महादयी के लिये कर्नाटक में महाबंद, बेंगलुरु का वीकेंड हुआ खट्टा
बेंगलुरु। जैसा की सभी जानते हैं कि बेंगलुरु में शुक्रवार की शाम से ही वीकेंड का बुखार चढ़ने लगता है। शनिवार की सुबह से घूमने की प्लानिंग और रविवार की शाम तक मस्ती। लेकिन इस बार का वीकेंड खट्टा पड़ गया है, क्योंकि कन्नड़ एवं राज्य स्तरीय संगठनों ने बंद का आह्वान किया है।
सोमवार से बुधवार तक बीएमटीसी और केएसआरटीसी की हड़ताल के कारण बैंगलोर आंशिक बंद का नुकसान उठा चुका था, कि एक ही हफ्ते के अंदर तीसरा बंद। ओह बंद नहीं महाबंद। क्योंकि यह बंद पूरे कर्नाटक में है। बंद है गोवा में बहने वाली महादयी नदी के पानी के लिये, जिसे देने के लिये ट्रिब्यूनल कोर्ट ने मना कर दिया है।
क्यों है बैंगलोर बंद
कई लोग यह सवाल पूछ रहे हैं। जवाब सीधा है, पानी का संकट दूर करने के लिये यह हड़ताल की गई है। गोवा और कर्नाटक की सीमा पर स्थित पहाड़ियों से निकलने वाली महादयी नदी के पानी से गोवा के घरों तक पीने का पानी पहुंचता है।
जो पानी बचता है, वह समुद्र में जाकर बर्बाद हो जाता है। कर्नाटक सरकार ने पड़ोसी राज्य से मांग की कि जो पानी बर्बाद हो रहा है, उसे अगर कर्नाटक को दे दे, तो इस राज्य के चार से पांच जिलों में पेयजल संकट पूरी तरह समाप्त हो सकता है।
गोवा सरकार ने इंकार कर दिया। मामला कोर्ट में गया। जस्टिस जेएस चंचल के नेतृत्व वाली बेंच में केस को लड़ने के लिये कर्नाटक सरकार ने 40 वकीलों की टीम का गठन किया। कर्नाटक को बहुत उम्मीद थी कि फैसला उसी के पक्ष में आयेगा, लेकिन कोर्ट ने यह कहकर मना कर दिया, कि आज अगर कर्नाटक को पानी दिया, तो कल कोई अन्य राज्य खड़ा हो जायेगा। तब गोवा सरकार के सामने बड़ा संकट होगा।
बंद का असर
बंद को देखते हुए बेंगलुरु समेत पूरे राज्य के सभी शिक्षण संस्थानों में छुट्टी घोषित कर द गई। दूध, फल, सब्जी, आदि की सप्लाई नहीं रोकी गई है। वहीं बीएमटीसी की थोड़ी बहुत बसें चल रही हैं। मैजेस्टिक, जयानगर, टाउनहॉल, शिवाजीनगर, शांतिनगर समेत कई इलाकों में थोड़े बहुत ऑटो रिक्शा भी दिखाई दिये।
बताया जा रहा है कि सुबह 10 बजे के बाद बसें और ऑटो चलना भी बंद हो जायेंगे। वहीं दुकानें भी सुबह खोली गई हैं, लेकिन 10 बजे के बाद बंद कर दी जायेंगी।
बैंगलोर पुलिस ने शांति बनाये रखने की अपील की है। हालांकि प्रदर्शनकारी भारी संख्या में 10 बजे के बाद सड़कों पर उतरेंगे। ऐसे में वो क्या करेंगे, अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है।