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नगरोटा आतंकी हमला: कई लोगों की जान बचाकर खुद शहीद हो गया देश का बहादुर लाल

बेंगलुरु में शहीद मेजर का अंतिम संस्कार किया गया। वहां सभी लोगों की आंखों से आंसू बह रहे थे।

By Rajeevkumar Singh
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बेंगलुरु। हेब्बल में जब नगरोटा आतंकी हमले में शहीद हुए 31 साल के मेजर अक्षय गिरीश कुमार का अंतिम संस्कार हुआ तो सबकी आंखों से आंसू बह रहे थे। दूर-दूर से लोग शहीद मेजर अक्षय के इस आखिरी विदाई में भाग लेने आए थे।

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nagrota attack

'कम से कम 18-20 लोगों की जान बचाई'

उत्तराखंड के जोशीमठ से एक आर्मी ऑफिसर सारी रात दिल्ली तक सफर करने के बाद वहां से फ्लाइट से बेंगलुरु पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि अक्षय आर्मी के लिए बना था। वह काफी खुशमिजाज और फिट था। उसने मुझसे चार-पांच दिन पहले ही बात की थी और जल्दी मुलाकात की बात कही थी।

उन्होंने कहा कि अक्षय ने करीब 18 लोगों की जान बचाई लेकिन खुद को न बचा सका।

'आतंकी हमले के वक्त अक्षय ने दिखाई फुर्ती'

अक्षय की बॉडी को जम्मू से बेंगलुरु के यहलंका एयर बेस तक लाने में मदद करने वाले एक सीनियर आर्मी अफसर ने बताया कि आतंकी हमले के समय मेजर अक्षय और महाराष्ट्र के शहीद मेजर कुणाल गोसावी ने अगर फुर्ती न दिखाई होती तो कैंप में मौजूद महिलाओं व बच्चों को आतंकी बंधक बना सकते थे।

आतंकियों पर भारतीय जवानों के तुरंत अटैक की वजह से कैंप में लोगों को समय रहते बचाकर वहां से निकाला जा सका। इन लोगों में मेजर अक्षय की पत्नी और तीन साल की बेटी भी थी।

शहीद बेटे का शव लाने जम्मू गए मां-बाप

मेजर अक्षय के पिता गिरीश कुमार भारतीय वायु सेना में विंग कमांडर रह चुके हैं और अब वे पायलटों की भर्ती का काम देखते हैं। अक्षय की मां मेघना गिरीश और पिता गिरीश कुमार, बेटे की खबर सुनकर जम्मू गए। वे वहां से मेजर अक्षय के शव, उनकी पत्नी और बेटी के साथ वापस बेंगलुरु लौटे।

नगरौटा आतंकी हमले में 7 शहीद

मंगलवार की सुबह जम्मू के नगरोटा में आर्मी के बेस कैंप पर हमला हुआ। इस हमले में देश के 7 बहादुर सिपाही शहीद हो गए।

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English summary
Major Akshay Girish Kumar saved many lives when terrorists attacked on Nagrota army base camp. He martyred in the attack and his last rites performed in Bangalore.
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