कुली नंबर 36 के रूप में संध्या ने बनाई अपनी अलग पहचान, रोज तय करती है 45 किलोमीटर का सफर
Banda News, बांदा। बुंदेलखंड की एक ऐसी महिला कुली के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे है, जिसने महिलाओं का सर फक्र से ऊंचा किया। बल्कि, वो अपने घर-परिवार और समाज के लिए वह नया सवेरा बनाकर सामने आई है। दरअसल, महिला का नाम संध्या मारावी है और वो मध्यप्रदेश के जबलपुर की रहने वाली है। संध्या जबलपुर से रोज 45 किलोमीटर का सफर तय करके कटनी रेलवे स्टेशन पहुंचती है। यहां उसे कुली नंबर 36 के रूप में लोग जानते है। 65 पुरुष कुलियों के बीच संध्या अकेली महिला कुली है।
पति की बीमारी के चलते हो चुकी है मौत
संध्या मारावी की बाजू पर पीतल का बिल्ला है, यह बिल्ला 36 नंबर का है। इसी बिल्ले के नाम से लोग संध्या को जानते है। अमर उजाला की खबर के मुताबिक, संध्या मारावी के पति की मौत बीमारी के चलते 22 अक्तूबर 2016 को हो गई थी। संध्या के तीन छोटे बच्चों के अलावा उसकी बूढ़ी सास भी हैं। संध्या के कंधों पर ही सभी का जिम्मा आ पड़ा। लेकिन पति की मौत के बाद विधवा हो गई संध्या ने अपनी हिम्मत और हौसला नहीं खोया। पेट की भूख और बच्चों संग बूढ़ी सास की परवरिश की खातिर इस बोझ को उसने अपने सिर पर उठा लिया और कुली बन गई।
खुद करती है पढ़ाई, फिर बच्चों को देती है शिक्षा
जनवरी 2017 से संध्या कुली के रूप में कटनी रेलवे स्टेशन पर काम कर रही है। इसके लिए उन्हें रोज जबलपुर से रोज 45 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। संध्या के तीन बच्चों साहिल (08), हर्षित (06) और पुत्री पायल (4) है। संध्या खुद 8वीं कक्षा तक पढ़ाई की है। वह अपने तीनों बच्चों को प्राइमरी स्तर की शिक्षा रोजाना घर पर ही दे रही है। ड्यूटी से आने के बाद बच्चों को नियमित रूप से पढ़ाती हैं। संध्या की मंशा है कि उसके बच्चे पढ़-लिखकर भारतीय सेना में शामिल हों। वो नहीं, चाहती की उसके बच्चे भी अपने पिता भोलाराम मरावी या मां संध्या की तरह किसी का बोझा ढोएं। संध्या के पति भी कुली थे।
रेलवे विभाग ने कुली भर्ती की शर्तों में किए बदलाव
रेलवे विभाग ने कुली की भर्ती की शर्तों में कुछ बदलाव किए हैं। पहले जहां कुली का लाइसेंस/बिल्ला हासिल करने के लिए 8वीं पास योग्यता निर्धारित थी उसे अब बढ़ाकर 10वीं (हाईस्कूल) कर दी है। भर्ती नियमों में भी बदलाव हुआ है। साथ ही साइकिल चलाना भी अनिवार्य है। भर्ती के समय 50 किलो वजन लेकर 200 मीटर दौड़ाया जाता है। कुलियों का बीमा कराने की भी रेलवे की योजना है।