आयुर्वेद को एडवांस बनाने पर हुई चर्चा, आयी मधुमेह की नई दवा
बेंगलुरु। बेंगलुरु स्थित श्रीश्री आयुवेद विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान एवं अस्पताल में मधुमेह पर चर्चा हुई, जिसमें मधुमेह के आयुर्वेदिक उपचार पर चर्चा की गई। मधुमेह जिगनासा विषयक इस सेमिनार का आयोजन संस्थान की दसवीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में किया गया है। इस मौके पर आयुर्वेदिक पद्धति को और भी ज्यादा एडवांस बनाने पर चर्चा हुई।
इस अवसर पर आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर ने कहा कि आयुर्वेद के जरिये मधुमेह जैसी बीमारियों के प्रभावों का डॉक्यूमेंटेशन करना बेहद जरूरी है, तभी हम दुनिया में जाकर अपने आयुर्वेद की शक्ति का लोहा मनवा सकेंगे। सबसे जरूरी यह है कि आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण भी साफ सफाई के साथ और वैज्ञानिक ढंग से किया जाना चाहिये।
श्रीश्री रवि शंकर ने कहा कि भारतीय मेडिकल काउंसिल को भी इसे गंभीरता से लेना चाहिये। उन संभावनाओं को तलाशना चाहिये, जिसमें डॉक्टर गहराई से जाकर अध्ययन कर सकें।
आर्य विद्या फार्मेसी के एमडी व पद्मश्री डा. कृष्ण कुमार ने कहा कि हमें किसी बीमारी के उपचार से ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है उससे बचाव की। आप इस बात का इंतजार मत करें कि लोग बीमार होने के बाद आपके पास आयेंगे तब आप उनका इलाज करेंगे। बल्कि बेहतर होगा अगर आयुर्वेद के छात्र व डॉक्टर गांव-गांव जाकर लोगों का चेकअप करें और उन्हें बीमारियों से बचाव के नुस्खे बतायें।
इस मौके पर कर्नाटक के मंत्री श्रीपद यासो नायक, पद्मभूषण वैद्य त्रिगुणा समेत विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। इस मौके पर आयुर्वेद की नई दवा 'मेहाटाकावटी' को लॉन्च किया गया। यह दवा मधुमेह के उपचार के लिये है।
इस मौके पर देश भर से आये आयुर्वेदाचार्यो, डॉक्टरों व रिसर्च स्कॉलरों ने पेपर प्रस्तुत किये। ज्यादातर अध्ययन व चर्चा मधुमेह पर ही हुई। श्रीश्री आयुर्वेद कॉलेज दक्षिण भारत का पहला आयुर्वेद कॉलेज है, जहां पर अब तक पांच लाख से ज्यादा मरीजों का उपचार किया जा चुका है।