इसके बाबजूद महिमा पढ़ने में बहुत होशियार है, जिन्होंने इंटरमीडिएट में 80 प्रतिशत अंक लाकर ये दिखा दिया कि वो किसी से कम नहीं है।
पहली बार में पास की नीट की परीक्षा
महिमा के हौसले बुलंद है और आगे बढ़कर देश का नाम रोशन करने की चाहती हैं। महिमा ने नीट की परीक्षा दी और अब जो रिजल्ट आया उसमे उसके 157 अंक आए है, जबकि दिव्यांगों को पास होने के लिए मात्र 120 नंबर ही चाहिए। हिमा के पहली ही बार में नीट परीक्षा पास करने पर घर में खुशी का माहौल है। मिठाइयां खिलाई जा रही हैं।
पीएम मोदी से की थी राइटर की मांग
बता दें, नीट की परीक्षा के लिए महिमा ने पीएम मोदी से राइटर की मांग की थी, उसकी मांग स्वीकार करते हुए उसे राइटर मिला, जिसके बाद उसने नीट की परीक्षा दी। महिमा बरेली के ही आईवीआरआई में वेटनरी की डॉक्टर की पढ़ाई करना चाहती हैं।