सेक्स वर्कर्स भी बन सकती हैं कोरोना योद्धा, वरिष्ठ डॉक्टर ने सरकार से की अपील
बेंगलुरु। कोरोना वायरस के संक्रमण से फिलहाल देश जूझ रहा है और इससे जंग में पुलिस, प्रशासन, सफाईकर्मी, समाजसेवी संस्थाएं, डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मी, वैज्ञानिक समेत कई लोग जुटे हुए हैं जिनको कोरोना योद्धा नाम दिया गया है। देश के एक वरिष्ठ डॉक्टर सुंदर सुंदरारमन ने सरकार से निवेदन किया है कि कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में सेक्स वर्कर को भी शामिल करना चाहिए। उनका कहना है कि ये वही सेक्स वर्कर हैं जिन्होंने एचआईवी संक्रमण को फैलने में बड़ी भूमिका निभाई है।
आशा कार्यकर्ताओं की तरह कर सकती हैं काम
डॉक्टर सुंदर सुंदरारमन एड्स रोग पर पिछले तीस साल से काम कर रहे हैं और उनका कहना है कि आशा व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की तरह सेक्स वर्कर भी फील्ड में जा सकती हैं और कोरोना वायरस को रोकने के लिए सारे काम कर सकती हैं। डॉक्टर ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा कि पिछले 15 साल से एचआईवी संक्रमण को कम करने में सेक्स वर्कर ने अगर योगदान न दिया होता तो इसको हम कभी कम नहीं कर पाते।
'एचआईवी योद्धाओं को न भूले सरकार'
डॉक्टर ने कहा कि देशभर में कोरोना वायरस को रोकने में लगे लोगों को कोरोना योद्धा कहकर हम उनकी चर्चा कर रहे हैं तो ऐसे में हम एचआईवी योद्धाओं को क्यों भूल रहे हैं? एचआईवी को फैलने से रोकने में सेक्स वर्कर्स ने आगे आकर काफी काम किया। लॉकडाउन की अवधि में सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से सेक्स वर्कर्स को बहुत नुकसान है इसलिए ऐसे हालात में उनको जागरूकता फैलाने के काम में शामिल किया जा सकता है।
सेक्स वर्कर्स को अवसर देने का समय
डॉक्टर का कहना है कि यह सेक्स वर्कर्स को भी समाज के लिए काम करने का अवसर देने का अच्छा समय है। आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की तरह वह भी सूचना लेकर उसे दूसरों तक पहुंचा सकती हैं और कोविड 19 के खिलाफ लड़ाई में उनकी सेवा लेकर उन्हें सोशल चैंपियन बनाया जा सकता है।
'सरकार हमें भी जीने के लिए पैसे दे'
मैसूर स्थित सेक्स वर्करों की संस्था आशोदय समिति की सचिव भाग्यलक्ष्मी का कहना है कि लॉकडाउन अवधि में सेक्स वर्कर्स के पास कोई काम नहीं है और दोनों वक्त का खाना जुटाना मुश्किल हो गया है। किसी के पास बैंक पासबुक है तो किसी के पास नहीं है। कइयों के पास रहने को घर तक नहीं है, वो सड़कों पर जीती है। भाग्यलक्ष्मी ने सरकार से अपील की है कि उनको भी राशन खरीदने के लिए कम से कम 1000-1500 रुपए की मदद दी जाय।
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