खेती के महानायक रामसरन वर्मा ने यूं तय किया छोटे से गांव से पद्मश्री तक का सफर
Barabanki News, बाराबंकी। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के हरख ब्लॉक के छोटे से गांव दौलतपुर के निवासी रामसरन वर्मा (Ramsaran Verma) को भारत के सबसे बड़े पुरस्कारों में से एक पद्म श्री (Padma Shri) से सम्मानित किया गया है। रामसरन वर्मा ने अपने खेतों में केला, टमाटर, आलू, मेंथा के रूप में सोना उपजाने का काम किया। बता दें कि देश के अलावा विदेशों के भी कृषि वैज्ञानिक व विशेषज्ञ तथा देश में आइएएस, पीसीएस का प्रशिक्षण लेने वाले भी इनकी उन्नत खेती को देखने के लिए आते हैं।
पद्मश्री सम्मान पाने वाले खेती के महानायक राम सरन वर्मा ने किसानी को ही आने जीवन का आधार बनाया है। रामसरन ने कम लागत में ज्यादा उत्पादन का तरीका खोजा। टमाटर, केला, मेंथा और आलू की खेती में रामसरन ने नई क्रांति लाने का काम किया। देश के अलावा विदेशों के भी कृषि वैज्ञानिक, विशेषज्ञ और देश में आइएएस, पीसीएस का प्रशिक्षण लेने वाले भी इनकी प्रगतिशील खेती को देखने के लिए आते हैं। मौजूदा समय रामसरन वर्मा सहकारिता आधारित खेती कर रहे हैं। इनके खेतों में काम करके लोग इनकी तकनीक सीखने के बाद अपने छोटे-छोटे खेतों में टमाटर, केला की फसल उगाकर अपना भविष्य संवार रहे हैं।
पद्मश्री सम्मान पाने पर किसान राम सरन वर्मा ने कहा कि यह पुरस्कार देश के सभी किसानों समर्पित है। इस सम्मान से देश के करोड़ों किसानों हमारी जैसी आधुनिक खेती करने का बल मिलेगा। राम सरन वर्मा ने बताया वह 1986 से खेती कर रहे हैं। हमने छह एकड़ से खेती की शुरुआत की थी और 150 एकड़ जमीन पर खेती कर रहे हैं। राम सरन वर्मा की आज करीब पचास हजार किसान हमारे साथ जुड़ा है। उन सभी को हमने केला, टमाटर और आलू की फसल से जुड़ी तकनीक सिखाई है। राम सरन वर्मा ने बताया कि वह अपनी खेती से गांव के करीब पंद्रह से बीस हजार लोगों को रोजगार दे रहे हैं।